गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद दून महिला अस्पताल में हंगामा, मारपीट Dehradun News
गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद महिला को उपचार के लिए दून महिला अस्पताल लेकर पहुंचे परिजनों ने चिकित्सक व स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगा हंगामा किया।
देहरादून, जेएनएन। गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद महिला को उपचार के लिए दून महिला अस्पताल लेकर पहुंचे परिजनों ने चिकित्सक व स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगा हंगामा किया। वहीं, अस्पताल प्रशासन का आरोप है कि उन्होंने चिकित्सकों एवं स्टाफ से गाली गलौच व मारपीट की। चिकित्सकों की ओर से इस मामले में शहर कोतवाली में तहरीर भी दी गई। जिस पर महिला के पति एवं अन्य तीमारदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक के गांव धारा निवासी छह माह की गर्भवती फरदेवी (21 ) पत्नी सुरेश पंवार को अस्पताल लाया गया था। परिजनों का आरोप है कि चिकित्सकों ने इलाज में देरी की। इसकी वजह से उसकी तबीयत बिगड़ गई। वहीं, चिकित्सकों का कहना है कि परिजनों ने पहले ही गर्भस्थ शिशु की मौत की जानकारी दी थी। तत्काल उसे उपचार दिया गया और खून की व्यवस्था की गई। महिला को एंटिबायोटिक आदि दे दिए गए थे और लेबर रूम में रखा गया। इसी बीच परिजन वहां से गायब हो गए।
करीब सात बजे परिजनों ने महिला को दूसरे अस्पताल में ले जाने को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। जिसका वहां मौजूद चिकित्सकों-स्टाफ ने विरोध किया। अस्पताल की चिकित्सक डॉ. लता की ओर से दी गई तहरीर में बताया कि डॉ. असना, सिस्टर नीलम, सिस्टर सुनीता, वार्ड आया कमलेश, चंद्रा, नजमा, गार्ड प्रेमा और उनसे तीमारदारों से मारपीट की गई। गाली गलौच की गई।
सूचना पर डिप्टी एमएस डॉ. मनोज शर्मा, जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र भंडारी, संदीप राणा मौके पर पहुंचे। लेकिन बवाल नहीं रुका। सूचना पर कोतवाली इंस्पेक्टर एसएस नेगी मय फोर्स मौके पर पहुंचे। डॉक्टरों की तहरीर लेकर महिला को एक अन्य अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। तीमारदारों को पुलिस अपने साथ ले गई।
बताया गया कि चिकित्सक की तहरीर पर पति एवं तीमारदारों के खिलाफ मारपीट का केस दर्ज कर लिया गया है। जांच की जा रही है, दूसरे पक्ष की ओर से तहरीर मिलेगी तो उसी आधार पर भी जांच की जाएगी।
दून में अब तक स्वाइन फ्लू के आठ केस पॉजीटिव
कोरोना के अलर्ट के बीच स्वाइन फ्लू ने भी स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। जनवरी से अब तक दून में स्वाइन फ्लू के 8 मामले सामने आ चुके हैं। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग चौकन्ना हो गया है। विभाग ने ने इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया है।
बीते कुछ सालों में स्वाइन फ्लू तेजी से सिर उठाता रहा है। इस बीमारी के कारण बीते तीन सालों में ही 25 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। सर्दी के मौसम में इस वायरस के फैलने का सर्वाधिक खतरा बना रहता है। बता दें, वर्ष 2019 में स्वाइन फ्लू के रिकॉर्ड तोड़ 246 मामले दर्ज किए गए थे।
अकेले राजधानी देहरादून के एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में ही दर्जनों मामले सामने आए थे। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई थी। अस्पताल की ओर से पांच से ज्यादा मौत के मामलों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि की गई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग को इस अस्पताल के दावों को लेकर डेथ ऑडिट कराना पड़ा था।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीनाक्षी जोशी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनवरी से अब तक 26 लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे, जिनमें 8 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें पांच लोग उत्तराखंड व तीन यूपी के रहने वाले हैं। राहत की बात यह है कि यह सभी स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि अकेले देहरादून में ही स्वाइन फ्लू की पुष्टि होना स्वास्थ्य चिंता की बात है। ऐसे में इसे लेकर सतर्कता बरती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुक्कमल तैयारियां की गई हैं। अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड से लेकर दवा, मास्क आदि की व्यवस्थाएं पहले से ही की चुकी थी।
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वर्षवार स्वाइन फ्लू मरीजों के आंकड़े
वर्ष---------------केस------------------मौत
2017-----------157------------------19
2018--------------9--------------------2
2019-----------246--------------------6