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अपवंचित वर्ग के बच्चे को ही दाखिला!

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून राज्य में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत कमजोर और व

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Dec 2017 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Dec 2017 03:00 AM (IST)
अपवंचित वर्ग के बच्चे को ही दाखिला!
अपवंचित वर्ग के बच्चे को ही दाखिला!

रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून

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राज्य में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत कमजोर और वंचित वर्गो के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला देने की नीति में संशोधन होगा। ऐसे करीब एक लाख सात हजार छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर 137 करोड़ खर्च हो चुका है। सरकारी खजाने पर बढ़ते बोझ और केंद्र से प्रतिपूर्ति नहीं होने से चिंतित राज्य सरकार अब केवल अपवंचित वर्गो के चिह्नित बच्चों को ही निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने पर मंथन कर रही है। कमजोर वर्गो के बच्चों के लिए यह सुविधा बंद करने की तैयारी है। वित्त ने भी बीते दो वित्तीय वर्षो 2015-16 और 2016-17 के दौरान सिर्फ अपवंचित वर्गो के बच्चों की प्रतिपूर्ति का ब्योरा शिक्षा महकमे से मांगा है।

आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों पर बढ़ते खर्च की अपने बूते प्रतिपूर्ति करने में राज्य सरकार के हाथ-पांव फूल रहे हैं। इस वजह से योजना पर ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन सरकार एकाएक इस योजना से हाथ पीछे खींचने से कतरा रही है। निजी स्कूलों में बच्चों के दाखिले की बकाया धनराशि के भुगतान के संबंध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और वित्त मंत्री प्रकाश पंत केंद्र सरकार में गुहार लगा चुके हैं। केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में भरोसा तो मिल रहा है, लेकिन धनराशि अब तक नहीं मिल सकी है।

दरअसल, आरटीई अधिनियम के तहत वर्ष 2011-12 से 2017-18 तक राज्य में 1,07,000 से अधिक बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिल कराया जा चुका है। खास बात ये है कि राज्य सरकार उक्त बच्चों पर वर्ष 2015-16 तक 137.90 करोड़ की धनराशि खर्च कर चुकी है। वर्ष 2014-15 में राज्य सरकार के कुल 42.04 करोड़ खर्च में से 41.50 करोड़ और वर्ष 2015-16 में किए गए कुल खर्च 49.58 करोड़ में से 39.50 करोड़ की प्रतिपूर्ति को स्वीकृति दी थी। केंद्र से प्रतिपूर्ति को लेकर आनाकानी के बाद राज्य में इस योजना के भविष्य पर संकट गहरा चुका है। फिलवक्त इसकी जद में कमजोर वर्ग के बच्चे आए हैं। इन बच्चों को आरटीई के तहत निजी स्कूलों में अब आगे दाखिला नहीं कराया जाएगा। फिलवक्त वित्त ने भी सीमित संसाधनों का हवाला देते हुए इस योजना पर कटौती पर सहमति जताई है। निकट भविष्य में कमजोर वर्गो के स्थान पर आरटीई अधिनियम के तहत अपवंचित वर्गो के बच्चों को ही निजी स्कूलों में दाखिला देने की सिफारिश वित्त ने भी की है।

2(डी) के तहत अपवंचित वर्ग के बच्चों को ही निजी स्कूलों में दिलाया जाएगा का ब्योरा:

-अनुसूचित जाति-जनजाति

-राज्य सरकार की ओर से घोषित अन्य पिछड़ा वर्ग (क्रीमीलेयर को छोड़कर)

-शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चे जो नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार, संरक्षण, और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 (अधिनियम संख्या एक वर्ष 1996) के प्रावधानों के अंतर्गत हो

-ऐसे बच्चे जो विधवा व तलाकशुदा माता पर आश्रित हों और जिनकी वार्षिक आमदनी 80 हजार रुपये से कम हो

-एचआइवी बच्चे अथवा एचआइवी माता-पिता के बच्चे

-नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार, संरक्षण, और पूर्ण भागीदारी अधिनियम, 1995 में यथा परिभाषित दिव्यांग माता-पिता के बच्चे) (कोढ़ से ग्रसित व्यक्तियों सहित) जिनकी वार्षिक आय 4.5 लाख रुपये से कम हो, के बच्चों को दाखिला दिया जा सकेगा।


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