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क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के संदर्भ में कार्रवाई के निर्देश

स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सभी जनपदों को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के संदर्भ में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्य चिकित्साधिकारियों को भेजे पत्र में कहा गया है कि वह नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 08:46 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 08:46 PM (IST)
क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के संदर्भ में कार्रवाई के निर्देश
क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के संदर्भ में कार्रवाई के निर्देश

जागरण संवाददाता, देहरादून: स्वास्थ्य महानिदेशालय ने सभी जनपदों को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के संदर्भ में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्य चिकित्साधिकारियों को भेजे पत्र में कहा गया है कि वह नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करें। गैर पंजीकृत सभी अस्पतालों और क्लीनिकों को सील करने का आदेश उन्हें दिया है।

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बाजपुर निवासी अहमद नबी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों को चिकित्सालयों में लागू नहीं करने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने निर्देश दिए कि अस्पतालों और क्लीनिकों के संचालन के लिए मौजूदा प्रावधानों और कानून का सख्ती से पालन किया जाए। अब स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तारा चंद पंत ने समस्त मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र भेज इस ओर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य महानिदेशालय को कार्रवाई से अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।

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निजी चिकित्सकों का 25 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान

मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय न मिलने से नाराज

जागरण संवाददाता, देहरादून: निजी चिकित्सकों ने 25 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया है। मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय न मिलने से जाने से नाराज डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया। आइएमए के प्रातीय महासचिव डॉ. डीडी चौधरी ने इसकी पुष्टि की है।

बता दें कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को केंद्र सरकार ने साल 2010 में पारित किया था। साथ ही सभी राज्यों को इसे सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए थे। उत्तराखंड में यह एक्ट साल 2013 में विधानसभा में पारित किया गया, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया जा सका है। इसकी वजह निजी चिकित्सकों को इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस पर फिर कसरत शुरू हुई। आइएमए पदाधिकारियों की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ वार्ता हुई थी। जिसमें यह तय हुआ कि इस पर बीच का रास्ता निकाला जाएगा। इसके लिए शासन, विभाग और चिकित्सकों की एक समिति का गठन किया गया। जिसकेबाद आइएमए ने नर्सिग होम एक्ट का प्रारूप तैयार किया। स्वास्थ्य सचिव ने इसमें कुछ संशोधन की आवश्यकता बताई थी और संशोधित ड्राफ्ट भी अब तैयार है। पर आइएमए पदाधिकारियों का कहना है कि इस विषय में कई दिन पहले मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मागा गया था, पर इसका जवाब तक नहीं दिया गया। इस बीच निजी चिकित्सकों पर लगातार रजिस्ट्रेशन का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में सिवाय हड़ताल के अब कोई चारा नहीं बचा है।


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