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रोडवेज कर्मचारियों की प्रबंधन से वार्ता, समझौते के आसार

त्योहारी सीजन में भी गुजरे चार माह से वेतन ना मिलने से बेमियादी कार्य बहिष्कार पर जाने को तैयार रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के नेताओं के साथ रोडवेज अधिकारियों ने सोमवार को सुलह वार्ता की।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 09:41 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 09:41 PM (IST)
रोडवेज कर्मचारियों की प्रबंधन से वार्ता, समझौते के आसार
रोडवेज कर्मचारियों की प्रबंधन से वार्ता, समझौते के आसार

जागरण संवाददाता, देहरादून: त्योहारी सीजन में भी गुजरे चार माह से वेतन ना मिलने से बेमियादी कार्य बहिष्कार पर जाने को तैयार रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के नेताओं के साथ रोडवेज अधिकारियों ने सोमवार को सुलह वार्ता की। अधिकारियों ने जल्द वेतन उपलब्ध कराने की बात कही। ऐसे में परिषद के तेवर नरम नजर आ रहे हैं और माना जा रहा है कि परिषद बुधवार से अपना प्रदेशव्यापी बेमियादी कर बहिष्कार टाल सकती है। परिषद के नेताओं ने इसे लेकर मंगलवार को बैठक बुलाई है, जिसमें आदोलन स्थगित करने का फैसला हो सकता है। इससे पहले परिषद ने 20 अक्टूबर को प्रदेशभर में एक दिवसीय कार्य बहिष्कार कर आदोलन किया था, जिससे पर्वतीय मार्गो पर बसों का संचालन प्रभावित हुआ था।

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रोडवेज कर्मचारियों को जून से वेतन नहीं मिला है। इससे पहले मार्च, अप्रैल और मई का वेतन सरकार की ओर से दी गई आíथक मदद से दिया गया था। इस बार सरकार ने हाथ खड़े कर दिए थे और रोडवेज प्रबंधन लाचारी वाली स्थिति में था, लेकिन पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को समस्या का समाधान तलाशने के आदेश दिए। जिसके बाद शासन में हुई बैठक में तय हुआ कि सरकार रोडवेज को मदद के तौर पर 14 करोड़ रुपये और देगी। रोडवेज को वेतन के लिए हर माह 20 से 22 करोड़ रुपये की जरूरत होती है, ऐसे में अगर सरकार से 14 करोड़ रुपये मिलते हैं, तब भी रोडवेज को छह से आठ करोड़ रुपये की अतिरिक्त व्यवस्था एक माह का वेतन देने के लिए करनी होगी। कोरोना काल की आíथक हानि और उसके बाद अभी तक बसों का संचालन पूरी तरह सुचारू ना होने से रोडवेज लगातार घाटे में चल रहा है। इसी बीच त्योहारी सीजन भी आ चुका है और वेतन ना मिलने से कर्मचारियों के सामने आíथक संकट ही नहीं बल्कि परिवार का पोषण भी मुश्किल हो चुका है। इससे नाराज रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने चरणबद्ध तरीके से 20 अक्टूबर से आदोलन शुरू कर दिया था। पूर्व निर्धारित आदोलन के तहत 20 अक्टूबर को परिषद के कर्मचारियों ने प्रदेशभर में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर कार्य बहिष्कार किया था। इस दौरान देहरादून में ग्रामीण, पर्वतीय डिपो, कार्यशाला और मंडलीय कार्यालय में सैकड़ों कर्मचारियों ने धरना दिया था, जिससे बस संचालन भी प्रभावित हुआ था। परिषद ने 28 अक्टूबर से बेमियादी कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी थी।

जिस पर सोमवार को रोडवेज के प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह और महाप्रबंधक दीपक जैन ने परिषद के प्रातीय नेताओं के प्रतिनिधियों के साथ सुलह वार्ता की। रोडवेज प्रबंधन ने सरकार की मदद और अपने विकल्पों से जल्द वेतन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। जिस पर परिषद के तेवर नरम नजर आ रहे हैं। परिषद के प्रातीय महामंत्री दिनेश चंद्र पंत ने कहा कि हर बार मुश्किल हालात में रोडवेजकर्मी सरकार का साथ निभाते हैं। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इसके बावजूद निगम प्रबंधन वेतन उपलब्ध कराने में नाकाम हो रहा। कर्मचारियों को जून से वेतन नहीं मिला है। हालाकि, उन्होंने प्रबंधन के आश्वासन पर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि इस मामले मे मंगलवार को परिषद की बैठक बुलाई गई है, जिसमें आदोलन को लेकर निर्णय लिया जाएगा। इंपलाइज यूनियन का आदोलन जारी

वेतन के भुगतान समेत संविदा कर्मचारियों के अप्रैल से वेतन की माग को लेकर उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन का आदोलन सोमवार को भी जारी रहा। यूनियन गत 22 अक्टूबर से प्रदेशव्यापी धरना प्रदर्शन कर रही है। सोमवार को तीनों मंडलों में धरना प्रदर्शन किया गया। यूनियन के मुताबिक संविदा चालक व परिचालको के मामले में हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाए, जिसमें अनुबंध नवीनीकरण ना करने के बावजूद अदालत ने संविदा कíमयों का वेतन भुगतान करने के आदेश दिए हैं। परिषद के प्रातीय महामंत्री रविनंदन कुमार ने कहा कि जब तक उनकी मागें नहीं मानी जाती आदोलन जारी रहेगा।


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