दीपावली से पूर्व रोडवेज के बकाया 69 करोड़ देने के आदेश, रोडवेज में हड़ताल टली
रोडवेज में लंबित वेतन को लेकर हाईकोर्ट ने तल्ख रुख अख्तियार कर सरकार को दीपावली से पूर्व रोडवेज के बकाया 69 करोड़ रुपये का भुगतान करने के आदेश दिए हैं।
देहरादून, जेएनएन। रोडवेज में लंबित वेतन को लेकर हाईकोर्ट ने तल्ख रुख अख्तियार कर सरकार को दीपावली से पूर्व रोडवेज के बकाया 69 करोड़ रुपये का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने मंगलवार को रोडवेज कर्मचारी यूनियन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सचिव वित्त एवं सचिव परिवहन को इसका शासनादेश जारी करने को कहा। इस राशि से रोडवेज कर्मियों को सितंबर और अक्टूबर का वेतन एवं लंबित भुगतान किया जाएगा। साथ ही बचत एवं सहकारी वेतन ऋण समितियों का लंबित भुगतान भी करने को भी कहा गया। हाईकोर्ट के इस फैसले से रोडवेजकर्मियों में खुशी की लहर है। हाईकोर्ट के आदेश जारी होने के बाद देहरादून में रोडवेज मुख्यालय में रोडवेज अधिकारियों व कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों की वार्ता हुई। हाईकोर्ट के फैसले के आलोक में यूनियन ने मंगलवार आधी रात से प्रस्तावित हड़ताल स्थगित कर दी। समझौता वार्ता में दीपावली बोनस पर कोई फैसला नहीं हुआ। बोनस पर बुधवार को दोबारा बैठक होगी।
रोडवेज बसों में सरकार की ओर से मुफ्त यात्रा की जनकल्याणकारी योजनाओं समेत पर्वतीय मार्गों पर बस संचालन की हानि के 86 करोड़ रुपये राज्य सरकार पर कई माह से बकाया थे। ऐसे में रोडवेज घाटे में चला गया और कर्मचारियों को तीन माह से वेतन तक नहीं दिया गया था। जिस पर उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई। दो हफ्ते पहले हाईकोर्ट ने सरकार को बकाये के 17 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश दिया। सरकार ने यह राशि जारी की तो रोडवेजकर्मियों को जुलाई व अगस्त का वेतन दिया गया, मगर सितंबर का वेतन तब भी नहीं मिला। न ही दीपावली बोनस पर रोडवेज प्रबंधन ने कोई निर्णय लिया। इस परिस्थिति में यूनियन की ओर से 22 अक्टूबर की आधी रात से राज्य में प्रदेशव्यापी हड़ताल की चेतावनी दी हुई थी। इधर, हाईकोर्ट में यूनियन की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई होनी थी। यूनियन ने हड़ताल का अंतिम फैसला मंगलवार को हाईकोर्ट के संभावित आदेश के बाद करने की बात कही थी।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार सिंह की खंडपीठ में कर्मचारी यूनियन की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान परिवहन सचिव की ओर से दिए शपथ-पत्र में बताया गया कि 16 अक्टूबर को सरकार को जानकारी दे दी थी कि सरकार के पास निगम का 69 करोड़ बकाया है। यूनियन के अधिवक्ता ने बताया कि मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ समेत रक्षा बंधन, चुनाव ड्यूटी, दिव्यांगजन व सीनियर सिटीजन जैसी जनकल्याणकारी योनजाओं में रोडवेज बसें मुफ्त में सेवा दे रही हैं। आपदा में निगम की बसों को फ्री सेवा के लिए सरकार द्वारा लगाया जाता है, उसका किराया राज्य सरकार को देना होता है पर सरकार ने यह भी नहीं दिया जबकि इस संबंध में सरकार द्वारा शासनादेश जारी किया गया था। सरकार ने बकाये की राशि के 86 करोड़ में से 17 करोड़ रुपये निगम को दिए हैं, जबकि 69 करोड़ अभी बकाया है। इस दौरान परिवहन निगम के अधिवक्ता की ओर से भी अपना पक्ष रखा गया।
सरकार फ्री में चलाए तो करे भरपाई
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान परिवहन निगम की ओर से कहा गया कि निगम एक व्यावसायिक संस्था है, अगर सरकार इसे फ्री में चलाना चाहती है तो उसकी भरपाई सरकार ही करेगी, अन्यथा निगम घाटे में चला जाएगा।
न नियमित कर रही, न वेतन दे रही
कर्मचारियों की ओर से बताया गया कि सरकार व निगम द्वारा उन्हें न तो नियमित किया जा रहा है, न ही वक्त पर वेतन दिया जा रहा। रिटायर कर्मचारियों के देयकों का भुगतान भी नहीं किया गया। इसके बाद भी आंदोलन की चेतावनी दी तो सरकार द्वारा एस्मा लगाने की धमकी दी जा रही। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम को भी उत्तराखंड के परिवहन निगम का 800 करोड़ रुपये देने हैं लेकिन इसके लिए भी सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं हो रहे।
जीएम से वार्ता, हड़ताल स्थगित
उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधिमंडल की हाईकोर्ट के आदेश आने के बाद महाप्रबंधक प्रशासन निधि यादव से वार्ता हुई। जिसमें यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने हड़ताल वापस लेने का एलान किया। वार्ता में केपी सिंह, हरेंद्र सिंह समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहे। हड़ताल स्थगित होने से रोडवेज प्रबंधन एवं यात्रियों ने राहत की सांस ली है।
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शैलेश बगोली (सचिव परिवहन) का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। शासन में परिवहन निगम का जो भी बकाया है, वह जल्द जारी कर दिया जाएगा।
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