ऋषिकेश, जागरण संवाददाता: परमार्थ निकेतन में आयोजित सात दिवसीय निःशुल्क एक्यूपंक्चर और प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का सैकड़ों जरूरतमंदों ने लाभ उठाया। शिविर में अमेरिका से आए चिकित्सकों के दल ने सेवाएं दी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती के सान्निध्य में चले शिविर में एक्यूपंक्चर टीम के सदस्यों ने दीप प्रज्वलित कर एक्यूपंक्चर और प्राकृतिक चिकित्सा शिविर की शुरुआत की।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने टीम के सदस्यों का सेवा कार्य के लिए अभिनंदन करते हुए कहा कि सेवा परमो धर्म:, सेवा से न केवल दूसरों को लाभ प्राप्त होता है उनके दिलों में हमेशा के लिए एक खास जगह बन जाती है। चिकित्सा सेवाओं के माध्यम से चिकित्सक रोगियों को संकट और कष्टों से उबारते हैं इसलिए सेवा का धर्म कभी नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा सेवा के माध्यम से सभी का दिल जीता जा सकता है। सेवा, समानता और गरिमा के मूल्यों का जीवन में होना अत्यंत आवश्यक है।
एक्यूपंक्चर टीम की प्रमुख सामी रैंक ने कहा कि स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज से प्रेरित होकर ऋषिकेश, भारत आकर कैंप की शुरुआत की। यह तीसरी बार है जब परमार्थ निकेतन में कैंप कर रही हैं। कैंप में अधिकांश रोगी तनाव, थायराइड, हाईपरटेंशन और स्ट्रोक के थे।
एशले जिमेनेज ने बताया कि इस थेरेपी में शरीर के कुछ खास बिंदुओं पर एकदम पतली सुइयां चुभायी जाती है, उन बिंदुओं का संबंध बीमारी से होता है। सुइयां चुभाने से शरीर में प्रवाहित होने वाली ऊर्जा का प्रवाह सही दिशा में किया जाता है। इससे शरीर में रक्त का संचरण भी सुचारू रूप से होता है। एक्यूपंक्चर टीम की प्रमुख सामी रैंक के मार्गदर्शन में लौरा मार्टेल, रीगन पेनेल, लिज रास, यासमीन सहहत, एशले जिमेनेज, चेरी जिमर, टायलर हालैंड, कैली विलियम्स, विक्टोरिया एरोको, च्लोए ग्रीनहालघ, एलन चुंग, अमांडा वैन एर्ट और सहायक टीम के सदस्य मिशेला हालैंड, आनंद ब्रावो, रयान जिमर, आयला मार्टेल ने योगदान दिया।