ऋषिकेश के जंगलों में बढ़ रहा यह अवैध धंधा, सिर्फ गौहरी व चीला रेंज में बने 400 से ज्यादा रिसॉर्ट व कैंप अवैध
Resort and Camping in Rishikesh अंकिता भंडारी की हत्या ने जंगल में रिसॉर्ट निर्माण को लेकर सिस्टम को सवालों के घेरे में ला दिया है। पर्यटकों की अच्छी-खासी आवाजाही के चलते राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे राजस्व गांवों में कई रिसॉर्ट और कैंपिंग साइट बन गए हैं।
दीपक जोशी, ऋषिकेश : Resort and Camping in Rishikesh : वनन्तरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या ने जंगल में रिसॉर्ट निर्माण को लेकर सिस्टम को सवालों के घेरे में ला दिया है। वन क्षेत्र और उससे सटे इलाकों में स्थित ये रिसॉर्ट महज कुछ महीनों में तो बने नहीं होंगे। जब ये बनने शुरू हुए, तभी अगर जिम्मेदार अपनी ड्यूटी ईमानदारी से निभा लेते तो आज इन रिसॉर्ट की जांच की नौबत ही नहीं आती।
अय्याशी का अड्डा बने इन रिसॉर्ट में अंकिता जैसी कितनी युवतियां उत्पीड़न का शिकार हुई होंगी, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन, राजाजी पार्क प्रशासन, जिला विकास प्राधिकरण, तहसील व जिला प्रशासन, राजस्व और नागरिक पुलिस जैसे तमाम विभाग अनैतिकता का केंद्र बने इन रिसॉर्ट के अवैध निर्माण को समय रहते रोक सकते थे। अफसोस कि अब अंकिता हत्याकांड के बाद इन विभागों को अपनी जिम्मेदारी याद आई है।
राजस्व गांवों में कई रिसॉर्ट और कैंपिंग साइट बने
पर्यटकों की अच्छी-खासी आवाजाही के चलते राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे राजस्व गांवों में कई रिसॉर्ट और कैंपिंग साइट बन गए हैं। नियमानुसार ऐसे क्षेत्र में बने रिसॉर्ट और कैंपिंग साइट के लिए वन विभाग की अनुमति जरूरी है, लेकिन यहां अनुमति छोड़िए, कई रिसॉर्ट तो सिस्टम की मिलीभगत से वन क्षेत्र में ही अपनी गतिविधि चला रहे हैं।
सिर्फ गौहरी व चीला रेंज की बात करें तो यहां 400 से अधिक रिसॉर्ट व कैंप साइट अवैध रूप से संचालित हैं। यमकेश्वर के गंगा भोगपुर गांव स्थित वनन्तरा रिजार्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या के बाद सरकार एक्शन में है और वन क्षेत्र से सटे रिसॉर्ट व कैंपिंग साइट की जांच शुरू हो गई है। इससे न केवल रिसॉर्ट संचालक, बल्कि वन विभाग में भी हड़कंप है।
वजह स्पष्ट है कि ज्यादातर रिसॉर्ट बिना वन विभाग की अनुमति के संचालित हैं। कई ऐसे रिसॉर्ट भी हैं, जो किसी न किसी रूप में वन भूमि पर अतिक्रमण कर बने हैं, लेकिन वन विभाग इनके विरुद्ध कार्रवाई से बचता रहा है।
जानकारी के मुताबिक राजाजी के आसपास 400 से अधिक अवैध रिसॉर्ट हैं, जिनमें से ज्यादातर रसूखदार और राजनीतिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के हैं। खास बात यह कि गंगा भोगपुर स्थित वनन्तरा रिसॉर्ट भी लंबे समय से बिना अनुमति के चल रहा था। जाहिर है कि ऐसे में स्थानीय वन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। अब अगर कार्रवाई हो रही है तो जिम्मेदार वन अधिकारियों की भूमिका भी तय होनी चाहिए।
सार्वजनिक रूप से खुले बार पर सवाल
गंगा भोगपुर तल्ला में मुख्य मार्ग पर स्थित एक रिसॉर्ट में बार का खुलना पार्क प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। हालांकि, यह राजस्व भूमि पर स्थित है, लेकिन यहां तक पहुंचने का रास्ता वन क्षेत्र से होकर जाता है। इसके रसूखदार संचालक के आगे बड़े अधिकारी नतमस्तक रहते हैं। इस बार को शुरू से ही वैधता प्राप्त होना प्रचारित किया जाता रहा। इसके ऊपर बड़े अक्षरों में बार का बोर्ड भी लगाया गया था। अब जबकि शासन हरकत में आया है तो इस रिसॉर्ट के ऊपर लिखवाया गया ‘बार’ शब्द हटा दिया गया है।
एनजीटी कर चुकी जांच
वन कानून के उल्लंघन की शिकायत पर एनजीटी ने क्षेत्र में मौजूद रिसॉर्ट और कैंपिंग साइट की जानकारी मांगी। इसको लेकर गठित एनजीटी की एक टीम ने बीते चार अगस्त को गंगा भोगपुर क्षेत्र का निरीक्षण किया था। तब भी यह बात सामने आई कि राजाजी की सीमा के भीतर स्थित राजस्व ग्रामों में बने रिसॉर्ट व कैंपिंग साइट वन कानून का खुला उल्लंघन कर रहे हैं।
वन विभाग की एनओसी सिर्फ चंद रिसॉर्ट के पास है। दरअसल पार्क का यह क्षेत्र बाघों के आशियाने के रूप में भी जाना जाता है। बावजूद इसके गंगा भोगपुर, नीलकंठ ,घट्टूघाट, रत्तापानी, विंध्यवासिनी, किमसार व नैल क्षेत्र में बने कई रिसॉर्ट हमेशा से चर्चा में रहे हैं।
वनन्तरा रिसॉर्ट के पास वन विभाग की अनुमति नहीं है। सभी रिसॉर्ट के बारे में रेंज अधिकारियों के रिपोर्ट मांगी गई है। सभी रिसॉर्ट की जांच शुरू कर दी गई है। इसके बाद आवश्यक कार्रवाई होगी।
- डा. साकेत बडोला, निदेशक, राजाजी टाइगर रिजर्व