गंगोत्री धाम में गंगा विश्व धरोहर घोषित हो का लिया गया संकल्प
राष्ट्रीय नदी गंगा के उद्गम स्थल गौमुख के निकट देव भूमि उत्तराखंड के गंगोत्री धाम में गंगा व गंगा की सहायक जल धाराओं के साथ साथ हिमालय की जैव विविधता के संरक्षण के लिए गंगा विश्व विरासत घोषित हो संकल्प लिया गया।
जागरण संवाददाता उत्तरकाशी। गंगोत्री धाम में गंगा विश्व धरोहर घोषित हो के संकल्प लेने के साथ हिमालय की जैव विविधता एवं राष्ट्रीय नदी गंगा की सहायक धराओं के संरक्षण मिशन की शुरुआत की गई। राष्ट्रीय नदी गंगा के उद्गम स्थल गौमुख के निकट देव भूमि उत्तराखंड के गंगोत्री धाम में गंगा व गंगा की सहायक जल धाराओं के साथ साथ हिमालय की जैव विविधता के संरक्षण के लिए गंगा विश्व विरासत घोषित हो संकल्प लिया गया। वक्ताओं ने कहा कि वैश्विक अमूल्य धरोहर व निर्मल पावन जल की स्रोत व करोड़ों लोगों की आस्था की प्रतीक जीवनदायिनी मां गंगा भारतीय संस्कृति की ध्वज वाहक है। इसलिए गंगा दुनिया की सिर्फ सबसे पवित्र नदी ही नहीं, बल्कि असंख्य दुर्लभ जलीय जीव-जंतुओं के लिए आश्रय भी है।
हिमालय की चोटियों से निकली गंगा नदी के किनारों पर हजारों सालों से कई सभ्यताओं ने जन्म लिया है, लेकिन शहरीकरण व आबादी बढ़ने से गंगा नदी पर बुरा प्रभाव पड़ा है। नदी के कई हिस्से बेहद प्रदूषित हो चुके है। यानि नदी के किनारे बसे शहरों का कचरा, जल-मल व जहरीला पानी गंगा को प्रदूषित कर रहा है। रासायनों एवं कीटनाशकों का नदी में पहुंचनें से गंगा जल जहरीला बनता जा रहा है। गंगा संरक्षण का अभिप्राय हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक संपूर्ण जैवविविधता संरक्षण जरूरी है। इसके अलावा जलवायु, जमीन, खेती, हरियाली जीव-जन्तुओं और वनस्पतियां वे सब कुछ जो इस क्षेत्र को बचाए रखने के लिए जरूरी है। इससे व्यवसायी, किसान आदि जिनका जीना-मरना गंगा के साथ है, वे अपनी जीविका के लिए गंगा पर आश्रित हैं। उनका जीवन व अनुभव भी सुरक्षित रह सकेगा।
डा. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने कहा कि इस मिशन के द्वारा जल साक्षरता के माध्यम से नदियों के तटों पर रहने वाले लोगों व स्कूल तथा कालेजों में अध्ययनरत छात्रों को रचनात्मक व्यावहारिक जानकारियों व प्रदर्शनियो के द्वारा सचेत करके गंगा को निर्मल व स्वच्छ रखने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण के लिए अपील की जाएगी।
इस अवसर पर पांच मंदिर गंगोत्री के अध्यक्ष हरीश सेमवाल सचिव सुरेश सेमवाल, तीर्थ पुरोहित सहित ज्ञानचंद पंवार, सुदीप सिंह रावत, राजेश सेमवाल, सुनील सेमवाल, सुरेश रतूड़ी व ईश्यावाश्यम आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामि राममूर्ति महाराज आदि मौजूद थे।
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