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अक्षय ऊर्जा और नैनो टेक्नोलॉजी पर प्रस्तुत किए शोध पत्र

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन आइआइटी एनआइटी व विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने अक्षय ऊर्जा नैनो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 11:57 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 11:57 AM (IST)
अक्षय ऊर्जा और नैनो टेक्नोलॉजी पर प्रस्तुत किए शोध पत्र
अक्षय ऊर्जा और नैनो टेक्नोलॉजी पर प्रस्तुत किए शोध पत्र

देहरादून, जेएनएन। इंजीनियरिंग में शोध व नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्यों को लेकर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन आइआइटी, एनआइटी व विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने अक्षय ऊर्जा, नैनो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। आइआइटी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. दीपक जोशी ने मुख्य वक्ता के रूप में छात्र-छात्राओं को मार्गदर्शन किया।

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द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उत्तराखंड स्टेट सेंटर की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन रविवार को आइएसबीटी के समीप इंजीनियर्स भवन सभागार में 'नवीनतम अभियांत्रिकी परिकल्पना' विषय पर छात्रों ने इंजीनियर्स विशेषज्ञों ने मंथन किया। डॉ. दीपक जोशी ने कहा कि देश में वर्तमान में 21 एनआइटी स्थापित हो चुकी हैं, जिसमें वैश्विक स्तर की अत्याधुनिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है। उन्होंने रोबोटिक्स इंजीनियरिंग के बारे में छात्रों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में भव्य निर्माण कार्य आधुनिक इंजीनियरिंग का ही परिणाम है। आइआइटी रुड़की की प्रो. रजत अग्रवाल ने कहा कि आधुनिक रेल कोच, स्टील ओवर ब्रिज, अंडर पास, रेल व राष्ट्रीय राजमार्गों पर लंबी सुरंग, गहरे समुद्रों से तेल शोधन, पावर प्रोजेक्ट जैसे कई उदाहरण हैं जो इंजीनियरिंग का नायाब उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।  

इंजीनियरिंग को वैश्विक चुनौतियां

एनआइटी अहमदाबाद के प्रो. सुबीर दास ने सम्मेलन में उपस्थित छात्र-छात्राओं को आधुनिक इंजीनियरिंग व वैश्विक चुनौतियों से रूबरू करवाया। बताया कि देश-दुनिया में सभी निर्माण कार्य इंजीनियरिंग पर आश्रित हैं, इसलिए इंजीनियर पेशे से जुड़े लोग अपना कार्य इमानदारी और पूरी पारदर्शिता के साथ करें क्योंकि उनके कंधों पर देश की लोगों की जानमाल की हिफाजत करने की भी है। 

उन्होंने फ्लाईओवर का उदाहरण देते हुए कहा कि आज महानगरों के फ्लाईओवरों से एक दिन में लाखों वाहन गुजरते हैं। यदि निर्माण कार्य मानकों के अनुरूप नहीं होगा तो इसके गिरने की संभावना अधिक रहती है। कुछेक शहरों में निर्माण के दौरान फ्लाइओवर का कुछ भाग गिरने के मामले की सामने आए हैं। इसलिए तकनीकी और गुणवत्ता उच्चकोटि की होनी चाहिए।

इन विशेषज्ञों ने भी रखे अपने विचार            

सम्मेलन में आइआइटी रुड़की के प्रो. द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई.नरेंद्र सिंह, एनआइटी श्रीनगर के प्रोफेसर डॉ.पवन कुमार राकेश, डॉ. हरिहरन, डॉ. विकास कुकशाल आदि ने अपने विचार रखे।

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शोधार्थी होगा सम्मानित

द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उत्तराखंड स्टेट सेंटर के तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दसरे दिन चीन, हंगरी, सिंगापुर, इथोपिया सहित देशभर से आए शोधार्थियों ने डिजाइन, एमआर डैंपर, आर्टीफिशियल इंटेलीजेंसी, रोबोटिक्स, अक्षय ऊर्जा, सुरक्षा, स्मार्ट बिल्डिंग, नैनो टेक्नोलॉजी आदि विषयों पर 31 शोध पत्र प्रस्तुत किए। सोमवार (आज) सर्वश्रेष्ठ शोधार्थी को सम्मानित किया जाएगा।

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