महिलाओं की सुरक्षा को दून में दौड़ेगी रेस्क्यू वैन, 24 घंटे सेवा में रहेगा तैनात Dehradun News
देहरादून में किसी भी आपात स्थिति में पीड़ित महिला तक मदद पहुंचाने के लिए दून में 24 घंटे सेवा देने वाला रेस्क्यू वाहन तैनात रहेगा।
देहरादून, जेएनएन। किसी भी आपात स्थिति में पीड़ित महिला तक मदद पहुंचाने के लिए दून में 24 घंटे सेवा देने वाला रेस्क्यू वाहन तैनात रहेगा। जिलाधिकारी ने सर्वे चौक स्थित वन स्टॉप सेंटर के कार्मिकों को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने को कहा है।
जिलाधिकारी ने महिला सशक्तीकरण और बाल विकास विभाग की तरफ से संचालित वन स्टॉप सेंटर का औचक निरीक्षण किया। यह सेंटर महिला सुरक्षा और उनकी किसी भी तरह की शिकायत के समाधान के लिए स्थापित किया गया है, जिसमें महिलाएं हेल्पलाइन नंबर 181 पर कॉल कर मदद मांग सकती हैं। निरीक्षण में जिलाधिकारी ने पाया कि सेंटर में अभिलेखों और पंजिकाओं का उचित रखरखाव नहीं किया जा रहा है। जिलाधिकारी ने सभी दस्तावेजों का उचित प्रबंधन करने को कहा। साथ ही कहा कि दर्ज प्रकरणों की माहवार जानकारी बोर्ड पर अंकित की जाए और 181 से जुड़े सभी कार्मिक आपस में समन्वय बनाकर काम करें। दिव्यांग लाभार्थी भी सेंटर में सुगमता के साथ चल सकें, इसके लिए व्हीलचेयर की व्यवस्था की जाए।
दी गई सहायता का विवरण तलब
जिलाधिकारी ने वन स्टेप सेंटर से कुल दर्ज प्रकरणों, सहायता प्राप्त लाभार्थियों की संख्या, उन्हें विधिक सहायता देने आदि को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने प्रकरणों की तिथि, समय, जटिल मामले, अलग प्रकृति के प्रकरणों का ब्योरा राज्य और केंद्र सरकार को भी भेजने के निर्देश जारी किए।
अक्टूबर तक 2519 मामलों का निस्तारण
सेंटर अधिकारियों ने जिलाधिकारी को बताया कि अक्टूबर माह तक कुल 2756 मामले दर्ज किए गए हैं। जिसमें से 2519 का निस्तारण किया जा चुका है और 237 मामले लंबित चल रहे हैं।
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181 पर तैयार की जाए डॉक्यूमेंट्री
जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कहा कि 181 के लिए जिले के संबंधित विभागों के विकासखंड, तहसील स्तरीय और जिला स्तरीय अधिकारियों के पदनाम, फोन नंबर, ईमेल आइडी और कार्यालय के पते को लेकर डॉक्यूमेंट्री बनाई जाए। जिसमें सेंटर से संबंधी सभी योजनाओं का विवरण, उनमें आवेदन प्रक्रिया की जानकारी भी दी जाए, जिससे जरूरत पड़ने पर महिलाएं उनका लाभ उठा सकें। 181 नंबर पर जो भी कार्मिक कॉल प्राप्त करते हैं, वह इतने सक्षम हों कि पीड़ित महिला तक तुरंत मदद पहुंचा सकें।
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