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उत्‍तराखंड में 121 बिल्डर परियोजनाओं का रेरा रजिस्ट्रेशन समाप्त

प्रदेश में 121 बिल्डर परियोजनाओं का रेरा में कराया गया रजिस्ट्रेशन समाप्त हो चुका है। वजह यह है कि बिल्डर ने जो समय अवधि रेरा में पंजीकरण कराते समय दी थी उसमें वह पिछड़ गए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 04:53 PM (IST)
उत्‍तराखंड में 121 बिल्डर परियोजनाओं का रेरा रजिस्ट्रेशन समाप्त
उत्‍तराखंड में 121 बिल्डर परियोजनाओं का रेरा रजिस्ट्रेशन समाप्त

देहरादून, सुमन सेमवाल। अपनी खून-पसीने की कमाई लगाकर एक अदद आशियाने का ख्वाब देख रहे लोगों को फ्लैट पर कब्जा मिलने की जगह अंतहीन इंतजार हाथ लग रहा है। फ्लैट बुक कराते समय बिल्डर भले ही सतरंगी ख्वाब दिखाकर तमाम वादे करते हों, मगर अधिकतर समय पर कब्जा दिलाना तो दूर निर्माण पूरा करने से भी कोसों दूर हैं। इस समय प्रदेश में 121 बिल्डर परियोजनाओं का रेरा में कराया गया रजिस्ट्रेशन समाप्त हो चुका है। वजह यह है कि बिल्डर ने जो समय अवधि रेरा में पंजीकरण कराते समय दी थी, उसमें वह पिछड़ गए हैं।

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रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने बताया कि इस समय 282 बिल्डर परयोजनाओं का रजिस्ट्रेशन कराया गया है। 106 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनकी पंजीकरण अवधि शेष है, जबकि 176 के निर्माण पूरा करने की अवधि बीत चुकी है। इसमें भी 55 ने आवेदन करके सशुल्क एक साल का एक्सटेंशन प्राप्त कर लिया है। हालांकि, अभी भी 121 ऐसे मामले हैं, जिनमें बिल्डरों ने तो कार्य की प्रगति बताई है, न ही एक्सटेंशन के लिए आवेदन किया है।

इस तरह के प्रकरण में संबंधित बिल्डरों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। यह नोटिस कोविड-19 में दी गई केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप भेजे जाएंगे। जिसमें छह माह से अधिक समय पहले समाप्त हो चुके पंजीकरण वाले बिल्डर शामिल होंगे।

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निवेशकों ने दर्ज कराए 600 मामले

रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार के मुताबिक समय पर कब्जा न मिलने और रकम न लौटाने को लेकर निवेशकों ने 600 से अधिक शिकायतें दर्ज कराई हैं। इनमें से करीब 300 शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है। अधिकतर मामलों में बिल्डरों को ब्याज के साथ निवेशकों की रकम लौटाने को कहा गया है। कुछ ही मामलों में समझौता किया गया है या बिल्डरों को समय दिया गया है। अब ऐसे मामलों की भी समीक्षा की जाएगी कि कितने बिल्डरों ने रेरा के आदेश का अनुपालन कर लिया है। ताकि नाफरमानी करने वाले बिल्डरों की आरसी काटी जा सके। पूर्व में जो आरसी आदेश जारी किए गए हैं, उनकी भी समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है। किसी भी दशा में निवेशकों के हितों की रक्षा की जाएगी।

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