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साइकिल से की दोस्ती तो घूमने लगा सेहत का पहिया, पढ़िए खबर

विशेषज्ञों की मानें तो नियमित साइकिल चलाना सबसे अच्छा व्यायाम है। इससे शरीर भी निरोगी रहता है। इससे भी महत्वपूर्ण यह कि साइकिल की सवारी पर्यावरण संरक्षण के लिए भी मुफीद है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 08:17 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 08:17 AM (IST)
साइकिल से की दोस्ती तो घूमने लगा सेहत का पहिया, पढ़िए खबर
साइकिल से की दोस्ती तो घूमने लगा सेहत का पहिया, पढ़िए खबर

देहरादून, जेएनएन। अगर आप भी अपने स्वास्थ्य को ट्रैक पर रखना चाहते हैं तो साइकिल से दोस्ती कर लीजिए। फिर देखिये न सिर्फ आपकी बल्कि पर्यावरण की सेहत का पहिया भी घूमने लगेगा। रोजाना साइकिलिंग करने से शरीर की मांसपेशियां तो मजबूत होती ही हैं, साथ ही बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। 

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विशेषज्ञों की मानें तो नियमित साइकिल चलाना सबसे अच्छा व्यायाम है। इससे शरीर भी निरोगी रहता है। इससे भी महत्वपूर्ण यह कि साइकिल की सवारी पर्यावरण संरक्षण के लिए भी मुफीद है। यही वजह है कि साइकिल आज अफसर क्लास की भी पंसद बन गई है। बाजार में बढ़ी साइकिल की डिमांड भी इस बात की तस्दीक कर रही है कि लोगों में साइकिल के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। खुद को फिट रखने के लिए लोग दफ्तर व बाजार जाने के लिए भी साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं।

पर्यावरण की चिंता सताई तो थाम लिया साइकिल का हैंडल

देहरादून रेलवे स्टेशन पर तैनात उप स्टेशन अधीक्षक सुधांशु काला बताते हैं कि बचपन में उन्हें साइकिल के प्रति खास दिलचस्पी नहीं थी। थोड़ा बड़े होने पर स्वास्थ्य और पर्यावरण की चिंता सताने लगी। तब उन्होंने निर्णय लिया कि जितना संभव हो सके मोटर वाहनों की जगह साइकिल का इस्तेमाल करेंगे। 

अब वह रोजाना पांच से सात किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। बाजार और दफ्तर भी साइकिल से ही आते-जाते हैं। कार और बाइक का अनावश्यक प्रयोग नहीं करते। सुधांशु बताते हैं कि साइकिल न सिर्फ उन्हें फिट रखती है बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में योगदान देती है। 

उन्होंने लॉकडाउन का उदाहरण देते हुए कहा कि अनावश्यक वाहनों के न चलने से वातावरण में प्रदूषण का स्तर बेहद कम हो गया था। अब जैसे-जैसे ढील मिल रही है, प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि विश्व साइकिल दिवस पर साइकिल चलाने का प्रण लें। 

पीठ दर्द ने बनाया साइकिलिंग का सुपर रेंडोन्योर

आमतौर पर पीठ का दर्द लोगों को बेड रेस्ट तक ले जाता है। लेकिन, भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) के अधिकारी लियाकत अली पीठ के दर्द को दूर करने के लिए साइकिलिंग के सुपर रेंडोन्योर बन गए। उत्तराखंड में आयकर विभाग के संयुक्त आयुक्त एवं टीडीएस विंग के प्रमुख लियाकत अली बताते हैं कि अक्टूबर 2017 में नागपुर में तैनाती के दौरान उन्हेंं पीठ दर्द की शिकायत हुई थी। 

डॉक्टर से सलाह ली तो उन्होंने घर में ही स्थेटिक साइकिल पर व्यायाम करने की सलाह दी। बचपन से खेल-कूद में अव्वल रहे लियाकत को घर में साइकिल चलाना ज्यादा दिन रास नहीं आया और उन्होंने घर से बाहर निकलकर साइकिल चलाना शुरू कर दिया। उसी माह उन्होंने 25 किलोमीटर की दूरी साइकल से तय की। 

इसके बाद नवंबर 2017 में महाराष्ट्र सरकार की ओर से आयोजित 100 किलोमीटर साइकिल दौड़ में हिस्सा लिया। यहीं से वह पेशेवर साइकिलिस्ट की दौड़ में शामिल हो गए और मार्च 2019 तक सुपर रेंडोन्योर बनने का सफर तय कर डाला। 

यह खिताब उन्हें फ्रांस के ऑडेक्स क्लब पर्शीयन ने निर्धारित समय के भीतर 1500 किलोमीटर की साइकिल दौड़ पूरी करने पर दिया। सुपर रेंडोन्योर बनने के बाद वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय साइकिलिंग प्रतियोगिता में भाग लेने के पात्र बन गए। लियाकत अली कहते हैं कि हमें अपने दैनिक जीवन में रोजाना कम से कम आधा घंटा साइकिल चलाने की आदत डालनी चाहिए।

एक्सपर्ट की बात

देहरादून के फिटनेस एंड एवोल्यूशन जिम के संचालक एवं फिटनेस एक्सपर्ट विकास यादव का कहना है कि साइकिलिंग खुद को फिट रखने का सबसे अच्छा तरीका है। साइकिल चलाने से पसीना आता है और हानिकारक तत्व शरीर से बाहर निकलते हैं। यह वजन कम करने का भी सबसे अच्छा तरीका है। उनका कहना है कि जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है, उन्हें रोजाना आधा घंटा साइकिल चलानी चाहिए। इससे वजन नियंत्रित रहता है। साइकिल चलाने से इंसुलिन बनाने वाले सेल्स अधिक सक्रिय होते हैं। साइकिल चलाना पैदल चलने से भी ज्यादा लाभकारी व्यायाम है। 

शॉकर और डिस्क ब्रेक का क्रेज

समय बदलने के साथ साइकिल के डिजाइन से लेकर इसे चलाने की तकनीक तक बदल चुकी है। पहले पैडल पर पूरी जान लगाकर साइकिल आगे जाती थी, अब गेयर वाली साइकिलों ने यह काम आसान कर दिया है। 

ह्यूजन 

हल्के और एल्युमिनियम के फ्रेम वाली यह साइकिल युवाओं की पहली पसंद है। 12 गियर वाली इस साइकिल में डबल डिस्क ब्रेक हैं। वजन सिर्फ 14 किलो। यह साइकिलिंग के लिए बेहतर मानी जाती है। इस साइकिल से कई किलोमीटर का सफर करने के बाद भी थकान नहीं के बराबर होती है। इस साइकिल की कीमत साढ़े 12 हजार रुपये से लेकर 22 हजार तक है।

पैरामाउंट पोर्टेबल 

22 हजार रुपये की शुरुआती कीमत वाली इस साइकिल की खास बात यह है कि यह पोर्टेबल है। यानी कि इसे आप कार की डिक्की में रखकर कहीं भी ले जा सकते हैं। एल्युमिनियम फ्रेम, डबल डिस्क ब्रेक, शॉकर और मोटे पहिये इसे स्पोर्टी लुक देते हैं। साइकिल कारोबारी समीर नरूला बताते हैं कि हल्की होने के कारण इसकी मांग ज्यादा रहती है।

स्कॉट 

40 हजार शुरुआती कीमत वाली यह साइकिल सबसे महंगी साइकिलों में से एक है। यह हाल ही में बाजार में आई है। हालांकि, कीमत ज्यादा होने के कारण यह काफी कम बिकती है। 

लॉकडाउन में बढ़ी साइकिल की मांग, 60 फीसद युवा खरीदार

लॉकडाउन में जिम बंद हुए तो व्यायाम के लिए साइकिल की सवारी लोगों की पहली पसंद बन गई। खासकर युवाओं में साइकिल के प्रति ज्यादा क्रेज देखा गया। यानी कि युवा पीढ़ी अपनी और पर्यावरण की सेहत के प्रति गंभीर है। यह भविष्य के लिए सुखद संकेत भी है। 

साथ ही बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी साइकिलिंग करती नजर आईं। बाजार पर भी इसका पॉजिटिव इफेक्ट पड़ा और साइकिल कारोबार 20 फीसद बढ़ गया। कुल उपभोक्ताओं में 60 प्रतिशत ग्राहक युवा थे। साइकिल कारोबारियों ने बताया कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में साइकिल बाजार इस समय उम्मीद के मुताबिक चल रहा है। 

घंटाघर के साइकिल कारोबारी ऋषभ ने बताया कि लॉकडाउन से पहले रोजाना पांच साइकिल बिकती थीं, लेकिन इन दिनों सात से आठ साइकिल की बिक्री हो रही है। इनमें पांच यूथ साइकिल बिकती हैं। कारोबारी सुनील आहूजा ने बताया कि लॉकडाउन से पहले के मुकाबले अब कारोबार को संतोषजनक कहा जा सकता है। 

पहले रोजाना 10 साइकिल बिकती थीं। अब हर दिन 12 या इससे ज्यादा साइकिल बिक जाती हैं। बच्चों की साइकिल की मांग कम है। 60 फीसद यूथ साइकिल बिक रही हैं। चकराता रोड पर साइकिल की दुकान चलाने वाले जीतू ने बताया कि प्रोफेशनल साइकिल की मांग बढ़ी है। लॉकडाउन से पहले जहां रोज आठ साइकिल बिक रही थीं। अब रोजाना 10 की बिक्री हो रही है।

रोजाना साइकिलिंग के फायदे

-शरीर का रक्त संचार सुधरता है। इससे हार्ट को ब्लड की सप्लाई होती है। जिससे वह स्वस्थ रहता है।

-मस्तिष्क में नई कोशिकाएं बनती हैं। इससे मस्तिष्क की ताकत बढ़ती है।

-शरीर की एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न होती है। इससे फैट घटाने में मदद मिलती है।

-मस्तिष्क में हेल्प हार्मोंस बनने लगते है। इससे स्ट्रेस दूर होता है।

-पूरे शरीर की एक्सरसाइज होती है, जिससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं। 

-रक्त कोशिकाओं और त्वचा में ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई होती है। इससे त्वचा में निखार आता है और उम्र का असर कम होता है।

कभी चार पहियों की थी साइकिल

1418 में जिओवानी फोंटाना नामक एक इटली के इंजीनियर ने चार पहिया वाहन जैसा कुछ बनाया था। जिसे पहली साइकिल माना गया। 1813 में एक जर्मन अविष्कारक ने साइकिल बनाने का जिम्मा लिया। 1870 में उसकी बनाई साइकिल का फ्रेम धातु और टायर रबर के थे। 1870 से 1880 तक इस तरह की साइकिल को पैनी फार्थिंग कहा जाता था जिसको अमेरिका में बहुत लोकप्रियता मिली।  

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कब से शुरू हुआ साइकिल दिवस मनाना

संयुक्त राष्ट्र ने पहला आधिकारिक विश्व साइकिल दिवस तीन जून 2018 को मनाया था। इस दिवस का उद्देश्य दैनिक जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाना है। साइकिल परिवहन का स्वच्छ और सस्ता माध्यम है। इससे किसी भी किस्म का प्रदूषण नहीं होता। 

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