क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत बढ़े रजिस्ट्रेशन
क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ने लगी है। राजधानी देहरादून में ही यह आंकड़ा तकरीबन 300 तक पहुंच गया है।
देहरादून, [जेएनएन]: क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पर शासन और निजी चिकित्सकों के बीच जहां तनातनी बढ़ी, वहीं पिछले कुछ दिन में रजिस्ट्रेशन भी बढ़ गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब निजी अस्पताल व नर्सिग होम पंजीकरण के लिए आगे आने लगे हैं। जनपद देहरादून में ही यह आंकड़ा तकरीबन 300 तक पहुंच गया है। जबकि प्रदेशभर में इनकी संख्या अब एक हजार के आसपास है।
क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को केंद्र सरकार ने 2010 में पारित कर दिया था। साथ ही सभी राज्यों को इसे कड़ाई से लागू कराने की बात कही थी। उत्तराखंड में यह एक्ट साल 2013 में विधानसभा में पारित किया गया, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया जा सका है। आइएमए इस मामले में हरियाणा की तर्ज पर 50 बेड के अस्पतालों को एक्ट के तहत पंजीकरण में छूट देने की मांग कर रहा है। सरकार व शासन के साथ उसकी कई दौर की वार्ता हो चुकी है, पर समाधान अब तक नहीं निकल पाया है।
ऐसे में एक्ट के तहत अस्पतालों के पंजीकरण पर भी ब्रेक लग गया था। अब हाईकोर्ट ने सरकार को बगैर लाइसेंस संचालित अस्पतालों और क्लीनिकों को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश जारी किया है। जिसके बाद से आइएमए इस मुद्दे फिर मुखर हो गया है। इस ओर कोई ठोस निर्णय न होने पर 15 सितंबर से हड़ताल पर जाने की भी चेतावनी दी है। बहरहाल, इस बीच हाईकोर्ट के आदेश का भी असर होता दिख रहा है। एक्ट के तहत होने वाले पंजीकरण में एकाएक तेजी आ गई है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि देहरादून में अभी तक 174 अस्पतालों ने पंजीकरण कराया था।
न्यायालय का आदेश आने के बाद अब यह संख्या 300 के आसपास पहुंच गई है। यह अस्थायी पंजीकरण हैं। सीएम के सलाहकार ने बुलाई बैठक एक्ट को लेकर निजी अस्पताल व स्वास्थ्य विभाग के बीच खाई बढ़ती जा रही है। विभाग का कहना है कि निजी अस्पताल संचालकों को नियमानुसार पंजीकरण कराने के साथ-साथ व्यवस्थाएं सुधारनी होंगी। दूसरी ओर मामले को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य सलाहकार डा. नवीन बलूनी ने मंगलवार को एक्ट को लेकर आइएमए पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है।
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