बागीचों के पुनर्जीवीकरण व विस्तार को बनेगी योजना
सीएम ने राज्य में सेब नाशपाती समेत अन्य फलों के बागों के पुनर्जीविकरण और विस्तारीकरण के लिए भरसार विवि और जीबी पंत विवि के कुलपतियों की एक समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। किसानों के स्किल डेवलपमेंट की योजना बनाई जाए।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। औद्यानिकी को आर्थिकी का महत्वपूर्ण जरिया बनाने की दिशा में सरकार गंभीरता से कदम बढ़ाने जा रही है। इस कड़ी में सेब, नाशपाती समेत अन्य फलों के बागीचों के पुनर्जीवीकरण व विस्तारीकरण के लिए योजना तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के साथ कृषि, उद्यान व रेशम विभागों की समीक्षा बैठक में इसके निर्देश दिए। योजना के लिए सुझाव देने के मद्देनजर पंतनगर और भरसार विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की समिति गठित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने किसानों के कौशल विकास की योजना बनाने, वन्यजीवों से फसल क्षति के मद्देनजर सर्वे कराने के निर्देश भी दिए।मुख्यमंत्री ने फलों की खेती को आधुनिकतम तकनीक के उपयोग से लाभप्रद बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जरूरत पडऩे पर फल प्रजातियों को दूसरी किस्मों से भी बदला जा सकता है। इसके लिए उद्यान विभाग को प्रभावी ढंग से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि फार्मर्स मशीनरी बैंक किसानों के लिए लाभप्रद हो रहे हैं। कोशिश ये हो कि अधिकाधिक गांव इसके अंतर्गत आएं। उन्होंने सूक्ष्म सिंचाई पर फोकस करने को कार्ययोजना बनाने को भी कहा।वन्यजीवों से फसल क्षति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी समस्या है।
सूअर, बंदर समेत अन्य जानवरों से खेती को पहुंच रहे नुकसान के मद्देनजर सर्वे कराया जाए और जिन क्षेत्रों में स्थिति गंभीर है, वहां प्राथमिकता के आधार पर तारबाड़, दीवार जैसे कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि एवं औद्यानिकी से जुड़े शिक्षण संस्थान, खासकर भरसार व पंतनगर विवि अपने निकटवर्ती गांवों में कार्य करें। छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान के लिए गांवों में भेजा जाए। साथ ही कीड़ा जड़ी, मशरूम जैसे उत्पादों पर शोध की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने चाय बोर्ड की बैठक जल्द आयोजित करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि अधिकारी फील्ड में जाएं और किसानों से मिलकर उनकी दिक्कतों का निदान कराएं।
दो साल में 1300 थ्री-के आउटलेट
कृषि मंत्री उनियाल ने बताया कि जैविक उत्पादों के विपणन के लिए दो साल में राज्य में 1300 थ्री-के (कृषि एवं कृषक कल्याण) आउटलेट बनाने का लक्ष्य है। राज्य में एकीकृत फार्मिंग की दिशा में काम चल रहा है। हरिद्वार में किसानों ने गन्ने की जगह लेमनग्रास की खेती शुरू की है, जिसके बेहतर नतीजे आए हैं।
-राज्य में अब तक 230 कस्टम हायरिंग सेंटर, 1444 फार्मर्स मशीनरी बैंक स्थापित।
-परंपरागत कृषि विकास योजना में 78 हजार हेक्टेयर क्षेत्र आच्छादित, 1.95 लाख किसानों को लाभ।
-वर्तमान में जैविक कृषि का क्षेत्रफल बढ़कर 1.54 लाख हेक्टेयर हुआ।
-94 गांवों में वन्यजीवों से खेती की सुरक्षा को 101 किमी तारबाड़ का निर्माण।
-प्रदेश के 8.82 लाख किसानों को मुहैया कराए गए मृदा स्वास्थ्य कार्ड।
-मृदा परीक्षण की संस्तुतियां अपनाने से 212 करोड़ के 1.17 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों की खपत हुई कम, 202 करोड़ के अनुदान की बचत।