Move to Jagran APP

डेंजर जोन को पार कर चारधाम पहुंचे रिकार्ड श्रद्धालु

अभी तक तमाम बाधाओं को पार कर 22.50 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की, जो 2013 की आपदा के बाद सबसे बड़ी संख्या है, जबकि यात्रा की समाप्ति को दो माह शेष हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 09:15 AM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 04:14 PM (IST)
डेंजर जोन को पार कर चारधाम पहुंचे रिकार्ड श्रद्धालु
डेंजर जोन को पार कर चारधाम पहुंचे रिकार्ड श्रद्धालु

देहरादून, [जेएनएन]: 'ट्रीटमेंट' के बावजूद, चारधाम यात्रा मार्गों के खतरनाक भूस्खलन जोन इस मानसून भी कहर बन कर टूटे। कुल 1870 घंटे यात्रा रुकी रही, लेकिन तमाम बाधाओं को पार कर 22.50 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा की, जो 2013 की आपदा के बाद सबसे बड़ी संख्या है, जबकि यात्रा की समाप्ति को दो माह शेष हैं।

loksabha election banner

विशेषकर यमुनोत्री की राह तो बरसात भर बाधित रही। यमुनोत्री हाइवे पर डाबरकोट में लगातार भूस्खलन जोन सक्रिय रहने से हाइवे लगभग 1200 घंटे अवरुद्ध रहा। बदरीनाथ हाइवे 300 घंटे व केदारनाथ हाइवे 320 घंटे बंद रहा। गंगोत्री हाइवे पर स्थिति बहुत हद तक ठीक रही और महज 50 घंटे ही धरासू बैंड के पास यह हाइवे बंद हुआ। हालांकि, बदरीनाथ, केदारनाथ व यमुनोत्री हाइवे के खतरनाक बन चुके भूस्खलन जोन पर लगातार ट्रीटमेंट के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन फिलहाल ऐसी कोई सूरत नजर नहीं आ रही, जिससे भविष्य के लिए निश्चिंत हुआ जा सके। 

सुखद यह है कि तमाम झंझावतों के बाद भी यात्रा की गति बनी रही और भूस्खलन वाले हिस्सों पर यात्री पैदल ही आवाजाही करते रहे। इसी का नतीजा है कि चारों धाम में अब तक 22.50 लाख के आसपास यात्री पहुंच चुके हैं। इनमें 8.45 लाख बदरीनाथ, 6.48 लाख केदारनाथ, 4.12 लाख गंगोत्री और 3.41 लाख यमुनोत्री पहुंचे हैं। 

बदरीनाथ हाइवे पर इस मानसून सौ किमी के दायरे में चार और भूस्खलन जोन क्षेत्रपाल, पिनोला, छिनका व नंदप्रयाग बगड़ में सक्रिय हो गए, जबकि सात पहले से ही सक्रिय हैं।

संसाधनों की कमी के चलते इन भूस्खलन जोन पर हाइवे 300 घंटे से अधिक समय तक बंद रहा, जो कि बीते वर्ष से सौ घंटे अधिक है। कई स्थानों पर तो 50 घंटे तक आवाजाही ठप रही। इससे बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब आने वाले यात्रियों को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ी। साथ ही स्थानीय लोगों को भी अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए मीलों की दूरी पैदल नापनी पड़ रही है। जिलाधिकारी चमोली स्वाति एस. भदौरिया का कहना है कि हाइवे पर भूस्खलन जोन में तत्काल मार्ग खोलने के लिए एनएच लोनिवि को संसाधन बढ़ाने को कहा गया है। 

चमोली जिले में कमेड़ा, चडुवापीपल, लंगासू, नंदप्रयाग बगड़ सहित 37 भूस्खनलन जोन बदरीनाथ तक चिह्नित किए गए हैं।

इनमें से लामबगड़, पिनोला गोङ्क्षवदघाट, मैठाणा बिरही, परथाडीप आदि का स्थायी ट्रीटमेंट कार्य चल रहा है। रुद्रप्रयाग से 62 किमी दूर गौरीकुंड हाइवे पर फाटा के पास सक्रिय खाट भूस्खलन जोन केदारनाथ यात्रा के लिए मुसीबत बन चुका है। लगातार पहाड़ी दरकने से निकटवर्ती खाट गांव मुसीबत में है। धीरे-धीरे यह भूस्खलन जोन खाट गांव की ओर बढ़ रहा है और गांव से इसकी दूरी महज पांच मीटर रह गई है।

बात यमुनोत्री हाइवे की करें तो यहां डाबरकोट भूस्खलन जोन का खतरा टल नहीं रहा। वैज्ञानिकों से लेकर भूस्खलन जोन का उपचार करने वाली कंपनियां भी डाबरकोट का सर्वे कर चुकी हैं, लेकिन डाबरकोट का स्थायी समाधान नहीं निकल रहा। यह स्थिति तब है, जब डाबरकोट भूस्खलन जोन के बीच हाइवे को खोलने और वैकल्पिक रास्ता तलाशने पर 1.50 करोड़  रुपये से अधिक की धनराशि खर्च हो चुकी है। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड बड़कोट के ईई नवनीत पांडेय बताते हैं कि बीते एक वर्ष में डाबरकोट का कई वैज्ञानिक सर्वे कर चुके हैं। 

काम आया आपदा प्रबंधन रिस्पांस सिस्टम 

आपदा के बाद यह पहला मानसून है, जब गंगोत्री हाइवे पर नासूर बन चुके डेंजर जोन सक्रिय नहीं हुए। हालांकि, हर्षिल और धराली के पास हाइवे अवरुद्ध होने से थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन आपदा प्रबंधन के रिस्पांस सिस्टम ने यात्रा पर इसका असर नहीं पडऩे दिया। डीएम उत्तरकाशी डॉ. आशीष चौहान ने बताते हैं कि रिस्पांस सिस्टम के बेहतर ढंग से काम करने के कारण इस बार स्थिति काफी हद तक सुकून वाली रही और अलग-अलग दिनों में करीब 50 घंटे ही धरासू बैंड के पास हाइवे बंद हुआ। हर्षिल और धराली में भी हाइवे बंद हुआ, लेकिन पुराने डेंजर जोन ने परेशान नहीं किया। 

यह भी पढ़ें: झरनों के सुमधुर संगीत से गूंज रही है गंगा घाटी, पर्यटकों के लिए बना आकर्षण का केंद्र

यह भी पढ़ें: ट्रैकरों के लिए अच्छी खबर, 16 सितंबर से खुल जाएंगे हिमालय के ट्रैकिंग रूट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.