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चंपावत में करोड़ों का घपला, विजिलेंस जांच की सिफारिश

ऑडियो वायरल होने के बाद विवादों में आए चंपावत वन प्रभाग के डीएफओ एके गुप्ता के खिलाफ शिकंजा कस गया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 09:39 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 08:49 PM (IST)
चंपावत में करोड़ों का घपला, विजिलेंस जांच की सिफारिश
चंपावत में करोड़ों का घपला, विजिलेंस जांच की सिफारिश

देहरादून, [केदार दत्त]: लीसा ठेकेदार से कमीशन मांगने का ऑडियो वायरल होने के बाद विवादों में आए चंपावत वन प्रभाग के डीएफओ एके गुप्ता के खिलाफ शिकंजा कस गया है। उनके कार्यकाल में पिछले छह सालों के दौरान प्रभाग में हुए कार्यों की जांच में करोड़ों का घपला सामने आया है। जहां गुलिया-छिलका के नाम पर बड़े पैमाने पर आरक्षित और पंचायती वनों में चीड़ के पेड़ों का बेरहमी से कत्ल किया गया, वहीं लीसा मद में पांच करोड़ से अधिक के अनियमित वित्तीय व्यय की बात सामने आई है। 

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जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस अवधि में कदम-कदम पर वृक्ष संरक्षण अधिनियम, इमारती लकड़ी एवं अन्य वन उपज अभिवहन नियमावली, शासनादेशों की खुली अवहेलना की गई। जांच अधिकारी वन संरक्षक अनुसंधान वृत्त संजीव चतुर्वेदी ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसे राज्य सतर्कता ब्यूरो को सौंपने और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के  तहत कार्रवाई करने के साथ ही वसूली की सिफारिश की है। उधर, वन विभाग के मुखिया पीसीसीएफ आरके महाजन के मुताबिक जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है और जल्द ही इसे शासन को भेज दिया जाएगा।

इस साल सितंबर में कमीशन मांगने का ऑडियो वायरल होने और इसके सुर्खियां बनने के बाद शासन ने इसे संज्ञान लिया और फिर चंपावत के डीएफओ एके गुप्ता को तत्काल प्रभाव से प्रशासनिक आधार पर प्रमुख वन संरक्षक कार्यालय से संबद्ध कर दिया था। साथ ही प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) आरके महाजन ने कमीशन मामले के साथ ही डीएफओ गुप्ता के छह साल के कार्यकाल के दौरान हुए कार्यों की जांच वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी को सौंप दी।

आइएफएस चतुर्वेदी ने गहन जांच के बाद अपनी रिपोर्ट विभाग मुख्यालय को भेज दी है। इसमें छह साल के दौरान चंपावत वन प्रभाग में करोड़ों का घपला उजागर हुआ है।

जांच रिपोर्ट के अनुसार नाप भूमि से गुलिया-छिल्का संग्रहण एवं निकासी परमिट तो दिए गए, लेकिन इसकी बजाए बड़े पैमाने पंचायती और आरक्षित वनों से चीड़ के पेड़ काटे गए। यही नहीं, लीसा मद में 5.63 करोड़ का अनियमित व्यय किया गया। और तो और खाली टिन की आपूर्ति, नर्सरी पौध, देयकों का कैश के रूप में भुगतान समेत अन्य मामलों में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गईं। रिपोर्ट के मुताबिक इस कृत्य में वन आरक्षी से लेकर डीएफओ और यहां तक की चेक पोस्टों पर तैनात कार्मिकों की संलिप्तता की बात सामने आई है।

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