कांटेक्ट ट्रेसिंग की असल चुनौती अब आ रही सामने, पढ़िए पूरी खबर
प्रवासी नागरिकों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसमें से कुछ के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद से सवाल खड़ा हो गया है कि इन लोगों के संपर्क में आए लोगों की तलाश कैसे की जाए।
देहरादून, जेएनएन। अन्य राज्यों से उत्तराखंड पहुंच रहे प्रवासी नागरिकों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, इसमें से कुछ के कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद से सवाल खड़ा हो गया है कि इन लोगों के संपर्क में आए लोगों की तलाश कैसे की जाए। कैसे पता लगाया जाए कि इन लोगों ने कितने लोगों को संक्रमित किया। गंभीर सवाल ये है कि अगर इन्हें समय रहते ट्रेस नहीं किया गया तो स्थिति आने वाले दिनों में बेहद गंभीर हो सकती है।
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज आने वाले जमातियों की सफलतापूर्वक कांटेक्ट हिस्ट्री तलाश कर चुकी उत्तराखंड पुलिस के सामने अब उससे भी बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि जमातियों की पूरी डिटेल दिल्ली पुलिस और खुफिया तंत्र ने चंद दिनों में ही खोज निकाली थी। जिससे उत्तराखंड पुलिस का काम बेहद आसान हो गया था। मगर अब जो प्रवासी आ रहे हैं, उनमें से कईयों ने संबंधित राज्य में या तो पंजीकरण नहीं कराया या फिर पंजीकरण के बाद भी निजी साधन से उत्तराखंड आ गए।
यह सभी चोरी-छिपे बाइक, ऑटो या अन्य साधनों से उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। हाल ही में उधमसिंह नगर और उत्तरकाशी में ऐसे ही मामले आ चुके हैं। जिनकी वजह से कोरोना का खतरा और बढ़ गया है। ऐसे में सवाल यह है कि निजी साधनों से आने वाले लोग कब कहां और कितने लोगों के संपर्क में आए और उनमें से कौन-कौन उनसे संक्रमित हुआ, इसका पता लगाना चुनौती बन गई है। यह चुनौती इसलिए भी बड़ी है कि अब पुलिस के सामने लॉकडाउन का पालन कराने के साथ खुल रहे बाजारों में यातायात और कानून व्यवस्था पर भी ध्यान देना है। साथ ही डेढ़ महीने से ठप पड़े अन्य काम में भी तेजी आने लगी है।
पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) अशोक कुमार ने कहा कि निजी साधनों या चोरी-छिपे आ रहे प्रवासी नागरिकों को राज्य की सीमा पर ही रोकने के निर्देश दिए गए हैं। उन्हें हर हाल में घर जाने से पहले क्वारंटाइन में रखा जाएगा। कोरोना टेस्ट निगेटिव आने पर ही उन्हें घर भेजा जाएगा।
राज्य के भीतर कांटेक्ट हिस्ट्री जुटाने पर जोर
महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा समेत अन्य राज्यों से उत्तराखंड की सीमा में दाखिल हुए लोगों ने सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा की है। अब पूरी यात्र के दौरान की कांटेक्ट हिस्ट्री तलाशना असंभव भले ना हो, लेकिन चुनौती जरूर है। ऐसे में उत्तराखंड पुलिस यह कोशिश कर रही है कि राज्य की सीमा में दाखिल होने के बाद वह किन-किन लोगों के संपर्क में आए, केवल उनकी तलाश की जाए। अन्य राज्यों की कांटेक्ट हिस्ट्री के बारे में संबंधित राज्य की पुलिस को सूचना भेज दी जाए।
दून अस्पताल में अब सैंपल कलेक्शन बूथ
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में लैब टेक्नीशियनों को कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए सैंपल कलेक्शन बूथ बनाया गया है। जिसमें अंदर की तरफ टेक्नीशियन रहेगा और बाहर सैंपल देने वाला मरीज। प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से बचाना पहली प्राथमिकता है। उन्हें तमाम सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। अब सैंपल कलेक्शन बूथ भी बनाया गया है। ताकि मरीज का बाहर से ही सैंपल दे लिया जा सके। इससे कर्मचारी मरीज के संपर्क में नहीं आएगा। इसमें यूटिलिटी ग्लव्स इनबिल्ट हैं। जिसका फायदा यह है कि इससे संक्रमण के फैलने की कोई संभावना नहीं रहती। अब तक कर्मचारी कोरोना संदिग्ध को सामने बैठाकर उसका सैंपल लेते थे।
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