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रामलीला के मंचन देखने को पंडालों में उमड़ रही लोगों की भीड़ Dehradun News

इन दिनों देहरादून में रामलीलाओं की धूम है। विभिन्न रामलीला समितियों की ओर से आयोजित रामलीला मंचन को देखने के लिए लोगों में भी उत्साह बना हुआ है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 12:41 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 12:41 PM (IST)
रामलीला के मंचन देखने को पंडालों में उमड़ रही लोगों की भीड़ Dehradun News
रामलीला के मंचन देखने को पंडालों में उमड़ रही लोगों की भीड़ Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। इन दिनों देहरादून में रामलीलाओं की धूम है। विभिन्न रामलीला समितियों की ओर से आयोजित रामलीला मंचन को देखने के लिए लोगों में भी उत्साह बना हुआ है। हालांकि पहले की तरह अब देर रात तक रामलीला का मंचन नहीं होता।  

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पहले कभी रात नौ बजे से शुरू होने वाली रामलीला का मंचन रात से दो बजे से ज्यादा देर कर होता था। अब लोग ज्यादा देर तक रामलीला पंडाल में नहीं रुकते। ऐसे में अब रामलीला समितियों ने भी देर रात तक रामलीला के मंचन की बजाय रात करीब बारह बजे तक का समय ही तय किया है। इस दौरान रामलीला के पंडालों में फिर से लोगों की भीड़ जुटने लगी है। 

देहरादून के राजपुर में रामानंदी शैली की रामलीला होती है। श्री आदर्श रामलीला सभा राजपुर की ओर से आयोजित रामलीला में सीता खोज, शबरी भेंट, राम सुग्रीव मित्रता, बाली वध, लंका दहन का मंचन किया गया। 

पंचायती धर्मशाला में चल रही रामलीला में राम लक्ष्मण दोनों सीता की खोज में निकले। जंगलों में भटकने के दौरान उनकी साध्वी शबरी से मुलाकात होती है जो सालों से राम के इंतजार में तपस्या कर रही है। जब राम पहुंचते हैं तो खुशी उसके आंखों से आंसू बहने लगते हैं। 

वह राम को झूठे बेर खेर खिलाती है। राम भी प्रेम से शबरी के झूठे बेर खाकर प्रेम का संदेश देते हैं। इसके बाद राम लक्ष्मण का हनुमान से मिलना और सुग्रीव से दोस्ती होती है। सुग्रीव के कहने पर राम बाली का वध करते हैं। बाद में सीता की खोज में हनुमान सात समुंदर पार लंका पहुंचते हैं। वहां लंका में आग लगा देते हैं। इस दौरान जय भगवान साहू, अजय गोयल, नरेंद्र अग्रवाल आदि मौजूद थे।

जब मूर्छित पड़े लक्ष्मण और हनुमान लाए संजीवनी 

ऋषिकेश में श्री रामलीला कमेटी सुभाष बनखण्डी के रंगमंच पर सुलोचना महल और लक्ष्मण शक्ति की लीला दिखाई गई। सुलोचना महल में दिखाया गया कि मेघनाद की पत्नी सुलोचना अपने महल में पति का इंतजार कर रही है।  जब मेघनाद पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि वह युद्ध में भाग लेने जा रहे हैं। इस पर सुलोचना थोड़ा डर जाती है और अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है।

रामलीला के रंगमंच पर मेघनाद और सुलोचना के बीच सुंदर प्रसंग का मंचन किया गया। वहीं लक्ष्मण शक्ति में दिखाया गया कि मेघनाद जब छल कपट से भी लक्ष्मण को हरा नहीं पाया तो उसने हनुमान की आड़ में युद्ध करने का आरोप लगाया। स्वाभिमानी लक्ष्मण ने हनुमान को कहीं दूसरी जगह युद्ध की कमान संभालने का आग्रह किया। तब मौका देखकर मेघनाद ने ब्रह्मफास से लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। मरा हुआ जानकर युद्ध भूमि से चला गया।

इसके पश्चात हनुमान ने देखा कि लक्ष्मण मूर्छित पड़े हैं तो वह उन्हें उठाकर रामा दल में ले आए। जहां दुख और कोहराम मच गया। श्री राम का विलाप देखकर हनुमान लंका से रावण के राजकीय वैद्य सुसैन को लेकर आए। उसने बताया कि संजीवनी पर्वत पर इसकी बूटी है और सुबह होने तक अगर यह लक्ष्मण को दी जाये तो, इन के प्राण बच सकते हैं। 

राम की आज्ञा पाकर हनुमान संजीवनी बूटी लेने चले जाते हैं। और संजीवनी बूटी ना मिलने पर पूरा संजीवनी पर्वत ही उठा लाते है। सुसैन वैद लक्ष्मण को वह बूटी खिलाते हैं जिससे उनके प्राण वापस लौट आते हैं। 

इस अवसर पर श्री रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, निर्देशक मनमीत कुमार, रोहताश पाल, हुकुमचन्द्र, सुरेन्द्र कुमार, दीपक जोशी, राजेश दिवाकर, विनोद रतूडी, पप्पू पाल, मिलन, सुनील नेगी, नीतीश पाल, शशांक पाल, सुभाष पाल, प्रशांत पाल, ललित शर्मा, अशोक मौर्य, संजय शर्मा, राजू कुशवाहा आदि उपस्थित रहे।

धू-धू कर जल गई रावण की लंका 

ऋषिकेश के भरत विहार में श्री भरत रामलीला दशहरा कमेटी की ओर से आयोजित रंगमंच पर लीला का शुभारंभ सिख समाज, जाट महासभा व ङ्क्षसधी बिरादरी के सभी पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर के किया। इस दौरान श्री भरत रामलीला दशहरा कमेटी के मंच पर इफेक्ट द्वारा अशोक वाटिका का दृश्य दिखाया गया। 

अशोक वाटिका में रावण सीता के पास आया और सीता माता उसे चेतावनी देती है। जिसके पश्चात रामदूत हनुमान सीता की खोज करते वाटिका आते है और सीता मां के आशीर्वाद से अशोक वाटिका के फल खाकर अपनी भूख शांत करते हैं। रावण पुत्र अक्षय कुमार के वध के बाद इंद्रजीत मेघनाथ हनुमान जिनको ब्रह्मपाश में बांध कर रावण के पास ले जाता है व संवाद के उपरांत हनुमान उसे चेतावनी देते हैं, लेकिन रावण की हठ के कारण पूंछ में आग लगाने की आज्ञा देता है और हनुमान लंका को जला कर खाक कर देते हैं। 

इस दौरान दर्शकों एलईडी पर लहलहाते खेत, पर्वत, हिलते वृक्ष, उड़ते पक्षी, पर्वत, आकाश और वन देखकर मन्त्रमुग्ध हो उठे। रामलीला के अंत में लंका दहन का सजीव दृश्य देख कर दर्शक रोमांचित हो गये। 

कुंभकरण व मेघनाथ के वध का मंचन

सरस्वती कला मंच की ओर से बाबूगढ़ में आयोजित रामलीला में कुंभकरण वध, मेघनाथ वध का मंचन किया गया। जिसमें कलाकारों ने लोगों की तालियां बटोरी। वहीं नवयुवक रामलीला समिति की ओर से तिकोना पार्क में सेतु बंध, रामेश्वर दर्शन, रावण अंगद संवाद, लक्ष्मण शक्ति, हनुमान भरत मिलन किया गया। नेहरू मार्केट समिति की ओर से आयोजित रामलीला में रावत सीता संवाद, कुंभकरण, मेघनाथ, अहिरावण वध व राम रावण युद्ध लीलाओं का मंचन किया गया। 

रामलीला को देखने के लिए देर रात तक दर्शक पंडाल में बैठे रहे। बीच बीच में रामलीला को रोचक बनाने को गीतों पर आकर्षक नृत्य भी कर कलाकार दर्शकों को बांधे रहे। देर रात तक दर्शकों ने रामलीला का आनंद लिया।

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रामलीला मंचन के दौरान बाबूगढ़ में सरस्वती कला मंच अध्यक्ष विनीत रोहिला, नवनीत वर्मा, विकास शर्मा, लक्ष्मी प्रसाद कोठियाल, तिकोना पार्क में नवयुवक रामलीला समिति अध्यक्ष नीरज चौहान, वीर सिंह, दिवाकर नाथ यादव और नेहरू मार्केट डाकपत्थर समिति अध्यक्ष प्रदीप बंसल, गोपाल बिहारी, मस्तराम, गबर सिंह सुरियाल, विजय कुमार आदि शामिल रहे। 

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