Move to Jagran APP

सांसद बलूनी ने पौड़ी के बौर गांव को लिया गोद

भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख और उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने पौड़ी गढ़वाल जिले के अंतर्गत दुगड्डा ब्लॉक के गैरआबाद गांव बौर को गोद लेने का फैसला किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 08:00 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:00 PM (IST)
सांसद बलूनी ने पौड़ी के बौर गांव को लिया गोद
सांसद बलूनी ने पौड़ी के बौर गांव को लिया गोद

राज्य ब्यूरो, देहरादून

loksabha election banner

भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख और उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने पौड़ी गढ़वाल जिले के अंतर्गत दुगड्डा ब्लॉक के गैरआबाद गांव बौर को गोद लेने का फैसला किया है। इस गांव को मॉडल गांव के रूप विकसित करते हुए फिर से आबाद करने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए जल्द ही गांव के प्रवासियो के साथ बैठक की जाएगी। राज्य के इतिहास में पहली बार किसी सांसद ने निर्जन गांव को गोद लिया है। इससे रिवर्स माइग्रेशन के सपनों को पूरा करने की दिशा में अभिनव पहल के रूप में देखा जा रहा है।

राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने बताया कि इस गांव को पुनर्जीवित करने के लिए गांव को मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और रोजगार से जोड़ा जाएगा ताकि गांव अपने पूर्व स्वरूप में आबाद हो सके। उन्होंने कहा कि देवभूमि में पलायन की समस्या काफी भयावह बनती जा रही है, तमाम गांव धीरे-धीरे खाली होते जा रहे हैं। इससे राज्य की महान संस्कृति विलुप्ति की कगार पर है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने राज्य की विशिष्ट संस्कृति और परंपरा को पुन: प्रतिष्ठित करने के लिए कटिबद्ध हों। उन्होंने कहा कि निर्जन गांवों को आबाद करने का यह प्रयास उत्तराखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगा। जो नौजवान रोजगार के लिए गांव छोड़ने को मजबूर हुए हैं, उन्हें वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराकर रिवर्स माइग्रेशन के द्वारा गांवों को आबाद करने की शुरुआत की जा रही है।

बलूनी ने कहा कि बौर गांव को अंगीकृत करने के साथ-साथ अन्य गैरआबाद गांवों को पुनर्जीवित करने की कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई है। इसके तहत वह उत्तराखंड के प्रवासी परिवारों व संगठनों के साथ संवाद करेंगे। उत्तराखंड के लाखों प्रवासी, जो दिल्ली, लखनऊ, बरेली, मेरठ, गाजियाबाद, चंडीगढ़, भोपाल, इंदौर, जयपुर, मुंबई आदि शहरों में बस गए हैं, उन सबसे चर्चा कर गांवों को फिर से आबाद करने का प्रयास किया जाएगा। उनकी समस्या व मांगों के निराकरण के लिए प्रयास किया जाएगा। प्रवासियों से संवाद अभियान के माध्यम से उत्तराखंड के कौथीग (मेले), ऋतुपर्व और पारंपरिक आयोजनों को पुनर्जीवित करने के लिए संपर्क किया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.