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    Rajat Jayanti Uttarakhand: शहरी जनसंख्या में 15 लाख से ज्‍यादा की बढ़त, कायाकल्प की गवाह 9,000 करोड़ की परियोजनाएं

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 11:59 PM (IST)

    उत्तराखंड ने स्थापना के 25 वर्षों में शहरी विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है। शहरी आबादी में 15 लाख की वृद्धि हुई है, और राज्य सरकार 9,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के माध्यम से शहरों को स्मार्ट, हरित और डिजिटल बनाने का प्रयास कर रही है। शहरी गरीबों के आवास, पेयजल और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन में भी राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है।

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    उत्तराखंड में शहरी जनसंख्या में लगभग 15 लाख से अधिक की वृद्धि। प्रतीकात्‍मक

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। विषम भौगाेलिक परिस्थितियों वाले मध्य हिमालयी राज्य उत्तराखंड ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक के 25 वर्ष के सफर में शहरी विकास की दिशा में लंबी छलांग लगाई है। इस अवधि में शहरों की ओर रुझान तेजी से बढ़ा है। शहरी जनसंख्या में लगभग 15 लाख से अधिक की वृद्धि हुई है और अब यह राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 35 प्रतिशत बन गई है। यद्यपि, शहरों पर बढ़ते जनसंख्या के बाेझ और इसी अनुपात में नागरिक सुविधाएं जुटाने की चुनौती भी सामने है।

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    वर्ष 2001 में शहरों में बुनियादी सेवाओं का अभाव था, वहीं आज राज्य के शहर स्मार्ट सुविधाओं, डिजिटल सेवाओं, स्वच्छता मिशन और हरित अवसंरचना से सुसज्जित हो रहे हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि सभी नगर स्वच्छ, हरित और डिजिटल बनें। करीब 9,000 करोड़ से अधिक की शहरी परियोजनाएं वर्तमान में प्रगति पर हैं, जो हिमालयी राज्य के शहरी कायाकल्प की गवाह हैं।

    राज्य गठन के समय केवल देहरादून, हरिद्वार और हल्द्वानी जैसे नगर ही प्रमुख केंद्र थे, लेकिन अब छोटे नगर पौड़ी, बागेश्वर, टिहरी, श्रीनगर तक शहरी सुविधाओं से जुड़ चुके हैं। वर्तमान में राज्य में 11 नगर निगम समेत 110 शहरी निकाय कार्यरत हैं। सरकार ने शहरों के सतत विकास का लक्ष्य रखकर शहरी गरीबों के आवास, पेयजल, सीवरेज, और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को प्राथमिकता दी तो शहरों की तस्वीर बदलती चली गई।

    शहरी विकास सुधार में अग्रणी राज्य

    राज्य में नगर निकायों को सशक्त बनाने का काम भी किया गया है। निकायों की कुल आय 25,800 करोड़ और व्यय 18,091 करोड़ है। पिछले तीन वर्षों में निकायों की आय में 90 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य की शहरी अर्थव्यवस्था अब अनुदानों पर निर्भर रहने के बजाय स्थानीय करों, भवन शुल्क और लाइसेंस फीस से मजबूत हो रही है। यही कारण है कि उत्तराखंड को नीति आयोग ने शहरी विकास सुधारों में अग्रणी राज्य की श्रेणी में रखा है।

    5,121 लाख से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण

    उत्तराखंड में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। 5,121 लाख की स्वीकृत राशि से डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण 1,269 वार्डों में चालू है। तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर 33,222 लाख खर्च हो रहे हैं, जिससे 90 किलोमीटर सीवरेज लाइन तैयार हो चुकी है। राज्य के अधिकांश नगर ओडीएफ घोषित हो चुके हैं।

    जीआइएस मास्टर प्लान से सात नगरों का विकास

    अटल नवीनीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (1.0 व 2.0) ने राज्य के जलापूर्ति ढांचे को नई दिशा दी है।पहले चरण में 593 करोड़ की 151 परियोजनाएं स्वीकृत हुईं, जिनमें से 143 पूर्ण हो चुकी हैं। दूसरे चरण में 650 करोड़ की नई योजनाएं स्वीकृत हैं, जिनमें से 276 करोड़ की धनराशि जारी हो चुकी है। राज्य में जीआइएस आधारित मास्टर प्लान से सात नगरों के विकास की रूपरेखा तैयार की गई है।

    • स्मार्ट सिटी मिशन (देहरादून व हरिद्वार) में 2000 करोड़ से अधिक के कार्य किए गए।
    • एडीबी वित्तपोषित योजनाओं से 14 नगरों में 1200 करोड़ की परियोजनाएं चल रही हैं।

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