हाथियों के लिए क्यों मुसीबत बन रहे राजाजी के गलियारे, जानिए
एलीफेंट कॉरीडोर पर फ्लाईओवर निर्माण की योजना का काम सुस्त गति से चल रहा रहा है। जिससे खासकर हाथियों को आने-जाने में परेशानी हो रही है।
रायवाला, [दीपक जोशी]: एक जंगल से दूसरे जंगल के बीच वन्य जीवों के आवागमन को निर्बाध एवं सुरक्षित बनाने के लिए हाइवे चौड़ीकरण के साथ ही इनके परंपरागत गलियारों (एलीफेंट कॉरीडोर) पर फ्लाईओवर निर्माण की योजना तो बनी, लेकिन बेहद सुस्त गति से चल रहा काम राहगीरों के साथ ही वन्य जीवों के लिए भी मुसीबत का सबब बना हुआ है। राजाजी टाइगर रिजर्व में मोतीचूर व लालतप्पड़ के पास अधूरे फ्लाईओवर वन्य जीव गलियारों को बाधित कर रहे हैं। जिससे जंगली जानवरों, खासकर हाथियों का रुख आबादी की ओर हो रहा है।
हरिद्वार से देहरादून के बीच हाइवे चौड़ीकरण में निर्माण कंपनी की सुस्ती लोगों के साथ ही वन्य जीवों पर भी भारी पड़ रही है। मोतीचूर, तीन पानी व लालतप्पड़ के पास वन्य जीवों के परंपरागत गलियारों पर फ्लाईओवर बनाए जाने हैं, ताकि उनकी आवाजाही में कोई व्यवधान न पड़े। विडंबना देखिए कि नवंबर 2010 में शुरू हुआ हाइवे चौड़ीकरण व फ्लाईओवर निर्माण का काम अब तक 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो पाया। वन्य जीव गलियारों पर पड़ी निर्माण सामग्री, मलबा, खुले छोड़ दिए गए गड्ढे, अधूरे पिलर, लोहे की बड़ी-बड़ी चादर आदि वन्य जीवों का रास्ता रोक रहे हैं।
सबसे बुरी स्थिति मोतीचूर-चीला व मोतीचूर-ऋषिकेश रेंज के बीच पड़ने वाले वन्य जीव गलियारे की है। इन दोनों स्थानों पर रास्ता बाधित होने से हाथी अक्सर पास के रिहायशी इलाकों में घुस जाते हैं। हाइवे चौड़ीकरण के लिए उक्त क्षेत्र निर्माण कंपनी को हस्तांतरित है, ऐसे में पार्क प्रशासन खुद को लाचार महसूस कर रहा है। राजाजी पार्क के निदेशक सनातन सोनकर के अनुसार यह बात सही है कि वन्य जीव गलियारे बाधित होने से वन्य जीव डिस्टर्ब हैं। इसके लिए कई बार शासन को लिखा जा चुका है और संबंधित बैठकों में भी इस मुद्दे को उठाया गया। कोशिश की जा रही है कि गलियारे जल्द से जल्द दुरुस्त हो सकें।
रेल लाइन बनी आफत
रायवाला से लेकर ऋषिकेश तक वन्यजीव गलियारे के चारों तरफ चल रहा सड़क व रेल लाइन का निर्माण कार्य वन्य जीवन पर भारी पड़ रहा है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल लाइन व चारधाम के लिए ऑल वेदर रोड का कार्य इन दिनों युद्धस्तर पर चल रहा है। बता दें कि ऋषिकेश रेंज से शिवपुरी वन रेंज के बीच कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए नया रेलवे स्टेशन व स्टील गार्डर ब्रिज बनाने का काम किया जा रहा है। वहीं, शिवपुरी वन रेंज में भद्रकाली से गंगोत्री मार्ग पर ऑल वेदर रोड के लिए कङ्क्षटग का काम हो रहा है। जबकि, यह दोनों ही हाथी बहुल क्षेत्र हैं।
नहीं हट सका आयुध भंडार
राजाजी टाइगर रिजर्व में गजराज की राह में अवरोध कम नही हैं। दरअसल, चीला-मोतीचूर वन्य जीव गलियारे की पुनर्स्थापना के लिए इसके बीच में आ रहे खांड गांव नंबर तीन के 41 परिवार तो यहां से वर्ष 2012 में ही विस्थापित कर दिए गए, लेकिन सेना का आयुध भंडार अब भी जहां का तहां है। सेना का यह क्षेत्र मोतीचूर-चीला कॉरीडोर के बीच में पड़ता है और इसे हटाए बगैर परियोजना का पूरा होना संभव नहीं है।
हालांकि, इसके लिए उच्च स्तर पर कई बार बैठक हो चुकी हैं। सूत्रों की मानें तो सेना इस आयुध भंडार को यहां से हटाने के पक्ष में नहीं है। बताया जाता है कि इसके बदले पार्क प्रशासन ने जो जमीन प्रस्तावित की, उसे सेना खारिज कर चुकी है। ऐसे में कॉरीडोर परियोजना के नाम पर अब तक खर्च हो चुके करोड़ों रुपये की एवज में उपलब्धि महज सरकारी धन की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं।
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