राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार में रडार पर आठ बिगड़ैल हाथी
राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार क्षेत्र में मुसीबत का सबब बने आठ बिगड़ैल हाथियों की पहचान कर ली गई है। ये सभी रडार पर हैं।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार क्षेत्र में मुसीबत का सबब बने आठ बिगड़ैल हाथियों की पहचान कर ली गई है। ये सभी रडार पर हैं। जल्द ही पुख्ता निगरानी के मद्देनजर इन पर रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे। हरिद्वार के डीएफओ ने इस संबंध में प्रस्ताव भी भेज दिया है। वन्यजीव महकमा अब भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से इन हाथियों की रेडियो कॉलरिंग करेगा। इस सिलसिले में 18 जुलाई को मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक और भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक बैठक कर रणनीति तैयार करेंगे।
हरिद्वार क्षेत्र में लंबे समय से हाथियों की धमाचौकड़ी ने नाक में दम किया हुआ है। लॉकडाउन के दरम्यान तो हाथी हरकी पैड़ी क्षेत्र तक आ धमके थे। हाथियों का खौफ निरंतर बना हुआ है। इसे देखते हुए पूर्व में तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी ने राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार समेत आसपास के क्षेत्र में ऐसे हाथियों की पहचान करने के निर्देश दिए, जो आबादी वाले क्षेत्र और हाईवे पर लोगों के लिए मुसीबत का सबब बने हैं। साथ ही तब इन हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने का निर्णय लिया गया, ताकि इन पर निरंतर नजर रखी जा सके।
भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से रिजर्व प्रशासन ने बिगड़ैल हाथियों की पहचान का कार्य पूरा कर लिया है। क्षेत्र में ऐसे आठ हाथी चिह्नित किए गए हैं। अब निगरानी के मद्देनजर इन्हें रेडियो कॉलर पहनाने के लिए हरिद्वार के डीएफओ ने प्रस्ताव भी वन मुख्यालय को भेज दिया है। इस पर कवायद भी प्रारंभ कर दी गई है।
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मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि हरिद्वार क्षेत्र में हाथियों पर लगाने के लिए 10 रेडियो कॉलर तैयार हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक चिह्नीत आठ हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने की प्रक्रिया शुरू करने के मद्देनजर वह 18 जुलाई को भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक डॉ. धनंजय मोहन से वार्ता करेंगे। इसके बाद तिथि तय कर चिह्नीत हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने की प्रकिया प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने कहा कि रेडियो कॉलर लगने पर इनके मूवमेंट का पता चलता रहेगा, जिससे सबंधित इलाके को सतर्क करने के साथ ही हाथियों को जंगल की तरफ खदेड़ने के लिए कदम उठाए जा सकेंगे।
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