राजाजी के निदेशक समेत पांच कार्मिकों से पूछताछ
राजाजी नेशनल पार्क की हरिद्वार रेंज के दूधिया ब्लाक में हुई खाल और मांस बरामदगी के मामले में वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जय राज ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट के मद्देनजर पार्क के निदेशक सनातन समेत पांच कार्मिकों से अलग- अलग पूछताछ की। इस दौरान जांच अधिकारी मनोज चंद्रन भी मौजूद थे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून:
राजाजी नेशनल पार्क की हरिद्वार रेंज के दूधिया ब्लाक में हुई खाल और मांस बरामदगी के मामले में वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जय राज ने जांच अधिकारी की रिपोर्ट के मद्देनजर पार्क के निदेशक सनातन समेत पांच कार्मिकों से अलग- अलग पूछताछ की। इस दौरान जांच अधिकारी मनोज चंद्रन भी मौजूद थे। पीसीसीएफ के मुताबिक अभी पूछताछ का क्रम जारी है। जांच अधिकारी की रिपोर्ट में उल्लिखित साक्ष्यों से छेड़छाड़ के सवाल को लेकर वह आश्वस्त होना चाहते हैं। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
पार्क के दूधिया ब्लाक में बीती 22 मार्च को वन मुख्यालय की टीम द्वारा की गई बरामदगी के मामले की अब मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन जांच कर रहे हैं। जांच अधिकारी ने हाल में पीसीसीएफ को सौंपी रिपोर्ट में प्रकरण में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ होने और इसमें तीन कर्मियों का हाथ होने की बात कहते हुए इनके निलंबन की सिफारिश की। साथ ही जांच प्रभावित करने के प्रयास होने का भी उल्लेख किया।
इस पर पीसीसीएफ ने मामले में पार्क निदेशक सनातन, पूर्व में जांच अधिकारी रहे वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह, हरिद्वार रेंज के आरओ अनूप गुसाई, वन दारोगा अशोक सिंह व वन आरक्षी प्रवेश कुमार से स्पष्टीकरण तलब किया। सभी की ओर से 16 अगस्त तक स्पष्टीकरण दे दिए गए। इसके बाद सोमवार को पीसीसीएफ ने पांचों को पूछताछ के लिए तलब किया।
पार्क निदेशक समेत पांचों कार्मिकों से पीसीसीएफ ने अपने कार्यालय में अलग-अलग पूछताछ की। बताते हैं कि साक्ष्यों से छेड़छाड़ के बिंदु पर ही पीसीसीएफ ने एक के बाद एक सवाल दागे। इस दरम्यान जांच अधिकारी की ओर से पार्क की तरफ से जांच में सहयोग न मिलने की बात कहे जाने पर तीखी बहस भी हुई। वहीं, देर शाम पीसीसीएफ ने कहा कि मामले में अभी पूछताछ जारी है।
जांच अधिकारी की मौजूदगी रही चर्चा में
पीसीसीएफ की ओर से पार्क निदेशक समेत पांच कार्मिकों से पूछताछ के दौरान जांच अधिकारी की मौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही। बात उठ रही कि जब जांच रिपोर्ट के बिंदुओं पर पीसीसीएफ संतुष्ट होना चाहते हैं तो फिर पूछताछ के दौरान जांच अधिकारी को क्यों बुलाया गया।