यहां अब मानसून के रहमोकरम पर है राफ्टिंग का रोमांच, जानिए
पर्यटक तीन हफ्ते और गंगा में राफ्टिंग का लुत्फ उठा पाएंगे। लेकिन यदि मानसून समय पर आता है और गंगा के जलस्तर में वृद्धि होती है तो 30 जून से पहले ही सत्र पर विराम लग जाएगा।
ऋषिकेश, दुर्गा नौटियाल। तीर्थनगरी के कौडियाला-मुनिकीरेती इको टूरिज्म जोन में पर्यटकों को आकर्षित करने वाला राफ्टिंग का सत्र अब आखिरी पड़ाव की ओर है। सो, पर्यटक अब तीन सप्ताह और गंगा में राफ्टिंग का लुत्फ उठा पाएंगे। लेकिन, यदि मानसून समय पर आता है और गंगा के जलस्तर में वृद्धि होती है तो 30 जून से पहले ही राफ्टिंग सत्र पर विराम लग जाएगा।
गंगा का कौडियाला-मुनिकीरेती इको टूरिज्म जोन राफ्टिंग के लिए विशेष पहचान रखता है। गंगा में एक सितंबर से राफ्टिंग सत्र की शुरुआत होती है, जो 30 जून तक जारी रहता है। जुलाई व अगस्त में मानसून और अक्टूबर से फरवरी तक अत्याधिक ठंड के कारण राफ्टिंग बंद रहती है। यानी राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए मार्च से जून और सितंबर से अक्टूबर के बीच का समय ही उपयुक्त होता है। गर्मियों में यहां राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। इन दिनों जहां मैदानी क्षेत्र चिलचिलाती धूप और उमस से बेहाल है, वहीं गंगा का यह इको टूरिज्म जोन पर्यटकों को गर्मी से राहत के साथ रोमांच की अनुभूति भी करा रहा है। इस बार गर्मियों में राफ्टिंग के लिए खासी तादाद में पर्यटक पहुंचे। सप्ताहांत में शनिवार और रविवार के दिन तो यहां पर्यटकों का सैलाब उमड़ रहा है। मगर, राफ्टिंग का यह रोमांच अब कुछ दिन और ही पर्यटकों को नसीब हो पाएगा।
वर्ष 2013 की आपदा के बाद पर्यटन विभाग की ओर से राफ्टिंग संचालकों को सशर्त परमिट जारी किए जा रहे हैं। इसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ ही राफ्टिंग को रोक दिया जाएगा। गर्मी बढऩे पर पहाड़ों की बर्फ पिघलने से गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी होने लगी है, लेकिन जानकारों का मानना है कि अभी गंगा का जलस्तर राफ्टिंग के लिए सुरक्षित है। उत्तराखंड में मानसून 22-23 जून के आसपास दस्तक दे देता है। ऐसे में यदि मानसून अपने तय समय पर पहुंचा तो संभव है कि 30 जून से एक सप्ताह पूर्व ही राफ्टिंग सत्र पर विराम लग जाए।
2013 के बाद बदल गई थी तिथि
वर्ष 2013 में केदारघाटी में आई आपदा से राफ्टिंग व्यवसाय को भी खासा नुकसान पहुंचा। इससे पूर्व भी 30 जून तक गंगा में राफ्टिंग और कैंपिंग का संचालन होता था। लेकिन, जून 2013 में अचानक गंगा में बढ़े जलस्तर के कारण कई बीच कैंप बह गए थे। इसके बाद प्रशासन ने राफ्टिंग के परमिट ही 15 जून तक जारी करने शुरू कर दिए। दो वर्ष तक यही व्यवस्था बनी रही। बाद में राफ्टिंग व्यवसायियों की मांग पर पर्यटन विभाग ने कंडिशनल 30 जून तक राफ्टिंग के परमिट जारी करने शुरू कर दिए। इस शर्त के लागू होने पर अब गंगा का जलस्तर बढऩे की स्थिति में राफ्टिंग बंद करने का निर्णय लिया जाता है। बीते वर्ष भी 25 जून को राफ्टिंग सत्र का समापन हो गया था।
राफ्टिंग रोटेशन समिति के अध्यक्ष दिनेश भट्ट ने बताया कि अभी तक गंगा का जलस्तर राफ्टिंग के लिए सुरक्षित है। फिर भी पर्यटकों की सुरक्षा को देखते हुए इन दिनों बड़े रेपिड में राफ्टिंग नहीं कराई जा रही। मानसून यदि समय पर पहुंचता है तो संभव है कि निर्धारित समय से पहले ही राफ्टिंग बंद हो जाएगी।
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