उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा अब भी चुनौती
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में 19 वर्षों बाद भी स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार चुनौती बना हुआ है। सीएम ने इसके लिए विशेष प्रयास करने की बात कही है।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। राज्य गठन के 19 वर्षों बाद भी प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार चुनौती बना हुआ है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वास्थ्य विभाग का ध्यान इस ओर इंगित करते हुए इसके लिए विशेष प्रयास करने की बात कही है। उन्होंने जोर इस बात पर दिया कि पर्वतीय क्षेत्रों में जांच की विशेष सुविधा होनी चाहिए, जिससे रोग को शुरुआत में ही पहचान लिया जाए। उन्होंने इसके लिए सरकारी के साथ ही निजी अस्पतालों से भी पर्वतीय क्षेत्रों में दायरा बढ़ाने की अपेक्षा की। सीएम ने कहा आपात स्थिति में पीड़ितों को हवाई सेवा भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसका खर्च भी राज्य सरकार वहन करने को तैयार है।
मुख्यमंत्री आवास में बुधवार को अटल आयुष्मान योजना के एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया। कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रो में बेहतर जांच होने से रोग शुरुआत में ही पहचाने जा सकेंगे और गंभीर बीमारी बनने से पहले ही उनका इलाज हो सकेगा। इससे समय और धन दोनों की ही बचत होगी।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में अटल आयुष्मान योजना में कुछ खामियां नजर आई। अनुभवों के आधार पर इन्हें दूर किया गया है ताकि भविष्य में इस तरह की दिक्कतें न आएं। उन्होंने कहा कि योजना की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी कई ऐसे मरीजों से मुलाकात हुई जो केवल धन के अभाव में इलाज नहीं करा पा रहे थे। ऐसे मरीजों को इस योजना से खासा लाभ मिला है।
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एनपीआर का किया समर्थन मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि एनपीआर बनना ही चाहिए। सबका रजिस्ट्रेशन होना चाहिए यह अच्छा कदम है।
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