सड़कों पर अतिक्रमण, झल्लाती जिंदगी और अधर में योजनाएं
देहरादून में सड़कों पर अतिक्रमण से लोगों को कर्इ तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। इतना ही नहीं यहां योजनाएं भी अधर में लटकी हैं।
देहरादून, अंकुर अग्रवाल। शहर के लगातार फैलते आकार, तंग होती सड़कें और वाहनों की रेलम-पेल ने दून का सुकून छीन लिया है। ट्रैफिक जाम में अकसर झल्लाती जनता को देख शहर की हालत असहाय शख्स की तरह दिखती है। बेबस होते शहर की तस्वीर संवारने के लिए सरकारी एजेंसी लोक निर्माण विभाग, मसूरी-देहरा विकास प्राधिकरण और नगर निगम ने कुछ योजनाओं का खाका बनाया भी मगर कुछ योजनाएं परवान ही नहीं चढ़ सकी और जो परवान चढ़ी भी उनका काम कछुए की चाल से चल रहा है। सड़क की बात करें तो वीवीआइपी सड़कें चमचमाती हुई नजर जरूर आती हैं मगर बाकी सड़कें धूल के गुबार, सिकुड़ी हुई, अतिक्रमित व गड्ढ़ों से पटी हुई हैं। इन पर न तो ट्रैफिक सुचारू चल पा रहा, न ही हादसों में कमी आ रही है।
बीते 18 साल में दून शहर का विकास उसी कछुआ चाल से चल रहा जो यूपी के वक्त थी। हालात ये हैं कि सड़कें पहले के बजाए अब ज्यादा सिकुड़ चुकी हैं। सड़कें यदि चौड़ी हुई तो उससे ज्यादा अतिक्रमित हो गईं। स्कूलों और दफ्तरों के खुलने और बंद होने के वक्त तो अधिकतर सड़कें पैक हो जाती हैं। शहर में लोक निर्माण विभाग, एमडीडीए और नगर निगम के अधीन कुल 500 सड़कें हैं, जिनकी लंबाई करीब 518 किमी है।
इनकी मरम्मत के लिए सरकारी विभागों की समयसीमा निर्धारित है, लेकिन दुर्भाग्य ही है कि यहां सड़कों की मरम्मत न तो समय से होती न ही कोई इनकी सुध लेता। सूबे की पूरी सरकार व नीति नियंता दून में बैठते हैं और रोजाना इन्हीं सड़कों से गुजरते हैं। जिले में तकरीबन नौ लाख वाहन दौड़ते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इनमें दून शहर में रोजाना करीब छह लाख वाहन दौड़ते हैं। प्रतिघंटा शहर की मुख्य सड़कों राजपुर रोड, हरिद्वार रोड, सहारनपुर रोड व चकराता रोड पर सुबह से शाम तक तकरीबन 50 हजार वाहनों का दबाव रहता है। यहां पूरा दिन जाम की स्थिति रहती है और एक किमी तय करने में कई दफा एक घंटा तक लग जाता है। 18 साल बीतने के बावजूद यहां सड़कों की हालत में सुधार नहीं आया, जिसकी उम्मीद लगी थी।
ट्रैफिक पुलिस प्रयोग तक सिमटी
शहर की यातायात व्यवस्था की कमान यूं तो ट्रैफिक पुलिस के पास है लेकिन गुजरे दस साल पर गौर करें तो पुलिस शहर पर सिर्फ प्रयोग ही करती रही। साफ लफ्जों में कहें तो पुलिस अधिकारियों ने दून शहर को 'प्रयोगशाला' बना डाला। अतिक्रमण हटाना, विक्रम-सिटी बसों की धींगामुश्ती पर लगाम लगाना पुलिस ने कभी सीखा ही नहीं। हां, आमजन को दर्द देने के हथकंडे पुलिस जरूर अपनाती रही। कभी कोई कट बंद कर दिया तो कभी किसी भी सड़क के लिए वन-वे सिस्टम लागू कर दिया। ताजा हालात ये हैं कि चौराहों से पुलिस नदारद मिलती है और 'तेज-तर्रार' सीपीयू जवान जाम खुलवाने के बजाए सिर्फ चालान के नाम पर शोषण करते दिखते हैं।
हर जगह अतिक्रमण, चलने को जगह कहां
शहर की सभी सड़कों पर अतिक्रमण है। दुकानें फुटपॅाथ तक सजी हुई हैं। वर्कशॉप सड़कों पर चल रहे हैं। बाकी जगह फड़ व ठेली वालों ने कब्जा रखी है। हालात ये हैं कि वाहनों को चलने लायक जगह नहीं मिल रही। पूरा दिन वाहन घिसट-घिसटकर चल रहे हैं। सड़कों पर फैले अतिक्रमण से हादसों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है।
ये हैं शहर में मुख्य सड़कें
पीडब्लूडी के अंतर्गत
सड़कें संख्या लंबाई
मुख्य जिला मार्ग: 19 65 किमी
ग्रामीण मार्ग: 336 296 किमी
एमडीएडीए की सड़कें
संख्या लंबाई
56 60 किमी
नगर निगम की सड़कें
संख्या लंबाई
89 97 किमी
मानकों के अनुसार यह होना चाहिए सड़कों का साइज
एक लेन: 3.75 मीटर, डेढ़ लेन: 5.50 मीटर, दो लेन: 7 मीटर, तीन लेन: 10.50 मीटर, चार लेन: 14 मीटर, छह लेन: 21 मीटर, आठ लेन: 28 मीटर
एक 'चोक गला' खुला, दो अभी भी बने हैं 'फांस'
शहर में ट्रैफिक के लिहाज से सबसे बड़े 'चोक गले' चकराता रोड-घंटाघर को तो जैसे-तैसे दिसंबर-2011 में खोल दिया गया मगर दो 'चोक गले' आढ़त बाजार व गांधी रोड-दर्शनलाल चौक अब भी रोजाना की मुसीबत बने हुए हैं। यहां हालात ये हैं कि आढ़त बाजार को लेकर वर्ष 1996 से पहल चल रही लेकिन योजना परवान नहीं चढ़ी। वहीं, गांधी रोड का दुर्भाय ये है कि यहां के लिए योजना ही नहीं बनी।
ये योजनाएं अधर में लटकी हुई
माता मंदिर रेलवे क्रासिंग: धर्मपुर चौक से हरिद्वार बाइपास पर फ्लाइओवर से यातायात जाम से निजात मिलती मगर बीते तीन साल से योजना अधर में है।
रेलवे ओवर ब्रिज: रेलवे स्टेशन की भीड़ व रोडवेज पर्वतीय डिपो में आने वाली बसों से प्रिंस चौक, रेसकोर्स, धर्मपुर चौक व सहारनपुर-आइएसबीटी मार्ग पर भारी परेशानी होती है। यहां यातायात दबाव कम करने के लिए रेलवे ओवर ब्रिज की योजना पाइप-लाइन में है।
पैदल यात्रियों के लिए फुटओवर ब्रिज
घंटाघर: यातायात सुचारू चलाने के लिए यहां पैदल लोगों के लिए 97 मीटर लंबा फुटओवर ब्रिज प्रस्तावित है लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ।
कनाट प्लेस: चकराता रोड पर यातायात जाम से निबटने के लिए 22 मीटर लंबा फुटओवर ब्रिज बनना है, मगर ठंडे बस्ते में मामला लटका हुआ।
अंडर पास: सहारनपुर चौक व आढ़त बाजार में सुबह से रात तक लगने वाले जाम से से निबटने के लिए रेलवे स्टेशन तक अंडरपास बनाने की योजना है लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हुआ।
लोनिवि के अधीक्षण अभियंता आरसी अग्रवाल कहते हैं कि शहर में पीडब्लूडी के अधीन सड़कों पर निर्माण और मरम्मत कार्य लगातार जारी है। जहां भी सड़कें खराब हैं उन्हें ठीक किया जा रहा है। कुछ सड़कों के चौड़ीकरण का प्रस्ताव बना हुआ है, इन पर काम चल रहा है।
सचिव एमडीडीए सचिव जीसी गुणवंता का कहना है कि एमडीडीए के अधीन जो भी सड़के हैं उन्हें दुरुस्त कराया जा रहा है। कुछ जगह नई कालोनियां बन रही हैं या सीवर लाइन का काम चल रहा है। इस वजह से सड़क निर्माण रुका हुआ है। जो भी सड़कें खराब हैं, उन्हें जल्द दुरुस्त कर लिया जाएगा।
नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे ने कहा कि नगर निगम के अधीन शहर में केवल गलियों की सड़कें हैं। कुछेक जगह सड़कें खराब जरूर हैं लेकिन निगम की अधिकांश सड़कें दुरुस्त करा दी गई हैं।
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