देवभूमि में अब मेलों में भी सुनाई देगी नमामि गंगे की गूंज
राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को लेकर राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना के तहत अब मेलों में गंगा स्वच्छता को लेकर जनजागरण की मुहिम चलेगी।
देहरादून, केदार दत्त। देवभूमि में विभिन्न पर्वों व अवसरों पर लगने वाले मेलों में भी नमामि गंगे की गूंज सुनाई देगी। राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता को लेकर राज्य में चल रही नमामि गंगे परियोजना के तहत अब मेलों में गंगा स्वच्छता को लेकर जनजागरण की मुहिम चलेगी। इसके लिए राज्य परियोजना प्रबंधन समूह (नमामि गंगे) मेलों को सूचीबद्ध कर रहा है। इसमें संस्कृति विभाग में सूचीबद्ध 92 मेलों के साथ ही विभिन्न स्थानों पर लगने वाले छोटे-छोटे मेलों को शामिल किया जाएगा। मुहिम के तहत लोगों को गंगा समेत अपने आसपास की नदियों को साफ-सुथरा रखने को प्रेरित किया जाएगा।
नमामि गंगे परियोजना में उत्तराखंड में गंगा के उद्गम गोमुख से लेकर हरिद्वार तक विभिन्न शहरों-कस्बों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) निर्माण व नालों की टैपिंग पर फोकस किया गया। ये कार्य अब अंतिम चरण में हैं। इसके साथ ही गंगा व उसकी सहायक नदियों में स्वच्छता के लिए जनजागरण अभियान भी चल रहा, जिसमें अब तेजी आई है। इस कड़ी में प्रदेशभर के 25 महाविद्यालयों को चयनित किया जा चुका है और इनके विद्यार्थी इस मुहम में जुट भी गए हैं।
अब इस दिशा में राज्य परियोजना प्रबंधन समूह (नमामि गंगे) एक और कदम उठाने जा रहा है। पिछले वर्ष नवंबर में जौलजीबी मेले में गंगा स्वच्छता को लेकर जनजागरण मुहिम चलाई। फिर गौचर मेला और उत्तरकाशी माघ मेला में भी जनजागरण को कई कार्यक्रम किए गए। मेलों में इस मुहिम के सकारात्मक नतीजों से उत्साहित राज्य परियोजना प्रबंधन समूह (एसपीएमजी) ने अन्य मेलों को भी जनजागरण मुहिम से जोडऩे का निश्चय किया है।
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एसपीएमजी में संचार विशेषज्ञ एवं जनजागरण अभियान के नोडल पूरन चंद्र कापड़ी बताते हैं कि संस्कृति विभाग में विभिन्न पर्वों व अवसरों पर लगने वाले 92 बड़े मेले सूचीबद्ध हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय पर्वों पर भी मेले लगते हैं। यही नहीं, तमाम जगह लगने वाले छोटे-छोटे मेलों की संख्या भी कहीं अधिक हैं। उन्होंने बताया कि जनजागरण अभियान के लिए मेलों को सूचीबद्ध किया जा रहा है। शेड्यूल तय होने पर मेलों में गंगा के साथ ही आसपास की नदियों की स्वच्छता की शपथ, संवाद, स्वच्छता रैलियां, गोष्ठियां समेत अन्य कार्यक्रम संचालित कर इनमें जनभागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
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