नरमू ने बाइक रैली निकालकर किया निजीकरण का विरोध
रेलवे का निजीकरण रोकने पुरानी पेंशन बहाली समेत विभिन्न समस्याओं को लेकर नॉर्दर्न रेलवे मेन्स यूनियन ( नरमू) ने केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों का बाइक रैली निकाली।
देहरादून,जेएनएन। रेलवे का निजीकरण रोकने, पुरानी पेंशन बहाली समेत विभिन्न समस्याओं को लेकर नॉर्दर्न रेलवे मेन्स यूनियन ( नरमू) ने केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों का बाइक रैली निकालकर विरोध जताया। कर्मचारियों ने समस्याओं का जल्द निस्तारण न होने पर उग्र आंदोलन की भी चेतावनी दी। बाइक रैली नरमू शाखा कार्यालय से शुरू होकर अपर रेलवे कॉलोनी, विधुत पावर आवास, रेलवे डाउन कॉलोनी से होते हुए हेल्थ यूनिट रेलवे में खत्म हुई। देहरादून रेलवे स्टेशन परिसर में गुरुवार को नरमू शाखा कार्यालय से नरमू के शाखा अध्यक्ष उग्रसेन सिंह के नेतृत्व में तमाम कर्मचारी एकत्र हुए। जहां सभी ने कहा कि रेलवे का निजीकरण रोकना बेहद जरूरी है। निजी हाथों में सभी व्यवस्थाएं जाने से न सिर्फ सरकार को नुकसान होगा बल्कि रेल कर्मचारी व उनका परिवार भी सड़क पर आ जाएगा।
शाखा अध्यक्ष उग्रसेन सिंह ने कहा कि कर्मचारियों ने अपने खून-पसीने से आज भारतीय रेल को बुलंदियों पर पहुंचाया है। उन्होंने कहा पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने के लिए लगातार आवाज उठाई जा रही है लेकिन सरकार ने अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है। इस मौके पर सुनील नेगी, मनोज कुमार, बृजेश मीणा, आरएस राठी, ओमवीर सिंह, दलीप रावत, अजय रावत, मुकेश गैरोला समेत अन्य मौजूद रहे।
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नर्सें 21 सितबंर को लेंगी सामूहिक अवकाश
सरकारी अस्पतालों में तैनात नर्सें अपनी लंबित मांगों को लेकर आंदोलन पर अडिग हैं। एक दिन पहले प्रभारी स्वास्थ्य सचिव डॉ. पंकज पांडेय के साथ नर्सों की वार्ता भी हुई थी। पर यह वार्ता बेनतीजा रही। जिस पर गुरुवार को नर्सों ने अपने-अपने जनपदों में आगामी 21 सितंबर को सामूहिक अवकाश लेने के लिए प्रार्थना पत्र जमा करा दिए हैं। उत्तराखंड नर्सेज एसोसिएशन की अध्यक्ष मीनाक्षी जखमोला ने कहा कि सरकार व शासन नर्सों की न्यायोचित मांगों की अनदेखी कर रहे हैं। हर मर्तबा उन्हें झूठा आश्वासन ही दिया जा रहा है। एेसे में सिवाय आंदोलन शुरू के कोई विकल्प नहीं बचा है। जखमोला ने कहा कि कोरोना महामारी में नर्सें उन लंबित समस्याओं का समाधान चाहती हैं जिससे सरकार पर ज्यादा आर्थिक बोझ न पड़े। उन्होंने कहा कि नर्सों के लिए जो छठा वेतन जनवरी 2006 से लागू किया गया था, अब स्वास्थ्य महानिदेशालय की तरफ से औचित्यहीन प्रस्ताव शासन में भेजकर उसे कम किया जा रहा है। नर्सों का वेतनमान कम करने की बात की जा रही है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी नर्सेज का पदनाम परिवर्तित नहीं किया गया है। कार्मिक विभाग के आदेश के बावूजद भी नर्सिंग संवर्ग में पदोन्नति नहीं की जा रही है। रिक्त पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की जा रही है