आधा साल देहरादून का पहिया 'थामे' रखते हैं जुलूस-प्रदर्शन, करीब 170 दिन सड़कें रहती हैं जाम
देहरादून में जुलूसों और प्रदर्शनों के कारण लगभग 170 दिन सड़कें जाम रहती हैं, जिससे शहर का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। यातायात व्यवस्था चरमराने से आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं, जिससे नागरिकों में असंतोष बढ़ रहा है। लोग प्रशासन से इस समस्या का समाधान करने की मांग कर रहे हैं।

व्यस्ततम घंटों में जुलूस-प्रदर्शन के कारण पांच से दस मिनट की दूरी एक से डेढ़ घंटे में होती है तय. File Photo
अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। कभी अपने सुकून और रिहायशी ठिकाने के लिए पहचाने जाने वाला दून अब जुलूस, प्रदर्शन, रैली और धार्मिक शोभायात्राओं का शहर बन चुका है। आधा साल शहर में यातायात का पहिया इन्हीं के कारण जाम रहता है। चाहे सुबह-शाम कार्यालय खुलने और बंद होने के व्यस्ततम घंटे हों या फिर दोपहर में स्कूलों की छुट्टी का समय। पांच से दस मिनट की दूरी तय करने में इस दौरान एक से डेढ़ घंटे का समय लग जाता है।
प्रदेश की राजधानी होने के नाते दून शहर में यातायात दबाव कई गुना अधिक है व ऐसे में जुलूस-प्रदर्शन और शोभायात्राओं के कारण आमजन को जो पीड़ा होती है, शायद इसका अंदाजा न तो शासन-प्रशासन को है और न ही आयोजकों को कभी इसका ''दर्द'' महसूस होगा। पिछले वर्ष इस समस्या को देखते हुए कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने राजकीय कार्य-दिवस में जुलूस व प्रदर्शन आदि की अनुमति न देने के आदेश दिए थे। माना जा रहा था कि इन आदेश का सख्ती से अनुपालन होगा, लेकिन अनुपालन तो दूर यह आदेश तो लागू भी नहीं हो पाए। बात अगर दून शहर की करें तो इस वर्ष जनवरी से लेकर अक्टूबर तक सड़कों पर किए गए जुलूस-प्रदर्शन, रैली व शोभायात्रा के 126 आयोजनों के कारण दून में यातायात का पहिया थमा रहा। अभी दो माह और बचे हैं, जिसमें यह संख्या 150 पार पहुंचने का अनुमान है।
प्रमुख रूप से कर्मचारियों व राजनीतिक दलों के जुलूस प्रदर्शन व धार्मिक संगठनों की शोभायात्राओं की संख्या सर्वाधिक है। यह ऐसे आयोजन हैं, जो सड़कों पर केवल प्रदर्शित होते हैं और इनका समापन स्थान विशेष पर होता है। लिहाजा, शहर का हर प्रबुद्ध नागरिक यही मानता है कि इस तरह के आयोजन निश्चित स्थल पर होने चाहिए, न कि सड़कों पर प्रदर्शन के माध्यम से। समाजसेवी एवं रिटायर्ड ब्रिगेडियर केजी बहल के अनुसार कोई कार्मिक या अन्य संगठन यदि सरकार की किसी व्यवस्था से खिन्न है तो वह अपना विरोध संबंधित कार्यालय पर जाकर कर सकता है। इसके लिए अनावश्यक रूप से सड़कों पर जुलूस लेकर चलना और 10 लाख से अधिक की जनता को असुविधा पहुंचाना किसी भी दशा में ठीक नहीं है।
समाजसेवी सुशील त्यागी के अनुसार धार्मिक कार्यक्रम भी किसी न किसी धार्मिक प्रतिष्ठान से जुड़े होते हैं और वह संपन्न भी वहीं पर होते हैं। यदि धार्मिक संगठनों के पदाधिकारी इस बात को शहर हित में समझ सकें तो ऐसे आयोजन भी प्रतिष्ठान विशेष तक सीमित किए जा सकते हैं। क्योंकि इस प्रदर्शन का धार्मिक भावना से भी कोई लेना-देना नहीं होता और धार्मिक भावनाएं सड़कों की जगह संबंधित प्रतिष्ठान से ही जुड़ी होती हैं।
यहां सड़क पर नहीं होते विरोध-प्रदर्शन
दून में लगभग रोजाना किसी न किसी कार्यालयों में विरोध-प्रदर्शन होते हैं। यह कार्मिक व अन्य संगठन सड़कों पर उतरने की जगह संबंधित कार्यालय पर ही आक्रोश व्यक्त करते हैं। किसी अव्यवस्था के खिलाफ या अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना गलत नहीं है, लेकिन सड़कों पर उतरना भी कोई समाधान नहीं। इससे आप केवल दूसरे नागरिकों की समस्या को ही बढ़ा देते हैं।
यातायात प्लान का नहीं मिलता लाभ
सड़कों पर शोभायात्राओं, जुलूस-प्रदर्शन के दौरान पुलिस अपनी तरफ से लोगों की परेशानी कम करने के प्रयत्न करती है। यातायात प्लान भी बनाए जाते हैं। रूट डायवर्ट किए जाते हैं। यह बात और है कि वाहनों से खचाखच भरी सड़कों पर सारे प्रयोग फेल हो जाते हैं, क्योंकि यातायात का दबाव तो वही रहता है। पुलिस व प्रशासन को मुख्य सड़कों पर आयोजनों को अनुमति देने से पहले यह समझना होगा कि वहां व्यस्ततम समय में यातायात का दबाव कितना रहता है।
जनवरी से अक्टूबर तक शहर में हुए आयोजन
- जनवरी: जुलूस-प्रदर्शन-13, धार्मिक-सामाजिक आयोजन-06, राजनीतिक प्रदर्शन-05
- फरवरी: जुलूस-प्रदर्शन-10, धार्मिक-सामाजिक आयोजन-05, राजनीतिक प्रदर्शन-06
- मार्च: धार्मिक-सामाजिक आयोजन-06, राजनीतिक प्रदर्शन-03, जुलूस-प्रदर्शन-02
- अप्रैल: धार्मिक आयोजन-05, सामाजिक प्रदर्शन-02
- मई: जुलूस-प्रदर्शन-08, धार्मिक-सामाजिक आयोजन-06, राजनीतिक प्रदर्शन-03
- जून: धार्मिक-सामाजिक आयोजन-03, जुलूस-प्रदर्शन-04
- जुलाई: धार्मिक-सामाजिक आयोजन-03, राजनीतिक प्रदर्शन-02, जुलूस-प्रदर्शन-03
- अगस्त: धार्मिक-सामाजिक आयोजन-05, जुलूस-प्रदर्शन-04
- सितंबर: धार्मिक-सामाजिक आयोजन-08, राजनीतिक प्रदर्शन-03, जुलूस-प्रदर्शन-02
- अक्टूबर: धार्मिक-सामाजिक आयोजन-03, राजनीतिक प्रदर्शन-04, जुलूस-प्रदर्शन-02
मुख्य सड़कों पर व्यस्ततम समय में यातायात
- सड़क, प्रति घंटे वाहन
- सहारनपुर रोड, 5000 से 5200
- गांधी रोड, 5200 से 5500
- राजपुर रोड, 5400 से 5600
- चकराता रोड, 4500 से 5000
- हरिद्वार रोड, 5000 से 5500
- हरिद्वार बाईपास रोड, 6000 से 6500
- प्रमुख अंदरूनी मार्ग, 4000 से 4500

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