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जीवन के लिए जरूरी है प्रकृति की रक्षा: स्वामी चिदानंद सरस्वती

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि यदि जीवन की रक्षा करनी है तो पहले पर्यावरण की प्रदूषण से रक्षा करनी होगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 03 Dec 2017 10:38 AM (IST)Updated: Sun, 03 Dec 2017 08:57 PM (IST)
जीवन के लिए जरूरी है प्रकृति की रक्षा: स्वामी चिदानंद सरस्वती
जीवन के लिए जरूरी है प्रकृति की रक्षा: स्वामी चिदानंद सरस्वती

ऋषिकेश, [जेएनएन]: परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम में तीन दिवसीय ध्यान साधना शिविर में पहुंचे श्री सत्य साई के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने ध्यान और योग की बारीकियों को जाना। योग शिक्षकों ने उन्हें योग, ध्यान और आसन का अभ्यास भी कराया। शिविर के तीसरे दिन स्वामी चिदानंद सरस्वती ने श्रद्धालुओं को प्रेम और धर्म के प्रसार का संकल्प दिलाया। 

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श्री सत्य साईं बाबा के 350 से अधिक देशी-विदेशी श्रद्धालु परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय ध्यान साधना शिविर में पहुंचे थे। प्रेम स्वामी मधुसूदन नायडू के नेतृत्व में आए इस दल को आश्रम के योग शिक्षकों ने योग, ध्यान, प्राणायाम, आसन आदि की बारीकियां बताईं। शनिवार को शिविर के समापन अवसर पर आश्रम परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में सबसे बड़ा प्रदूषण हमारी सोच का प्रदूषण है।

सोच बदलेगी तो सितारे बदलेंगे, संसार बदलेगा। विज्ञान सुखोपभोग का एक साधन मात्र है, लेकिन स्वच्छ वातावरण तो जीवन है। हमारे अन्वेषण ऐसे हो कि दोबारा कभी भी 'भोपाल गैस त्रासदी' जैसी हृदय विदारक घटना का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि यदि जीवन की रक्षा करनी है तो पहले पर्यावरण की प्रदूषण से रक्षा करनी होगी। अधिक से अधिक पौधरोपण करना होगा। उन्होंने पौधरोपण कर सभी को हरीतिमा स्थापना का संकल्प भी दिलाया। 

मधुसूदन नायडू ने कहा कि योग जीवन जीने की ही नहीं बल्कि इसे समझने की भी कला है। जो मनुष्य की अंतरात्मा का मिलन परमात्मा और इस प्रकृति से कराती है। स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने उन्हें रुद्राक्ष का पौधा भी भेंट किया। 

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