उत्तराखंड में बदली जिला योजना की प्राथमिकता, बजट पर महकमों से मांगे प्रस्ताव
कोविड-19 के खिलाफ जंग ने जिला योजना की प्राथमिकता बदलकर रख दी हैं। सरकार ने सभी महकमों से प्राथमिकताओं में बदलाव को लेकर प्रस्ताव मांगा है।
देहरादून, रविंद्र बड़थ्वाल। कोविड-19 के खिलाफ जंग ने जिला योजना की प्राथमिकता बदलकर रख दी हैं। अब बारी राज्य सेक्टर के करीब 40 हजार करोड़ के बजट की है। सरकार ने सभी महकमों से प्राथमिकताओं में बदलाव को लेकर प्रस्ताव मांगा है।
कोरोना महामारी ने चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के 53526 करोड़ के बजट की प्राथमिकताओं को बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। हालांकि कोरोना से उपजे संकट की वजह से पहली बार राज्य सरकार ने पूरे बजट के बजाए सिर्फ 50 फीसद बजट ही महकमों के नियंत्रण में दिया है।
एकमात्र स्वास्थ्य महकमे के लिए पूरा सालाना बजट मंजूर किया गया। इसकी वजह महकमे पर कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं को जुटाने की चुनौती है। जिला योजना का कुल सालाना बजट तकरीबन 670 करोड़ है। लॉकडाउन की वजह से राज्य की राजस्व आमदनी घटकर नाममात्र रह गई है।
ऐसे में विकास और निर्माण कार्यो की जगह सिर्फ प्रतिबद्ध मदों में वेतन व मानदेय भुगतान को प्राथमिकता दी जा रही है। जिला योजना की दो किस्त सरकार जारी कर चुकी है, लेकिन बदली स्थितियों में यह धनराशि पीआरडी के वेतन व अन्य वेतन भुगतान पर खर्च की जाएगी। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी जरूरत पड़ने पर इस राशि का उपयोग कोरोना नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों में कर सकेंगे।
इसी तरह बजट के सबसे बड़े राज्य सेक्टर की प्राथमिकताओं को बदला जा रहा है। इसमें भी प्रतिबद्ध मदों यानी वेतन आदि जरूरी खर्चो को ही प्राथमिकता दी जानी है। हालांकि सरकार ने जरूरी निर्माण और विकास कार्यो को मंजूरी देनी शुरू कर दी है। लिहाजा महकमों को इस सेक्टर में अपनी प्राथमिकताएं तय करने को कहा गया है।
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केंद्रपोषित और बाह्य सहायतित योजनाओं के तकरीबन 10 हजार करोड़ बजट में बड़ा दारोमदार केंद्रपोषित योजनाओं पर है। केंद्र से मिलने वाली मदद के मुताबिक राज्य सरकार केंद्रीय योजनाओं को गति दे सकेगा। वित्त सचिव अमित नेगी ने राज्य सेक्टर की प्राथमिकताओं के बारे में महकमों से प्रस्ताव मांगे जाने की पुष्टि की।
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