महाभारत सर्किट बनाने के लिए केंद्र पर टिकी उत्तराखंड की निगाहें
उत्तराखंड में महाभारत सर्किट बनाने के लिए राज्य सरकार की निगाहें केंद्र पर टिकी हैं। राज्य ने इस सिलसिले में 97 करोड़ का प्रस्ताव स्वदेश दर्शन योजना में केंद्र सरकार को भेजा है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में प्रस्तुतीकरण भी हो चुका है। अब इसे मंजूरी मिलने का इंतजार है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में महाभारत सर्किट बनाने के लिए राज्य सरकार की निगाहें अब केंद्र पर टिक गई हैं। राज्य की ओर से इस सिलसिले में 97 करोड़ का प्रस्ताव स्वदेश दर्शन योजना में केंद्र सरकार को भेजा गया है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय में प्रस्तुतीकरण भी हो चुका है। अब इसे मंजूरी मिलने का इंतजार है। इसके बाद सर्किट में शामिल किए गए लाखामंडल से लेकर केदारनाथ, बदरीनाथ तक के क्षेत्र में पर्यटन से जुड़ी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
देहरादून जिले के जनजातीय जौनसार बावर क्षेत्र से लेकर उत्तरकाशी के पुरोला, रुद्रप्रयाग के केदारनाथ और चमोली के बदरीनाथ क्षेत्र तक पांडवकालीन निशान जगह-जगह मौजूद हैं। इसे देखते हुए मौजूदा सरकार ने राज्य में महाभारत सर्किट बनाने की ठानी। पहले इसमें लाखामंडल से लेकर पुरोला तक का ही क्षेत्र शामिल किया गया था। वजह ये कि लाखामंडल स्थित लाक्षागृह को देखने काफी संख्या में पर्यटक बाते हैं। माना जाता है कि कौरवों ने इसी जगह लाक्षागृह बनवाया था। कालांतर में इस स्थान का नाम लाखामंडल पड़ा। इस बारे में केंद्र को इस सर्किट का कांसेप्ट नोट भेजा गया तो इसमें कुछ और क्षेत्रों को शामिल करने के साथ ही अन्य सुझाव दिए गए।
वर्ष 2019 में केंद्र सरकार को संशोधित प्रस्ताव तैयार कर स्वदेश दर्शन योजना के लिए भेजा गया। इसका दो बार प्रस्तुतीकरण भी केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों के समक्ष हो चुका है, लेकिन अभी इसे हरी झंडी नहीं मिल पाई है। ऐसे में सभी की निगाहें केंद्र पर टिकी हैं। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज भी इस सबंध में केंद्रीय पर्यटन मंत्री से आग्रह कर चुके हैं।
सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर के अनुसार संभवत: केंद्र सरकार स्वदेश दर्शन योजना में कुछ बदलाव भी करने जा रही है। इसीलिए महाभारत सर्किट की मंजूरी का मसला अटका हुआ है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पहले तो इसी वित्तीय वर्ष अन्यथा अगले वित्तीय वर्ष में केंद्र से महाभारत सर्किट को मंजूरी मिल जाएगी। इसके पश्चात सर्किट में शामिल किए गए क्षेत्रों में ट्रेक रूट, पर्यटन सुविधाएं आदि विकसित की जाएंगी।
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