जीवंत हुई देश की सबसे पुरानी रेजीमेंट ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स की शौर्यगाथा Dehradun News
रविवार को गोर्खाली सुधार सभा में मिलन समारोह का आयोजन किया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स देश की सबसे पुरानी रेजीमेंट है।
देहरादून, जेएनएन। ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स के पूर्व सैनिकों ने रविवार को गोर्खाली सुधार सभा में मिलन समारोह का आयोजन किया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स देश की सबसे पुरानी रेजीमेंट है। ब्रिगेड के सैनिकों ने कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही नहीं, यह एक मात्र रेजीमेंट है जिसका नाम जाति या क्षेत्र के आधार पर नहीं है। भारतीयता ही इसकी पहचान है।
कार्यक्रम की शुरुआत में पूर्व सैनिकों, सेवारत सैनिकों और उनके पारिवारिक सदस्यों ने शहीद सैनिकों की याद में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पूर्व कर्नल ऑफ रेजीमेंट मेजर जनरल (रिटायर्ड) सीबी गुप्ता ने दीप प्रज्वलित किया। उन्होंने रेजीमेंट के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका गठन फील्ड मार्शल केएम करियप्पा ने इंग्लैंड की रॉयल्स गार्ड्स की तर्ज पर किया था। पहले इस रेजीमेंट के सैनिक राष्ट्रपति के अंगरक्षक के रूप में भी सेवा देते थे। बाद में इसका सेना में विलय कर दिया गया।
इसी रेजीमेंट को 26 जनवरी पर मार्चपास्ट करने का प्रथम अवसर हासिल हुआ है। बताया कि रेजीमेंट के नायक जदुनाथ एवं लांस नायक अलवर टीका को परमवीर चक्र प्राप्त हुआ है, जबकि हवा सिंह ने बॉक्सिंग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान बढ़ाया है। कार्यक्रम के दौरान सूबेदार (रिटायर्ड) मुकुंद सिंह रावत, प्रेमलता शर्मा और रान्यूई चौहान को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान रिटायर्ड ब्रिगेडियर जीएस भात, ऑनरेरी कैप्टर पूरन सिंह क्षेत्री, कैप्टन गौतम सिंह, कैप्टन गजेंद्र क्षेत्री, सूबेदार मेजर शंकर सिंह क्षेत्री, भूपाल सिंह रावत, रामेश्वर प्रसाद, सूरत सिंह रावत, मेहरबान सिंह रावत आदि मौजूद रहे।
पूर्व नौ सैनिक समिति ने किया सैनिकों का सम्मान
पूर्व नौ सैनिक समिति की ओर से नववर्ष के उपलक्ष्य में सैनिक सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें नौ सेना में उत्कृष्ट योगदान के लिए दो पूर्व नौ सैनिकों चीफ पेटी अफसर जगदम्बा प्रसाद डिमरी और पेटी अफसर ललिता प्रसाद चमोली को सम्मानित किया गया। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध किया। रविवार को झाझरा स्थित जलवायु विहार में आयोजित कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष डॉ. विमल कांत नौटियाल ने कहा कि भारतीय नौ सेना का देश के समुद्र व समुद्र तटों को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। वर्ष 1971 में नौसेना के जाबांजों ने पाकिस्तान के कराची और लाहौर में बड़ी तबाही मचाई और देश को विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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समारोह में ईसीएचएस और सैनिकों के लिए चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी दी गई। वहीं, नए साल के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। महिला संयोजक रत्ना रौथाण के निर्देशन में आयोजित विभिन्न खेलों में समिति के सदस्यों के स्वजनों ने भाग लिया। इस मौके पर कई पूर्व सैनिकों ने समिति की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान कमांडर अनिल अग्निहोत्री, दीपक खंडूड़ी, कैप्टन पीसी थपलियाल, एमएस कुंवर, कमल भंडारी, विनय नौटियाल, मंजीत रौथाण, देवेंद्र रावत, कमलेश उनियाल आदि मौजूद रहे।
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