आइएमएस यूनिसन विवि के नौ होनहारों को गोल्ड
आइएमएस यूनिसन विश्वविद्यालय के ऑनलाइन चौथे दीक्षा समारोह में नौ होनहार छात्रों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया गया।
जागरण संवाददाता, देहरादून : आइएमएस यूनिसन विश्वविद्यालय के ऑनलाइन चौथे दीक्षा समारोह में नौ होनहार छात्रों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया गया। साथ ही छह सौ छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की गई। कोविड-19 संक्रमण को ध्यान में रखते हुए दीक्षा समारोह में केवल टॉपर विद्याíथयों को ही उपाधि ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गौतम सिन्हा ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्याíथयों को बधाई दी। कहा कि आइएमएस यूनिसन विवि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नित नए आयाम गढ़ रहा है। विवि के सभी अध्यापकों का यह भरसक प्रयास रहता है कि वह बेहतर सुविधाएं और शिक्षा प्रदान की जाए जिससे छात्र उपलब्धि के सभी सोपानों को सफलतापूर्वक प्राप्त करें। दीक्षा समारोह में छात्रों को उपाधि प्रदान करने के दौरान आइएमएस यूनिसन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. गुरदीप सिंह, विवि प्रशासक मंडल के चेयरमैन अमित अग्रवाल, कुलपति प्रो. गौतम सिन्हा, उप कुलपति प्रो. रविकेश श्रीवास्तव, कुलसचिव कर्नल प्रणव कुमार, प्रशासक मंडल अकादमिक परिषद के सभी सदस्य मौजूद रहे।
इन्हें मिला स्वर्ण पदक
-एलएलएम के श्वेता तोमर, एमबीए की स्वर्णा गुप्ता, एमए पत्रकारिता एवं जनसंचार के अखिलेश नौटियाल, बीए एलएलबी ऑनर्स की आशना परासर, बीबीए एलएलबी ऑनर्स की सौम्या सहाय, बीबीए की दीपिका यादव, बीकॉम ऑनर्स की मान्या गुप्ता, बीए पत्रकारिता व जनसंचार की नेहा खेमका, एमबीए की विभूती उप्रेती शामिल हैं।
भारत की भूमिका शिक्षा जगत में अत्यंत महत्वपूर्ण: राज्यपाल
विवि के चौथे दीक्षा समारोह की मुख्य अतिथि राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने आइएमएस यूनिसन विवि को ऑनलाइन माध्यम से दीक्षा समारोह के आयोजन व शैक्षणिक सत्र 2019-20 के समय से संपन्न करने के लिए बधाई दी। उन्होंने उपाधि प्राप्त कर रहे सभी विद्याíथयों को कहा कि वर्तमान समय में भारत की भूमिका शिक्षा जगत में अत्यंत महत्वपूर्ण है। 35 वर्षो के उपरात देश में नई शिक्षा नीति लाई गई है। इस नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को प्रभावी भूमिका निभानी होगी। उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए नई शिक्षा नीति कारगार साबित होगी। इसमें व्यावसायिक शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया है। यह समय की माग भी है। विश्वविद्यालयों को उद्योगों की माग के अनुरूप अपने पाठ्यक्रम निर्धारित करने होंगे, ताकि विद्याíथयों के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकें।