आधुनिक संग्रहालय वानिकी विकास में मील का पत्थर
वन महानिदेशक व विशेष सचिव पर्यावरण एवं वन मंत्रालय सिद्धांत दास ने वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) में पुनर्निर्मित सिल्विकल्चर संग्रहालय गैलरी का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि एफआरआइ की आधुनिक संग्रहालय गैलरी आगंतुकों को भारत में वानिकी के विकास और ऐतिहासिक घटनाओं को समझाने में मील का पत्थर साबित होगी। कहा कि इस अत्याधुनिक संग्रहालय गैलरी में पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं, जैव विविधता को समझने के लिए विभिन्न प्रकार के जंगलों के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
जागरण संवाददाता, देहरादून : वन महानिदेशक व विशेष सचिव पर्यावरण एवं वन मंत्रालय सिद्धांत दास ने वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) में पुनर्निर्मित सिल्विकल्चर संग्रहालय गैलरी का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि एफआरआइ की आधुनिक संग्रहालय गैलरी आगंतुकों को भारत में वानिकी के विकास और ऐतिहासिक घटनाओं को समझाने में मील का पत्थर साबित होगी। कहा कि इस अत्याधुनिक संग्रहालय गैलरी में पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं, जैव विविधता को समझने के लिए विभिन्न प्रकार के जंगलों के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
सोमवार को पत्रकारों से वार्ता करते हुए सिद्धांत दास ने कहा कि संग्रहालय गैलरी के विभिन्न पैनलों में दी गई जानकारी से संस्थान के भ्रमण पर आने वालों को लाभ मिलेगा। साथ ही वानिकी के विभिन्न पहलुओं की भी जानकारी मिलेगी। उन्होंने कहा कि सिल्विकल्चर वनों की स्थापना, संरचना, संविधान और विकास को नियंत्रित करने का सिद्धात और अभ्यास है। आइसीएफआरआइ के महानिदेशक डॉ. एससी गैरोला ने सिल्विकल्चर संग्रहालय गैलरी के आधुनिकीकरण कार्यो की संकल्पना और निष्पादित करने के लिए एफआरआइ द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उद्घाटन समारोह में एफआरआइ के सभी विशेषज्ञ शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।
शैक्षणिक भूमिका को लेते हैं गंभीरता से : डॉ. सविता
एफआरआइ की निदेशक डॉ. सविता ने कहा कि हम अपनी शैक्षणिक भूमिका गंभीरता से लेते हैं। उम्मीद है कि एफआरआइ में आने वाले छात्र और अन्य विजीटर संग्रहालय के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण व जंगलों की भूमिका के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही देश में पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाएंगे। सिल्विकल्चर संग्रहालय गैलरी रचनात्मक रूप से डिजाइन की गई है। जिसमें सूचनात्मक पैनलों के माध्यम से भारत में वानिकी के विकास, वनों के महत्व, वनों की कटाई, वन अग्नि, स्थानातरण खेती, प्रतिकूल जलवायु कारक, कीट और रोगों से जंगलों के लिए खतरे को दर्शाया गया है।