नींद में आने वाले खर्राटे को न करें नजरअंदाज
11 आरएसएच 1- जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: यदि आपको नींद में खर्राटे लेने की आदत है, तो इस
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जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: यदि आपको नींद में खर्राटे लेने की आदत है, तो इस आदत को नजरअंदाज न करें। मेडिकल साइंस में इस बीमारी को स्लीप एपनिया के रूप में जाना जाता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकती है।
अमेरिका के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. डेविस थॉमस ने बताया कि विश्व भर में 49 प्रतिशत लोग स्लीप एपनिया से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के प्रति अभी तक लोगों में कम जागरूकता है। खासकर भारत में लोग इस बीमारी को साधारण मानते हुए नजरअंदाज कर देते हैं। गुरुवार को एक जागरूकता अभियान को लेकर ऋषिकेश पहुंचे डॉ. डेविड थॉमस ने ऋषिकेश प्रेस क्लब सभागार में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि बदलती लाइफ स्टाइल के चलते स्लीप एपनिया की समस्या बढ़ रही है। श्वास नली में टॉन्सिल बढ़ जाने से सोते समय सांस नली सिकुड़ने लगती है, जिससे खर्राटे आने शुरू हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि खर्राटे की बीमारी हृदय रोग व पक्षाघात का भी कारण बन सकता है। ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी बीमारियां भी शरीर में घर कर जाती हैं। उन्होंने बताया कि खर्राटों के कारण मनुष्य पूरी नींद भी नहीं ले सकता। इसके अलावा मस्तिष्क पर भी अत्यधिक दबाव पड़ जाता है। जिससे सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में बकायदा इस स्लीप टेस्ट के बाद ही हैवी विकल के लिए लाइसेंस जारी किए जाते हैं। अन्य देशों में भी इस प्रक्रिया को अपनाया जाना बेहद जरूरी है। अभियान के सदस्य डॉ. नारायण व स्लीप साइंटिस्ट डॉ. देवांग अफ्रीकावाला ने बताया कि पॉली सोनोग्राफी (पीएसजी) टेस्ट के जरिये स्लीप एपनिया का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि बीमारी का स्तर पता चलने के बाद इसकी रोकथाम मास्क लगाकर, निचले जबड़े में एक प्लेट लगाकर और ऑपरेशन आदि विधियों से की जा सकती है। निश्चल ¨नद्रा रिसर्च हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड के राज सुखवानी ने बताया कि इस अभियान के जरिये वह आम लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज व चिकित्सकों के बीच भी कार्यशाला कर जागरूकता लाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जल्द ही ऋषिकेश में भी स्लीप क्लब की स्थापना की जाएगी, जिसमें स्लीप एपनिया की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि संतुलित आहार, शारीरिक श्रम व जंक फूड से दूरी बनाकर काफी हद तक इस बीमारी की ओर बढ़ने से स्वयं को रोका जा सकता है।