फीस जमा नहीं कराई तो परीक्षा से बाहर करने की चेतावनी दे रहे निजी स्कूल, अभिभावकों ने शिक्षा विभाग से की शिकायत
निजी स्कूलों ने छात्रों से फीस वसूली के लिए नए पैंतरे अपनाना शुरू कर दिया है। फीस देने में असमर्थ अभिभावकों पर फीस वसूली का दबाव बनाने के लिए उनके बच्चों को परीक्षा में ना बैठाने की हिदायत दी जा रही है।
देहरादून, जेएनएन। निजी स्कूलों ने छात्रों से फीस वसूली के लिए नए पैंतरे अपनाना शुरू कर दिया है। फीस देने में असमर्थ अभिभावकों पर फीस वसूली का दबाव बनाने के लिए उनके बच्चों को परीक्षा में ना बैठाने की हिदायत दी जा रही है। खास तौर पर बोर्ड कक्षाओं एवं नवी और ग्यारहवीं के छात्र छात्राओं पर इस तरह का दबाव ज्यादा बनाए ने की बात भी सामने आई है। निजी स्कूलों की इस मनमानी से परेशान कुछ अभिभावकों ने शिक्षा विभाग से स्कूलों की शिकायत भी की है।
बता दें कि सीबीएसई और आइसीएसई बोर्ड ने इस सत्र की बोर्ड परीक्षाओं के लिए 10वीं और 12वीं के छात्र छात्राओं का पंजीकरण शुरू कर दिया है। इसके अलावा नियमानुसार नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के छात्र छात्राओं का पंजीकरण भी करवाया जा रहा है। पंजीकरण के लिए अभिभावकों को सीबीएससी और आइसीएसई की तय फीस तो देनी ही पड़ रही है। लेकिन कुछ अभिभावक जिन्होंने असमर्थता के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद से फीस पूरी जमा नहीं करवाई है। ऐसे अभिभावकों पर निजी स्कूलों ने पूरी फीस एक साथ जमा करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कुछ स्कूलों में फीस जमा न करवाने पर बोर्ड परीक्षाओं के लिए छात्र-छात्राओं का पंजीकरण ना करवाने की हिदायत देने की बात भी सामने आई है। ऐसे में आर्थिक रूप से तंगी झेल रहे अभिभावक खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं।
मुख्य शिक्षा अधिकारी आशारानी पैन्यूली का कहना है कि सरकार और हाई कोर्ट द्वारा किसी भी हाल में छात्र-छात्राओं को परीक्षाओं से बाहर ना करने और स्कूल से नाम ना काटे जाने के साफ-साफ आदेश हैं। जिस भी स्कूल में यह हो रहा है उसकी लिखित शिकायत शिक्षा विभाग से की जा सकती है। विभाग नियमानुसार जांच के बाद सख्त कार्रवाई करेगा।
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ट्रांसपोर्ट और मेस की फीस भी वसूली
लॉकडाउन लागू होने के बाद से स्कूल कॉलेज पूर्ण रूप से बंद है। बावजूद इसके कुछ निजी स्कूल अभिभावकों से छात्र-छात्राओं की ट्रांसपोर्ट फीस तक ले रहे हैं। इसके साथ ही कुछ रेजिडेंशियल स्कूलों द्वारा हॉस्टल और खाने की फीस लेने तक की बात सामने आई है। शिमला बाईपास के पास स्थित के निजी स्कूल में मामला सामने आया है। इसके अलावा निजी स्कूलों द्वारा फीस जमा करवाने में असमर्थ अभिभावकों के बच्चों को अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में ना बैठाने की चेतावनी देने के बात भी सामने आई है। नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरंट्स एंड स्टूडेंट राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि सहस्त्रधारा रोड स्थित एक निजी स्कूल और शिमला बाईपास के पास स्थित दो निजी स्कूल अभिभावकों पर फीस के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं। फीस न जमा करवाने की स्थिति में उनके बच्चों को अर्धवार्षिक परीक्षा में बैठने की चेतावनी भी दी जा रही है। बताया कि इस संबंध में शिक्षा विभाग से शिकायत की गई है।
केवि में वसूली जा रही पुरानी फीस
निजी स्कूलों के अलावा केंद्रीय विद्यालय भी इन दिनों फीस वसूली को लेकर चर्चा में हैं। दरअसल केंद्रीय विद्यालयों में कोरोना वायरस के चलते इस साल सत्र करीब 6 महीने देरी से शुरू हो रहा है। पहली कक्षा में दाखिले की प्रक्रिया अब जाकर पूरी हो सकी है। लेकिन केंद्रीय विद्यालय में अभिभावकों को फीस अप्रैल महीने से ही चुकानी पड़ रही है। फीस ज्यादा ना होने के कारण अभिभावकों ने बात को ज्यादा बल तो नहीं दिया लेकिन जिन महीनों में पढ़ाई नहीं हुई उन महीनों की फीस वसूली को लेकर अभिभावकों में असंतोष जरूर है।