50 फीसद छात्र आने पर ही खुलेंगे निजी स्कूल, जानिए क्या हैं उनकी और शर्तें
राज्य सरकार ने स्कूल खोलने की हरी झंडी दिखा दी है। सरकार द्वारा एसओपी जारी करने के बाद निजी ने भी 50 फीसद छात्र आने के बाद ही स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। साथ ही सरकार की ओर से जारी एसओपी में संशोधन की मांग की है।
देहरदून, जेएनएन। दो नवंबर से राज्य सरकार ने स्कूल खोलने की हरी झंडी दिखा दी है। सरकार द्वारा एसओपी जारी करने के बाद निजी ने भी 50 फीसद छात्र आने के बाद ही स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। साथ ही सरकार की ओर से जारी एसओपी में संशोधन की मांग की है। निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि हरियाणा सरकार ने निजी स्कूलों को एसओपी जारी करने को कहा है, लेकिन उत्तराखंड में सरकार ने जो एसओपी जारी की है, उससे निजी स्कूल संचालक संतुष्ट नहीं हैं, ऐसे में कई बिंदुओं पर संशोधन किया जाना चाहिए।
प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन (पीपीएसए) ने मंगलवार को मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा। पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि अभी तक 10 फीसद अभिभावकों ने स्कूल संचालकों से बच्चों को भेजने पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने एसओपी जारी कर कहा है कि स्कूल आने पर बच्चों की जिम्मेदारी उन्हीं की होगी, जबकि बच्चे अधिकांश समय घर पर ही व्यतीत करते हैं। अगर किसी का स्वास्थ्य पहले से खराब है और स्कूल आने के बाद ज्यादा बिगड़ जाता है तो ऐसी स्थिति में भी स्कूल संचालकों पर ही कार्रवाई होगी। इस तरह के निर्देश में संशोधन किया जाना जरूरी है।
ये हैं निजी स्कूलों की शर्तें
शिक्षकों को कोरोना वारियर्स घोषित किया जाए
प्रिंसपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि किसी भी छात्र छात्र के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर स्कूल जिम्मेदार नहीं माने जाएं और जिन कक्षा के छात्र छात्राओं के लिए स्कूल जाएंगे, उनकी ऑनलाइन क्लास नहीं होगी इन शर्तों को माने जाने के बाद ही स्कूल खुलने चाहिए।
-शिक्षक और कर्मचारियों का बीमा सरकार द्वारा किया जाए।
-अभिभावक अपने बच्चों की पूर्ण जिम्मेदारी लेंगे
-कोरोना वायरस का कोई भी लक्षण दिखने पर अभिभावक बच्चे का कोरोना टेस्ट कराने के बाद रिपोर्ट नेगेटिव आने पर बच्चे को स्कूल भेजेंगे।
-लिखित एप्लीकेशन मिलने पर ही फीस माफी।
-स्कूलों में प्राथमिक इलाज की रहेगी व्यवस्था।
-एक बार स्कूल में छात्र छात्रा की एंट्री हो जाने के बाद उसे बीच में ना तो घर जाने दिया जाएगा ना ही कोई इमरजेंसी होने तक अभिभावकों को बच्चों से मिलने दिया जाएगा।
-अभिभावकों को समय पर स्कूल की फीस अदा करनी होगी।
-संक्रमण से रोकथाम के लिए स्कूलों द्वारा बनाए गए हर नियम को छात्र-छात्रा मानेंगे।
-जिले के अस्पतालों को छात्र-छात्राओं की बीमारी से मामले प्राथमिकता के साथ लेने होंगे।