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Independence day 2020: स्वतंत्रता दिवस पर 60 से अधिक कैदी हो सकते हैं रिहा, शासन को भेजे नाम

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कैदियों को रिहा करने की कवायद शुरू हो गई है। जिला जेल प्रशासन द्वारा इस संबंध में कैदियों की सूची शासन को भेज दी गई है।

By Edited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 10:46 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 08:33 AM (IST)
Independence day 2020: स्वतंत्रता दिवस पर 60 से अधिक कैदी हो सकते हैं रिहा, शासन को भेजे नाम
Independence day 2020: स्वतंत्रता दिवस पर 60 से अधिक कैदी हो सकते हैं रिहा, शासन को भेजे नाम

देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कैदियों को रिहा करने की कवायद शुरू हो गई है। जिला जेल प्रशासन द्वारा इस संबंध में कैदियों की सूची शासन को भेज दी गई है। इनमें 60 से अधिक कैदियों के नाम शासन को भेजे गए हैं। अब सोमवार को सचिव गृह और कारागार नितेश झा की अध्यक्षता में इस पर बैठक होगी। इसके बाद इन कैदियों की रिहाई पर निर्णय लिया जाएगा। 

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प्रदेश में हर वर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर कैदियों की रिहाई की जाती है। अमूमन इनमें ऐसे कैदी शामिल होते हैं जिनकी सजा समाप्त होने वाली होती है। इसके अलावा गंभीर बीमार और जेल में अच्छे आचरण वाले कैदियों को भी रिहा किया जाता है। इस साल भी स्वतंत्रता दिवस पर कैदियों की रिहाई होनी है। इसके लिए प्रदेश के सभी 13 जेलों के प्रशासन ने सूची शासन को भेज दी है। सूत्रों के अनुसार इस सूची में 12 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके कैदियों को शामिल किया गया हैं। 
गंभीर अपराध जैसे हत्या, बलात्कार और दहेज हत्या में शामिल कैदियों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। इस बार जो सूची भेजी गई है। उसमें 60 से अधिक कैदियों की रिहाई और 15 से अधिक कैदियों को परिहार दिए जाने की संस्तुति की गई है। परिहार के तहत कैदियों की सजा में कुछ दिनों से लेकर कुछ माह तक कमी की जाती है। अब जेल प्रशासन द्वारा भेजी गई सूची पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति 10 अगस्त को विचार-विमर्श करेगी। इसके बाद यह अपनी संस्तुति राजभवन भेजेगी। राजभवन से अनुमोदन मिलने के बाद इन कैदियों की रिहाई के आदेश जारी किए जाएंगे।
राजस्व निरीक्षक पर 25 हजार का जुर्माना
सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ एक्ट) के तहत सूचना मांगने वाले को 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्ध कराने का प्रविधान है, लेकिन दून में भूमि संबंधित जांच की सूचना देने में नौ माह की देरी की गई। इस पर राज्य सूचना आयोग ने राजस्व निरीक्षक (केंद्र) पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
देहराखास निवासी सोमनाथ ने तहसील सदर कार्यालय से भूमि की जांच से संबंधित सूचना मांगी थी। तय समय के भीतर सूचना न मिलने पर उन्होंने विभागीय अपीलीय अधिकारी और तहसीलदार के सामने अपील की। तहसीलदार ने 28 सितंबर 2019 को अधीनस्थों को मामले की जांच कर सूचना उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे। इसके बाद भी जब सूचना नहीं मिली तो सोमनाथ ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने राजस्व निरीक्षक (केंद्र) से जवाब-तलब किया। तब जाकर भूमि की जांच की गई और रिपोर्ट तैयार कर 26 जून 2020 को अपीलार्थी को भेजी गई। आयोग ने पाया कि राजस्व निरीक्षक की लापरवाही से ही सूचना देने में नौ माह माह की देरी हुई। उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया गया। 

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