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जिला कारागार में कैदियों ने योग को बनाया तनाव से मुक्ति का साधन

कैदियों ने अकेलेपन एवं तनाव से मुक्ति पाने के लिए योग को साधन बनाया है। जिला कारागार सुद्धोवाला में रोजाना सुबह लगने वाली योग कक्षाओं में सवा सौ के करीब कैदी शामिल हो रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 10:15 AM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 10:15 AM (IST)
जिला कारागार में कैदियों ने योग को बनाया तनाव से मुक्ति का साधन
जिला कारागार में कैदियों ने योग को बनाया तनाव से मुक्ति का साधन

देहरादून, [संतोष तिवारी]: नियति के क्रूर हाथों विवश हो जाने-अनजाने में किए गए अपराध की सजा भुगतने जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे कैदियों ने अकेलेपन एवं तनाव से मुक्ति पाने के लिए योग को साधन बनाया है। मौजूदा समय में जिला कारागार सुद्धोवाला में रोजाना सुबह लगने वाली योग कक्षाओं में सवा सौ के करीब कैदी शामिल हो रहे हैं। कैदियों का योग प्रशिक्षक भी कैदी ही है, जिसे अब गुरुजी के नाम से जाना जाता है। 

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जिला कारागार में कैदियों के योग सीखने का सिलसिला तकरीबन दो साल पुराना है। इसकी शुरुआत पतंजलि योग पीठ के सहयोग से हुई थी। बाद में प्राणिक योग हिलिंग के स्वयं सेवियों ने कैदियों को योग सीखने के लिए प्रेरित किया।

हालिया दिनों में इसे नई दिशा तब मिली, जब हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा भुगत रहे उत्तर प्रदेश के चंदौसी (संभल) निवासी राकेश (30) पुत्र राम प्रसाद ने जेल प्रशासन को अवगत कराया कि वह जरूरतभर के योगासन सीख गया है और रोजाना अपनी बैरक में भी उनका अभ्यास करता है। बैरक में रखे गए कई कैदी भी उसके साथ योग करते हैं और अब स्वयं को पहले से काफी सहज महसूस कर रहे हैं। इसके बाद जेल प्रशासन ने उसे मुलाकात सेल में इच्छुक कैदियों को योग कराने की अनुमति दे दी। करीब तीन माह पूर्व से चल रही इस योग कक्षा में फिलहाल 125 के आसपास सजायाफ्ता कैदी और विचाराधीन बंदी योगाभ्यास कर रहे हैं। 

एक घंटे चलती है योग की कक्षा

कारागार में योग की कक्षा सुबह साढ़े सात बजे से साढ़े आठ बजे तक चलती है। इस दौरान कैदी स्वत: नियत स्थान पर पहुंच कतारबद्ध होकर बैठ जाते हैं। इसके बाद राकेश, जिसे कैदी गुरुजी कह कर पुकारते हैं, प्राणायाम से लेकर तनाव मुक्ति और शारीरिक सुदृढ़ता के लिए अहम योगासनों का अभ्यास कराता है।

खाली समय में करते हैं योग

जेल मैनुअल के मुताबिक प्रत्येक सजायाफ्ता कैदी को उसकी क्षमता और कौशल के अनुसार काम दिया जाता है। इसके लिए बाकायदा उसे मेहनताना भी दिया जाता है। इन कैदियों को जब काम से फुरसत मिलती है तो थकान मिटाने और फिर स्फूर्ति पाने के लिए योग कर लेते हैं।

कम ही जाते हैं अस्पताल

जेल प्रशासन की मानें तो जिन बंदियों ने योग करना शुरू कर दिया है, वह अब कम ही जेल के अस्पताल में चिकित्सक के पास जाते हैं। थकान, बेचैनी, तनाव और पेट संबंधी कई बीमारियां योगासनों के नियमित अभ्यास से ठीक होने लगी हैं। यही वजह है कि अन्य बंदी भी अब योग की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

यह योगासन करते हैं कैदी

प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका, सूर्य नमस्कार, सुदर्शन क्रिया, अश्विनी मुद्रा, धनुरासन, मकरासन, मरकटासन इत्यादि।

जेल में अब नियमित योग की कक्षा लगने लगी

एमएस ग्वाल (जेल अधीक्षक, जिला कारागार, सुद्धोवाला, देहरादून) का कहना है कि जेल में बंदियों को गणना के बाद एक घंटे योग के लिए दिया जाता है। पूर्व में आए योग प्रशिक्षकों से मिली जानकारी के आधार पर एक कैदी ही बाकी कैदियों को योग कराता है। इसके चलते जेल में अब नियमित योग की कक्षा लगने लगी है। कई कैदी अब स्वयं को पहले से स्वस्थ महसूस करने लगे हैं।

योग शरीर एवं मन को संतुलित और नियंत्रित करने का साधन 

हिमांशु सारस्वत (योग गुरु, कायाकल्प योग स्टूडियो, देहरादून) ने बताया कि योग शरीर एवं मन को संतुलित और नियंत्रित करने का साधन है। योगाभ्यास शुरू करते ही इसका प्रभाव दिखने लगता है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ के लिए निरंतरता आवश्यक है। इससे निश्चित तौर शरीर स्वस्थ होता है और स्वस्थ होने पर मन भी शांत होता है। फलस्वरूप तनाव व अन्य व्याधियों से मुक्ति मिलती है।

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