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उत्तराखंड: नवोदय विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे प्राचार्य के पद

राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों की समस्याओं को लेकर अब सुस्ती नहीं दिखाई पड़ेगी। शिक्षकों के पद लंबे समय से रिक्त होने से विद्यालयों का शैक्षिक प्रदर्शन बेहतर नहीं हो पा रहा। इसे ध्यान में रख नियमित नियुक्ति होने तक गेस्ट टीचर की तैनाती करने के आदेश जारी किए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 03:53 PM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 03:53 PM (IST)
उत्तराखंड: नवोदय विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे प्राचार्य के पद
नवोदय विद्यालयों में प्रतिनियुक्ति से भरे जाएंगे प्राचार्य के पद।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। राजीव गांधी नवोदय विद्यालयों की समस्याओं को लेकर अब सुस्ती नहीं दिखाई पड़ेगी। शिक्षकों के पद लंबे समय से रिक्त होने से विद्यालयों का शैक्षिक प्रदर्शन बेहतर नहीं हो पा रहा है। इसे ध्यान में रखकर सरकार ने नियमित नियुक्ति होने तक गेस्ट टीचर की तैनाती करने के आदेश जारी किए हैं। प्राचार्यों और उप प्राचार्यों के पदों पर प्रतिनियुक्ति से ही तैनाती होगी। शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र के रूप में प्रदेश के हर जिले में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया। 

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वर्ष 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इस योजना का श्रीगणेश किया था। योजना के तहत पहला नवोदय विद्यालय देहरादून में स्थापित किया गया। इसके बाद अन्य जिलों में इसे स्थापित करने की गति बेहद धीमी रही है। डेढ़ दशक से ज्यादा अवधि गुजरने के बावजूद अब भी बागेश्वर, ऊधमसिंहनगर, उत्तरकाशी, चमोली व रुद्रप्रयाग जिलों में इन विद्यालयों के भवन नहीं बन पाए हैं। इन विद्यालयों के लिए शिक्षकों के 624 पद स्वीकृत किए गए, लेकिन 50 प्रतिशत से ज्यादा पद लंबे अरसे से रिक्त चल रहे हैं। वर्तमान में भी प्रवक्ता के 36 और एलटी के 70 पद रिक्त चल रहे हैं। 

भवन, शिक्षक समेत जरूरी संसाधनों की कमी का नतीजा ये हुआ कि इन विद्यालयों को छात्र संकट से भी जूझना पड़ रहा है। छात्रों की 30 फीसद से ज्यादा सीट रिक्त होना सरकार के लिए भी चिंता का सबब रहा है। इस समस्या को ध्यान में रखकर सरकार ने पिछले शैक्षिक सत्र में दैनिक विद्यार्थियों को दाखिला देने का फार्मूला तय किया था। इससे आसपास के क्षेत्रों से छात्र-छात्राओं ने इन विद्यालयों में दाखिला लिया। सरकार ने चालू सत्र में भी इसी रणनीति के तहत आगे बढ़ने का निर्णय लिया। सबसे महत्वपूर्ण फैसला गेस्ट टीचर की तैनाती का लिया गया है। 

दरअसल कई नवोदय विद्यालयों में विषय अध्यापक नहीं हैं। इस कमी की वजह से दाखिले को लेकर छात्र-छात्राओं में हिचक देखी गई है। इस समस्या के समाधान को लेकर लंबे समय तक हिचक बनी रही है। अब सरकारी माध्यमिक विद्यालयों की तर्ज पर नवोदय विद्यालयों में भी शिक्षकों के रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती करने के आदेश सरकार ने जारी किए हैं। दरअसल नवोदय विद्यालयों में शिक्षकों की नियमित नियुक्ति के बजाय प्रतिनियुक्ति से तैनाती होती रही है। शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों को ही इन विद्यालयों में पढ़ाई के लिए प्रतिनियुक्ति पर तैनाती का मसला कई दफा उलझ चुका है। 

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प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत शिक्षकों पर मूल विभाग में तैनाती को लेकर दबाव रहता है। यही वजह है कि नवोदय विद्यालयों में शिक्षकों की नियमित नियुक्ति का प्रविधान करने की मांग लंबे अरसे से की जा रही है। यह समस्या सिर्फ शिक्षकों तक सीमित नहीं है। इन विद्यालयों में प्राचार्यों और उप प्राचार्यों पदों पर प्रतिनियुक्ति से ही तैनाती की जा रही है। इन पदों पर भी नियमित नियुक्ति की पैरवी की जा रही है, लेकिन शासन इस बारे में फैसला शासन स्तर पर लंबित है। फिलहाल इन पदों पर प्रतिनियुक्ति के माध्यम से ही तैनाती करने का निर्णय लिया गया है।

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