Uttarakhand Assembly Elections 2022: उत्तराखंड के मन को छुआ, मस्तिष्क को झकझोरा
प्रधानमंत्री मोदी ने रैली में गढ़वाली बोली में अपने संबोधन की शुरुआत कर सभी के मन को छुआ। उत्तराखंड की विकास यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह गर्व से कह सकते हैं कि उत्तराखंड का पानी और जवानी यहां के काम आ रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। Uttarakhand Assembly Elections 2022 'उत्तराखंड का सबि दाना सयाणों, दीदी-भुलियो, चची-बोडियो और भै-बैणों, आप सबु थैं म्यारु प्रणाम। मिथैं भरोसा च कि आप लोग कुशल मंगल होला। मि आप लोगों थैं सेवा लगाणू छौं।' (उत्तराखंड के सभी बुजुर्गों, नौजवानों, बहनों, चाची-ताई और भाई-बहनों। आप सभी को मेरा प्रणाम। मुझे विश्वास है कि आप सभी कुशल मंगल होंगे। आप सभी मेरा प्रणाम स्वीकार करें।) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विजय संकल्प रैली में गढ़वाली बोली में अपने संबोधन की शुरुआत कर सभी के मन को छुआ। उत्तराखंड की विकास यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब वह गर्व से कह सकते हैं कि उत्तराखंड का पानी और जवानी यहां के काम आ रहे हैं। साथ ही भविष्य की योजनाओं का खाका खींचते हुए खुशहाल उत्तराखंड के लिए आशीर्वाद मांगा।
प्रधानमंत्री ने गढ़वाली बोली में संबोधन की शुरुआत कर गढ़वाल मंडल की जनभावनाओं को छूने के साथ ही राज्य से जुड़े विभिन्न विषयों को भी छुआ। उन्होंने देवभूमि से अपने जुड़ाव को भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने एक दौर में उत्तराखंड में केदारनाथ के नजदीक तपस्या की थी। यही वजह है कि बाबा केदारनाथ उनके आराध्य हैं। केदारपुरी का पुनर्निर्माण उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। साथ ही राज्य के लिए अनेक केंद्र पोषित योजनाओं की सौगात भी वह दे चुके हैं। जब भी समय मिलता है, वह उत्तराखंड आते हैं। पिछले तीन माह के अंतराल में शनिवार को वह तीसरी बार उत्तराखंड आए।
परेड मैदान में हुई विजय संकल्प रैली में प्रधानमंत्री ने केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों का उल्लेख किया तो राज्य में चल रही होम स्टे योजना की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि होम स्टे की मुहिम ने देश को नई राह दिखाई है। इस तरह के परिवर्तन देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने ने उत्तराखंड विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं के दुख-दर्द को रेखांकित किया और कहा कि इस दिशा में हर घर को नल से जल मुहैया कराने की मुहिम तेज की गई है तो अन्य कई योजनाएं भी शुरू की गई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की स्थापना के रजत जयंती वर्ष के लिए अगले पांच साल महत्वपूर्ण है। उन्होंने राज्य के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई तो महिलाओं, युवाओं, सैनिकों, पूर्व सैनिकों समेत हर वर्ग के लिए चलाई जा रही योजनाओं के साथ ही भविष्य के उत्तराखंड की तस्वीर भी खींची। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों और वर्तमान भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों का उल्लेख कर आमजन को सोचने पर भी विवश किया।
अपने संबोधन में उन्होंने देवभूमि के महत्व को रेखांकित किया तो यहां के नैसर्गिक सौंदर्य, खान-पान आदि का भी। उन्होंने अंत में कविता के माध्यम से अपने जुड़ाव को कुछ इस तरह रखा, 'जहां पवन बहे संकल्प लिए, जहां पर्वत गर्व सिखाते हैं, जहां ऊंचे-नीचे रास्ते बस भक्ति सुर में गाते हैं, उस देवभूमि के ध्यान से ही, मैं सदा धन्य हो जाता हूं, है भाग्य मेरा, सौभाग्य मेरा, मैं तुमको शीश नवाता हूं।'
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