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नाबालिग बालिकाओं से छेड़छाड़ के मामलों में सजा बढ़ाने की तैयारी

सरकार की ओर से अब महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाओं पर भी सजा को बढ़ाने की तैयारी है। विशेषकर, अब धारा 354 ब में सजा के प्रावधान को और सख्त किया जाएगा।

By Edited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 03:01 AM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 02:31 PM (IST)
नाबालिग बालिकाओं से छेड़छाड़ के मामलों में सजा बढ़ाने की तैयारी
नाबालिग बालिकाओं से छेड़छाड़ के मामलों में सजा बढ़ाने की तैयारी

देहरादून, [विकास गुसाई]: सरकार की ओर से प्रदेश में नाबालिग बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान करने की घोषणा के बाद अब महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाओं पर भी सजा को बढ़ाने की तैयारी है। विशेषकर, अब धारा 354 ब में सजा के प्रावधान को और सख्त किया जाएगा। 

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सजा के प्रावधानों में संशोधन का मसला कैबिनेट में लाया जा रहा है। वहीं, केंद्र की ओर से हर राज्य में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के निर्देशों पर भी उचित कदम उठाने की तैयारी चल रही है। प्रदेश सरकार हाल ही में महिलाओं के प्रति अपराधों को लेकर सख्त रुख दिखाने का संकेत दे चुकी है। मुख्यमंत्री ने नाबालिग से दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा देने का प्रावधान लागू करने की बात कही है। 

अब इसे अमलीजामा पहनाने की तैयारी चल रही है। इस कड़ी में दुष्कर्म के लिए लगने वाली धारा 376 में अधिकतम दस वर्ष की सजा के स्थान पर फांसी की सजा देने का प्रावधान शामिल किया जा रहा है। इससे संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की तैयारी है। 

इसके साथ ही प्रदेश सरकार महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ विशेषकर धारा 354 बी के तहत तय सजा के प्रावधान में भी बदलाव किया जाएगा। इसमें अभी न्यूनतम तीन वर्ष की सजा का प्रावधान है। 

इसे बढ़ाकर न्यूनतम सात साल करने की तैयारी है। संभावना है कि बुधवार को कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव लाकर इस पर मुहर लगा दी जाएगी। कैबिनेट के जरिये इन दोनों धाराओं में बदलाव करने के बाद संबंधित विधेयक विधानसभा में लाया जाएगा। 

मॉब लिंचिंग रोकने पर भी होगी कार्रवाई 

केंद्र सरकार के निर्देश पर अब प्रदेश में मॉब लिंचिंग रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की कवायद शुरू की जा रही है। इसके तहत हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया जाना है। पीड़ितों को मुआवजा देने के प्रावधान बनाने के साथ ही भ्रामक सूचनाओं के प्रति जानजागरूकता अभियान चलाया जाना है।

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