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हरदा को चेहरा बनाने की पैरवी, तो कांग्रेस में छाया सन्नाटा

कांग्रेस के मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर घमासान छिड़ने की भूमिका तैयार हो गई। राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सबसे बड़ा चेहरा बताते हुए पार्टी को नसीहत दे डाली कि उत्तराखंड में हरियाणा जैसी चूक नहीं होनी चाहिए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 10:19 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 11:51 PM (IST)
हरदा को चेहरा बनाने की पैरवी, तो कांग्रेस में छाया सन्नाटा
हरदा को चेहरा बनाने की पैरवी, तो कांग्रेस में छाया सन्नाटा।

देहरादून, विकास धूलिया। कांग्रेस के नए प्रभारी देवेंद्र यादव उत्तराखंड के पार्टी नेताओं को एका की घुट्टी पिलाकर दिल्ली पहुंचे ही, कि सूबे में पार्टी के मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर घमासान छिड़ने की भूमिका तैयार हो गई। राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सबसे बड़ा चेहरा बताते हुए पार्टी को नसीहत दे डाली कि उत्तराखंड में हरियाणा जैसी चूक नहीं होनी चाहिए। 

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उत्तराखंड में सिमटती सियासी जमीन को बचाने के लिए जूझ रही कांग्रेस ने अपने युवा नेता देवेंद्र यादव को उत्तराखंड में पार्टी का प्रभार सौंपा है। हाल ही में यादव तीन दिनी दौरे पर देहरादून पहुंचे। अब इसे किस्मत ही कहेंगे कि मुद्दों की तलाश में बैठी कांग्रेस को ठीक उसी वक्त सूबे की भाजपा सरकार को घेरने के लिए हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के फैसले का मुद्दा मिल गया। इसका नतीजा यह हुआ कि धड़ों में बंटी कांग्रेस के तमाम नेता भाजपा सरकार को घेरने के लिए प्रदेश प्रभारी के समक्ष एक मंच पर आ जुटे। डेढ़ दिन धुआंधार तरीके से मुख्यमंत्री और प्रदेश सरकार पर हमला बोला, मगर फिर सुप्रीम कोर्ट के स्टे से मामला हाथ से फिसल गया।

कांग्रेस नेताओं की इस तीन दिनी एकजुटता से लगा कि पार्टी अब डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में इसी अंदाज में जाएगी। प्रभारी भी शायद इसी सकारात्मक सोच के साथ गुरुवार रात दिल्ली रवाना हुए, मगर अगले ही दिन पार्टी के राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा के बयान ने सियासी तूफान के आसार पैदा कर दिए। कांग्रेस के महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नजदीकी टम्टा ने कहा कि उनकी और एक आम कांग्रेस कार्यकर्त्ता की यही सोच है कि हरीश रावत ही उत्तराखंड में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। 

सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि पार्टी ने रणनीति भी बनाई है कि विधानसभा चुनाव में अपनी सरकार के दौरान की उपलब्धियों को लेकर जाया जाए और उत्तराखंड में कांग्रेस की पिछली सरकार हरीश रावत की ही थी। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस कार्यसमिति में भी हरीश रावत हैं, जिसमें तमाम केंद्रीय मंत्रियों तक को जगह नहीं मिलती। साथ ही हरियाणा का उदाहरण दे डाला, कि ऐसी गलती यहां नहीं होनी चाहिए। प्रदीप टम्टा के इस बयान के बाद कांग्रेस में फिलहाल सन्नाटा है। कोई भी बड़ा नेता इस पर प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने इतना जरूर कहा, कि हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व तय करता है कि चुनाव में चेहरा किसे बनाया जाए। इस बार भी जो नेतृत्व तय करेगा, वह सभी को मान्य होगा। दरअसल, उत्तराखंड में कांग्रेस पिछले 20 सालों के दौरान सबसे कड़े संघर्ष के दौर से गुजर रही है। 

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साढ़े तीन साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने न केवल सत्ता गंवाई, बल्कि विधायकों का आंकड़ा केवल 11 पर ही सिमट गया। इस सबके बाद भी पार्टी के अंतर्विरोध कम नहीं हुए हैं। साफ तौर पर कांग्रेस दो खेमों में बंटी दिखाई देती है और इसका ताजा उदाहरण सांसद प्रदीप टम्टा द्वारा मुख्यमंत्री के चेहरे पर छेड़ी गई नई बहस के रूप में सामने है। अब देखना यह है कि कांग्रेस का यह सन्नाटा, कहीं तूफान से पहले की शांति साबित न हो।

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