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फूड इंस्पेक्टरों को अब मिलेगी खास जैकेट, जैकेट में लगा होगा पोर्टेबल मिनी कैमरा और जीपीएस

फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया अब फूड इंस्पेक्टरों को हाईटेक जैकेट देने जा रहा है। जैकेट में पोर्टेबल मिनी कैमरा और जीपीएस लगा होगा।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 01:04 PM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 08:23 PM (IST)
फूड इंस्पेक्टरों को अब मिलेगी खास जैकेट, जैकेट में लगा होगा पोर्टेबल मिनी कैमरा और जीपीएस
फूड इंस्पेक्टरों को अब मिलेगी खास जैकेट, जैकेट में लगा होगा पोर्टेबल मिनी कैमरा और जीपीएस

देहरादून, जेएनएन। फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) अब फूड इंस्पेक्टरों को हाईटेक जैकेट देने जा रहा है। यह जैकेट अफसरों को रोजाना पहनाना होगी। जैकेट में पोर्टेबल मिनी कैमरा और जीपीएस लगा होगा। नई व्यवस्था लागू करने के पीछे काम में पारदर्शिता लाना एक बड़ी वजह है। एफएसएसएआइ का मानना है कि वर्तमान में फूड ऑफिसर विभिन्न इलाकों में खाद्य पदार्थों के सैंपल लेते हैं। यह जैकेट इसलिए दिया जा रहा है ताकि फूड ऑफिसर की लाइव लोकेशन एफएसएसएआइ में दर्ज हो। इसी तरह जहां से सैंपल लिया जाएगा, उसकी रिकॉर्डिंग भी होगी। इसके अलावा किसी तरह के विवाद पर भी रोक लगेगी।

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जिला अभिहित अधिकारी जीसी कंडवाल ने बताया कि सैंपल लेते समय कई बार विवाद की स्थिति भी बनती है, इस पर भी रोक लग सकेगी। कैमरे के साथ होने वाली जांच में भी पारदर्शिता आएगी। बता दें, देशभर में करीब साढ़े तीन हजार फूड सेफ्टी ऑफिसर तैनात हैं। प्रदेश में इनकी संख्या 29 है।

संसाधनों का है अभाव

खाद्य पदार्थों की शुद्धता को लेकर एफएसएसएआइ कई कदम उठा रहा है। पर प्रदेश स्तर पर स्थिति ढाक के तीन पात है। स्थिति यह कि कार्रवाई के लिए फील्ड में उतरने वाली टीम के पास संसाधनों का भारी अभाव है। यहां तक की गाड़ी आदि की भी कमी है। इन हालात में सैंपलिंग आदि के काम में दिक्कत पेश आती है।

फूड इंस्पेक्टरों की कमी दूर करना चुनौती

राज्य में फूड इंस्पेक्टरों की भी लगातार कमी बनी हुई है। जिसे दूर करना बड़ी चुनौती है। कई जनपद ऐसे हैं जहां एक-एक फूड इंस्पेक्टर के भरोसे काम चल रहा है। कई जगह फूड इंस्पेक्टर हैं ही नहीं। ढांचे में कुल 56 इंस्पेक्टरों के पद स्वीकृत हैं जबकि इसके सापेक्ष महज 29 फूड इंस्पेक्टर ही कार्यरत हैं। इसका सीधा असर मिलावट के खिलाफ होने वाली कार्रवाई पर पड़ता है।

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न केवल सैंपलिंग बल्कि कोर्ट केस पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। सही पैरवी न होने का विपक्षी फायदा उठाते हैं। वर्तमान समय में प्रदेश में बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत व अल्मोड़ा एक-एक फूड इंस्पेक्टरों के भरोसे है हैं। चमोली, उत्तरकाशी एवं रुद्रप्रयाग में एक भी फूड इंस्पेक्टर तैनात नहीं है। यहां कामचलाऊ व्यवस्था से ही कम चल रहा है। उच्चाधिकारियों का दावा है कि जल्द सात फूड इंस्पेक्टर की भर्ती को अध्याचन भेजा जाएगा।

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