Move to Jagran APP

केंद्र के भरोसे बैठा उत्तराखंड का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

उत्तराखंड का पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वायु प्रदूषण के रियल टाइम डाटा के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भरोसे बैठा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 16 Nov 2017 03:39 PM (IST)Updated: Thu, 16 Nov 2017 11:01 PM (IST)
केंद्र के भरोसे बैठा उत्तराखंड का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
केंद्र के भरोसे बैठा उत्तराखंड का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

देहरादून, [जेएनएन]: वायु प्रदूषण के रियल टाइम डाटा के लिए उत्तराखंड का पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के भरोसे बैठा है। करीब दो साल पहले केंद्रीय बोर्ड ने उत्तराखंड को वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए रियल टाइम डाटा एकत्रित करने के निर्देश दिए थे। इस दिशा में निष्क्रिय बने राज्य के अधिकारियों को सजग करने के लिए परियोजना में खर्च होने वाली राशि का 50 फीसद अंश देने की पेशकश भी की थी। राज्य ने इसका प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन जब केंद्र का हिस्सा नहीं मिला तो हमारे अधिकारी भी इसकी तोहमत केंद्र पर डालकर चुपचाप बैठ गए।

loksabha election banner

उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी चाहते तो दून में बढ़ते वायु प्रदूषण का हवाला देकर सरकार पर परियोजना की पूरी राशि उपलब्ध कराने का आग्रह कर सकते थे। ऐसा भी नहीं है कि इस काम में भारी भरकम राशि खर्च होनी थी। केंद्र ने राज्य को दून में एक एयर क्वालिटी मॉनिटङ्क्षरग स्टेशन बनाने को कहा थïा और इसमें चार से छह लाख रुपये के बीच ही खर्च आना था। बस इतनेभर से ही दून को रियल टाइम पर यह पता चलता रहता कि यहां के वायु प्रदूषण में किस तरह सुबह, दिन, शाम व रात में किस तरह के बदलाव आ रहे हैं। 

घंटाघर कॉम्पलेक्स में जगह भी ढूंढी

केंद्र की पहल पर बोर्ड ने घंटाघर स्थित कॉम्पलेक्स में एमडीडीए से स्टेशन बनाने के लिए जगह देने की बात भी कर ली थी। इसके बाद भी अधिकारी केंद्र के भरोसे बैठे रहे और धीरे-धीरे यह कवायद फाइलों में ही दफन होकर रह गई।

एसपीएम 400 पार करने पर भी हरकत नहीं

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आरएसपीएम (रेस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर)-10 पर प्रदूषण के कणों का मापन करता है। यह मात्रा 24 घंटे में 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। जबकि दून में पहले ही यह दर करीब ढाई गुना है। दिल्ली में वायु  प्रदूषण के स्मॉग के चलते उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद जागरण ने दून में भी प्रदूषण का स्तर जानने की जिज्ञासा बोर्ड के समक्ष आठ नवंबर को जताई थी।

लेकिन, रियल टाइम डाटा न होने के चलते बोर्ड के पास उस दिन का आंकड़ा ही नहीं था। हालांकि काफी मशक्कत के बाद बोर्ड अधिकारियों ने जागरण को सात नवंबर को आइएसबीटी में आरएसपीएम का आंकड़ा उपलब्ध करा दिया।

पता चला कि उस दिन आइएसबीटी क्षेत्र में आरएसपीएम का स्तर 400.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। यानी कि मानक से चार गुना अधिक। इसको लेकर जागरण ने प्रमुखता से खबर भी प्रकाशित की। गंभीर यह कि बोर्ड समेत प्रशासन के किसी भी भी किसी अधिकारी में हरकत नहीं दिखी। जबकि यह आंकड़ा दून के भविष्य की स्थिति बयां कर रहा था। 

दून में वायु प्रदूषण की स्थिति (जनवरी 2017 से अगस्त तक आरएसपीएम का औसत)

आइएसबीटी---------276.50

रायपुर---------------208.68

घंटाघर--------------193.54

इन आठ माह में सर्वाधिक प्रदूषण

आइएसबीटी---------जून में 323.91

रायपुर----------------मई में 297.19

घंटाघर---------------जून में 244.91

वैज्ञानिक अधिकारी (पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) एसएस पाल का कहना है कि रियल टाइम डाटा के लिए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन बनाने की कवायद चल रही है। केंद्रीय बोर्ड से बजट न मिल पाने के बाद अब शासन स्तर से बजट पास कराने के प्रयास किए जाएंगे। 

यह भी पढ़ें: खतरे की घंटी: दिल्ली के करीब पहुंचा देहरादून का वायु प्रदूषण

यह भी पढ़ें: प्रदूषण में पांच साल बाद दिल्ली को पीछे छोड़ देगा दून


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.