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दिल दहल रहा, आम आदमी पार्टी के आने से

आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान क्या किया सियासतदां में अजब सी बेचैनी नजर आने लगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 08:41 AM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 08:41 AM (IST)
दिल दहल रहा, आम आदमी पार्टी के आने से
दिल दहल रहा, आम आदमी पार्टी के आने से

देहरादून, विकास धूलिया। आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने उत्तराखंड में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान क्या किया, सियासतदां में अजब सी बेचैनी नजर आने लगी। वैसे, सत्तारूढ़ भाजपा हो या विपक्ष कांग्रेस, सब आप की एंट्री पर सवालों को हवा में उड़ा रहे हैं, मगर सच  यह है कि अंदरखाने सबकी हवाइयां उडऩे लगी हैं। कारण, दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनाव के नतीजे। हालांकि उत्तराखंड में भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में आप जैसा ही प्रदर्शन किया था, 70 में से 57 सीटों पर जीत दर्ज कर,  लेकिन इन्हें फिक्र आप के 'मॉडस ऑपरेंडी' की है। अगले डेढ़ साल में पता नहीं कितनी आरटीआइ सरकार के कामकाज पर लगाई जाएंगी, जो मीडिया और सोशल मीडिया में वायरल होकर नींद हराम कर देंगी। कांग्रेस की चिंता वजूद को लेकर है। पहले ही 11 सीटों पर सिमटे बैठे हैं, आप कहीं दहाई के इस आंकड़े को इकाई तक न पहुंचा दे।

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गुपचुप निकले हो, जरूर कोई बात है

भाजपा का यह किस्सा हरिद्वार का है। यूं तो हरिद्वार जिले से कुल 11 विधायक हैं, लेकिन इनमें से चलती केवल मदन कौशिक की है। दरअसल, 11 में से आठ भाजपा के हैं और इनमें से कौशिक कैबिनेट मंत्री हैं। उस पर कौशिक सरकार के प्रवक्ता भी, लाजिमी तौर पर ये जो कह दें, वही सरकार का स्टैंड। कहावत है न, 'खुदा हुस्न देता है, तो नजाकत आ ही जाती है।' सियासत में इस कहावत को सत्ता शीर्ष से नजदीकी से जोड़कर समझा जा सकता है। कौशिक भी इसके अपवाद नहीं, लेकिन पार्टी के कई विधायकों को यह पच नहीं रहा। अब इन्हें कौशिक का अंदाज रास नहीं आ रहा, तो चार विधायक फरियाद लेकर जा पहुंचे मुख्यमंत्री दरबार। बाहर निकले तो सबके मुंह में दही जमी दिखी, असल बात बताने को तैयार नहीं। अलबत्ता, कौशिक ने जरूर दरियादिली दिखाई। बोले, 'कोई असंतुष्ट है तो मैं खुद बात कर लूंगा।'

आखिर मिल गया मुझे एक बंगला न्यारा

उत्तराखंड में अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को दो-दो बार सत्ता हासिल हुई। लिहाजा, सहूलियत के लिए दोनों पार्टियां एक परंपरा निभाती आ रही हैं कि जो भी प्रदेश संगठन का मुखिया होगा, उसे मंत्रियों की तरह सरकारी बंगला मिलेगा। सत्तारूढ़ भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत अब तक इस सुविधा से वंचित थे। इसलिए, क्योंकि निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट सांसद बनने के बाद भी सरकारी बंगले पर काबिज रहे। पार्टी के वरिष्ठ नेता को कुछ कह नहीं सकते, तो भगत को सात महीने विधायक हॉस्टल में गुजारने पड़े। भट्ट के बंगला छोड़ने के बाद अब भगत की मुराद पूरी हुई, तो नेताजी खुशी छिपा नहीं पाए। धूमधाम से हवन-पूजा कर गृहप्रवेश किया। लगे हाथ तमाम बड़ी हस्तियों के लिए शानदार सहभोज भी। कोई सवाल न उठाए, इसलिए खुद ही बता दिया कि कोरोनाकाल में सहभोज सुरक्षित शारीरिक दूरी रखते हुए संपन्न हुआ।

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तुम हम बेरोजगार, एक कश्ती के सवार

सूबे की भाजपा सरकार को घेरने के फेर में बरसात में गड्ढों में तब्दील सड़कों पर बैलगाड़ी की सवारी कर स्लिप डिस्क को दावत दे घर पर आराम कर रहे कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अब नया मोर्चा खोलने जा रहे हैं। हरदा देश में बढ़ती बेरोजगारी से दुखी हैं। लिहाजा सोशल मीडिया में एलान कर डाला कि अगला कदम इसी मुददे पर उठेगा। बेरोजगारी तो पहले से ही है, उस पर लॉकडाउन ने इसमें और इजाफा कर दिया। हरदा ने इसके लिए केंद्र व सूबाई सरकार पर निशाना साधते हुए आंदोलन का मंसूबा जाहिर किया है। यह सब तो ठीक, मगर कांग्रेस के ही एक आला नेता तंज कसने से बाज नहीं आए। बोले, हरदा को चिंता युवा बेरोजगारों की नहीं, खुद के बेरोजगार होने की है। केंद्र में कांग्रेस का हाल सबको मालूम ही है और उत्तराखंड में उन्हें रोजगार देने को पार्टी तैयार नहीं।

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