कार-बाइक की टक्कर का मामला, मित्र पुलिस बोली; समझौता कर लो
कैंट कोतवाली क्षेत्र के बिंदाल चौकी क्षेत्र में कार-बाइक की टक्कर के बाद दोनों पक्ष बिंदाल चौकी पहुंचे। लेकिन वहां भी संतोषजनक जवाब न मिलने पर घर चले गए।
देहरादून, जेएनएन। संकट में लोग पुलिस को मदद के लिए बुलाते हैं। मगर, जब पुलिस मामले में कंप्रोमाइज (समझौता) करने की बात कहने लगे तो सवाल उठना लाजिमी है। ऐसा ही एक मामला कैंट कोतवाली क्षेत्र के बिंदाल चौकी क्षेत्र में सामने आया। कार-बाइक की टक्कर के बाद दोनों पक्ष बिंदाल चौकी पहुंचे, लेकिन वहां भी संतोषजनक जवाब न मिलने पर घर चले गए। मामला जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो कैंट इंस्पेक्टर ने दोनों पक्षों को कोतवाली बुलाया।
शनिवार सुबह के समय चकराता रोड पर कार चला रही एक युवती ने जैसे ही यूटर्न लिया। पीछे से आ रही बाइक से उसकी टक्कर हो गई। हादसे में जहां कार को नुकसान हुआ। वहीं, बाइक सवार को भी हल्की चोटें आईं। युवती ने दुर्घटना के तुरंत बाद पुलिस कंट्रोल रूम से मदद की गुहार लगाई। थोड़ी देर में दो पुलिस कर्मी मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली और दोनों से अलग-अलग बात भी की। आरोप है कि उनसे कहा गया कि समझौता कर लो। इस पर युवती मौके पर पहुंचे अपने पिता के साथ बिंदाल चौकी पहुंच गई।
यहां उनकी एक दारोगा से मुलाकात हुई। कार्रवाई की उम्मीद न देख बाद में दोनों पक्ष अपने-अपने गंतव्य को चले गए। इस बीच यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। तब कैंट कोतवाली पुलिस ने शाम के समय दोनों पक्षों को थाने बुलाया। इंस्पेक्टर नदीम अतहर ने बताया कि दोनों पक्षों से बात की गई है। उन्होंने कहा कि उनसे किसी ने नहीं कहा समझौता कर लो। मगर वह खुद भी चाह रहे थे कि इसमें कोई कानूनी कार्रवाई न हो। फिलहाल दोनों पक्षों ने एक-दूसरे से अपनी गलती की माफी मांग ली है।
उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने मांगा एसएसपी से जवाब
दस दिन पूर्व चेकिंग के दौरान पुलिस के बाइक सवार युवकों को पीटने और रौब गालिब करने संबंधी शिकायत पर उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने एसएसपी देहरादून को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
तीस अप्रैल की शाम डालनवाला कोतवाली की पुलिस बलबीर रोड पर दो पहिया वाहनों की चेकिंग कर रही थी। तभी बाइक से आ रहे दो युवकों को पुलिस ने रोक कर कागजात दिखाने को कहा। दोनों ने गाड़ी के कागजात पास में न होने की बात कही। इस पर पुलिसकर्मियों ने कहा कि तुमने नशा किया हुआ है, लेकिन इसकी जांच करने के लिए पुलिस के पास एल्कोमीटर नहीं था। इस पर पुलिस ने गाड़ी सीज करने की कार्रवाई शुरू कर दी और युवकों को थाने ले जाने के लिए पुलिस जीप में डालने लगी। इस दौरान एक युवक ने पुलिस जीप में बैठने से मना किया तो पुलिस कर्मियों ने उसकी पिटाई शुरू कर दी।
युवक के चिल्लाने की आवाज दूर तक सुनाई दे रही थी, जिससे मौके पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए। बाद में पुलिस ने बाइक सीज कर दी और युवकों का पुलिस एक्ट में चालान भी कर दिया गया। आरटीआइ कार्यकर्ता भूपेंद्र कुमार ने इस मामले की शिकायत उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग से की और कहा कि एक तो पुलिस के पास चेकिंग के दौरान एल्कोमीटर नहीं था, फिर वह किस आधार पर मान रहे थे कि युवक नशे में हैं। वहीं पुलिस को युवकों की पिटाई का अधिकार किसने दिया। आयोग ने इस शिकायत का संज्ञान लेते हुए आदेश जारी कर एसएसपी देहरादून से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है।
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