संकट में सहारा बन रही मित्र पुलिस, घर-घर जाकर लोगों को उपलब्ध करा रही सहायता
दून पुलिस को मित्र पुलिस यूं ही नहीं कहा जाता। जब-जब संकट की घड़ी आई तब-तब दून पुलिस बेसहारा लोगों के लिए देवदूत बनकर उतरी है।
देहरादून, सोबन सिंह गुसांई। दून पुलिस को मित्र पुलिस यूं ही नहीं कहा जाता। जब-जब संकट की घड़ी आई, तब-तब दून पुलिस बेसहारा लोगों के लिए देवदूत बनकर उतरी है। फिलहाला कोरोना के भय के बीच दून पुलिस न सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए हुए है, बल्कि घर-घर जाकर लोगों को सहायता भी उपलब्ध करा रही है। डीआइजी अरुण मोहन जोशी के निर्देश पर पुलिसकर्मी झुग्गी-झोपड़ियों तक पहुंचकर बेसहारा और जरूरतमंदों के लिए देवदूतों का काम कर रहे हैं। खाद्य सामग्री, जरूरी दवाइयां पहुंचाने के साथ ही पुलिस आपातकालीन स्थिति में गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाकर उन्हें नया जीवन देने का काम कर रही है। इससे सबसे अधिक राहत उन्हें मिल रही है जिनके पास दो वक्त की रोटी की सुविधा तक नहीं है। हालांकि, इसमें कुछ समाजसेवी संगठन के लोग भी हैं। जो इस घड़ी में गरीबों का दर्द महसूस कर मित्र पुलिस के सहयोग से लोगों को जरूरत का सामान पहुंचा रहे हैं।
परदेश में नहीं आसरा, गांव भी पराये
कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। ऐसे में रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्य गए लोगों का वहां काम-धंधा तो बंद है ही, अब आसरा भी छिनने लगा है। इस मुश्किल वक्त में अपने गांव लौटने की आस थी, लेकिन अब वह भी पराया होता नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर आजकल कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें परदेश में रहने वालों लोगों को गांव न आने की नसीहत दी जा रही है। अब सवाल यह है कि इन मुश्किल हालात में ये लोग जाएं तो जाएं कहां। काम बंद पड़े हैं, कई के सिर से छत भी छिन गई है। अब इनके पास गांव जाने का विकल्प भी नहीं रह गया। बॉर्डर सील होने के कारण आने-जाने का भी कोई साधन नहीं है। इस मुद्दे पर इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर बहस भी हो रही है। एक-दूसरे पर कटाक्ष किए जा रहे हैं।
इस मुश्किल दौर में कहां छिपे नेताजी
चुनाव के दौरान जनता के आगे-पीछे घूमने वाले कई नेता आजकल छिपते नजर आ रहे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद कुछ अपने विधानसभा क्षेत्रों में जाकर प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित करने में लगे हैं। लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा भी है कि जिन नेताओं पर उन्होंने विश्वास जताया था, वह इस संकट की घड़ी में नजर तक नहीं आ रहे। विरोध जताने वालों में खासकर वह लोग हैं, जो उत्तराखंड से बाहर फंसे हैं। हालांकि, बाहरी राज्यों में फंसे इन लोगों को निकालने के लिए कुछ नेता तो प्रयासों में जुटे हैं, लेकिन कुछ सीन से पूरी तरह गायब हैं। मुश्किल में फंसे ये लोग नेताओं की ओर से मदद न मिलने पर सोशल मीडिया के माध्यम से जमकर अपनी भड़ास भी निकाल रहे हैं। लोगों का कहना है कि सुख-दुख में काम आने की बात कहने वाले नेता आज खुद ही गायब हो गए हैं।
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आखिर हम लोग कब समझेंगे अपनी जिम्मेदारी
कोरोना वायरस महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया भर से हर दिन हजारों लोगों के कोरोना से संक्रमित होने और मरने की खबरें आ रही हैं। फिर भी हम अपनी जिम्मेदारी निभाने को तैयार नहीं हैं। कोरोना के खतरे को देखते हुए पुलिस और जिला प्रशासन जनता को घर पर रहने की नसीहत दे रहा है। पुलिस ने तो जरूरी सामान घर-घर पहुंचाने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। पुलिस कह रही है कि आप घर पर रहो, जो सामान चाहिए वह पुलिस घर पहुंचाएगी। इसके बावजूद लोग घर पर रहने को तैयार नहीं हैं। कोरोना से तभी बचा जा सकता है, जब लोग फिजिकल डिस्टेंस बनाएंगे। लेकिन, लोग यह बात समझने को तैयार नहीं हैं। हद तो यह है कि लोग चॉकलेट लेने भी घर से चार पहिया वाहन लेकर निकल पड़ रहे हैं। यही हालात रहे तो देश का क्या होगा..आप खुद समझ सकते हैं।
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