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कोरोना संक्रमित की अंत्येष्टि को लेकर हंगामा करने वालों पर मुकदमा

देहरादून के नालापानी श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमित मृत व्यक्ति की अंत्येष्टि का विरोध करने वालों पर रायपुर थाना पुलिस ने कार्रवाई की है।

By Edited By: Published: Wed, 10 Jun 2020 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jun 2020 04:39 PM (IST)
कोरोना संक्रमित की अंत्येष्टि को लेकर हंगामा करने वालों पर मुकदमा
कोरोना संक्रमित की अंत्येष्टि को लेकर हंगामा करने वालों पर मुकदमा

देहरादून, जेएनएन। नालापानी श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमित मृत व्यक्ति की अंत्येष्टि का विरोध करने वालों पर रायपुर थाना पुलिस ने कार्रवाई की है। मामले में पांच नामजद समेत कुछ अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने यह संदेश भी दे दिया कि कानून और मानवता का मखौल उड़ाने वालों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

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बता दें कि, मंगलवार को उपचार के दौरान एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत हो गई थी। परिजन शव को लेकर नालापानी श्मशान घाट पहुंचे तो वहां इलाके के लोग एकत्रित होकर हंगामा करने लगे। सूचना पर मयूर विहार चौकी इंचार्ज हर्ष अरोड़ा मय फोर्स मौके पर पहुंचे और हंगामा कर रहे लोगों को समझाने का प्रयास किया। उन्हें सरकार की गाइडलाइन का हवाला भी दिया, लेकिन वह लोग नहीं माने।

हालांकि, बाद में जब पुलिस ने सख्त रुख अख्तियार किया तो उन्हें पीछे हटना पड़ा, जिसके बाद परिजन अंतिम संस्कार कर सके। वहीं, इस तरह की हरकत करने वालों को कड़ा संदेश देने के लिए पुलिस ने हनुमान सिंह, बंटी, गौरव, कमलू व हल्दिया समेत आधा दर्जन से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन, आपदा प्रबंधन एक्ट व महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

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बनाए जाएं विद्युत शवदाह गृह 

कोरोना संक्रमित की अंत्येष्टि को लेकर हंगामा किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। पूर्व सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल ने कहा कि यदि विद्युत शवदाह गृह जिलों में पहले के ही शमशान घाटों के पास बना दिए जाएं तो समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। हरिद्वार में विद्युत शवदाह गृह स्थापित किया गया था, लेकिन जागरूकता की कमी होने से इसका उपयोग सीमित होता गया। उन्होंने कहा कि देहरादून के लक्खीबाग में भी विद्युत शवदाह गृह बनाये जाने चाहिए। मगर इसके लिए जन जागृति की भी आवश्यकता है। साधु-संतों को तैयार कर उनके माध्यम से लोगों को बताया जाना चाहिए कि विद्युत शवदाह के बाद बची राख को गंगा में विसर्जित कर सकते हैं। इससे गंगा भी निर्मल होगी और वनों का कटान भी कुछ सीमा में रुकेगा।

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